डॉक्टर साहब ने मजे दिला दिए..
फिर पहुंच गए कानपुर.. संभाल ली सीएमओ की कुर्सी.. एक बार सस्पेंड हुए.. दोबारा हटाए गए.. लेकिन हठ के पक्के हैं.. हार नहीं मानी, रार जरूर ठाने हैं.. पूरे सिस्टम से..
डॉक्टर हरिदत्त नेमी जैसे लोगों के लिए ही वसीम बरेलवी लिख गए हैं..
उसूलों पे जहाँ आँच