लद्दाख और उत्तराखंड दोनों जगह बड़े पैमाने पर सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहे। लेकिन ना सरकार सुन रही। ना सरकार को सुनने में मीडिया मदद कर रही है। लेकिन अब जब प्रदर्शन उग्र हो रहे तो उन्हें विदेशी फंडिंग और पता नहीं क्या क्या बोला जा रहा।
जब नाश मनुज का छाता है, तो पहले विवेक