सदमा तो मुझे भी है कि तुझसे जुदा हूँ मैं
लेकिन ये सोचता हूँ कि अब तेरा क्या हूँ मैं
बिखरा पड़ा है तेरे ही घर में तेरा वजूद
बेकार महफ़िलों में तुझे ढूँढता हूँ मैं
क्या जाने किस अदा से लिया तूने मेरा नाम…
#जगजीत सिंह (1980) #क़तील शिफ़ाई
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