ये जाति से यादव थे और एक गाँव में कथा बांच रहे थे,,,
ये बात उस गांव के ब्राह्मणों को नागवार गुज़री और उन्होंने कथा वाचक यादव जी बहुत बुरी तरह मारा है!
अब आगे से कोई गैर ब्राह्मण कथावाचन से पहले 100 बार सोचेगा!
दलित तो सोचने की भी हिम्मत नहीं कर पायेगा?