
दयाशंकर विश्वकर्मा
@dsv048
परहित सरिस धर्म नहीं भाई।
पर पीड़ा सम अस अघमाई।।
बड़े बड़ाई ना करें,बड़े ना बोले बोल। रहिमन हीरा कब कहे,लाख टके मेरा मोल
।।
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13-04-2017 17:06:49
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Nirbhay Shankar Dubey Nisar Ansari जिस भाजपा के चरित्र को भाजपा और आर एस एस के तमाम कार्यकर्ताओं ने मानवतावादी लोकतंत्र के समर्थक एवं समाजसेवी का चरित्र प्रस्तुत कर भाजपा को इस स्तर पर पहुंचाया कि वह प्रदेश और देश में दो तिहाई बहुमत से अधिक सीटें लाकर सरकार चला रहे हैं आज उन तमाम महापुरुषों के त्याग पर पानी फिरा