@shaharyarshukla
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calendar_today01-04-2016 18:16:38
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4 years ago
बस एक शख़्स पे सबकुछ लुटा के ख़ाली हूँ, यहॉं मैं जितना भी असबाब ले के आया था। मिज़ाज पूछने कल शब मेरा अकेलापन, तमाम हल्क़ा ए अहबाब ले के आया था। मैं तुझ में डूबा हुआ सोचता हूँ ये अक्सर, तू ख़ुद में कौन सा गिर्दाब ले के आया था। (अभिषेक)