गफ़लतों वाला यूँ दीमक लग गया था प्यार पर
बिछड़े तो अफ़सोस ना था उनके तब रुखसार पर
गुस्से में तस्वीर उनकी तो उतारे दिन हुये
अब भी बाकी है निशाँ तस्वीर का दीवार पर ।।
गफ़लत- गलतफहमी, रुख़सार- चेहरा
जो आईने में था दिखता, मुझे वो सख्स चाहिए!
मैं खो गया हूं, मुझको मेरा अक्श चाहिए!!
मेरी क़िस्मत के कागज़, अब तक कोरे थे तो क्या!
नई कहानी लिखनी है, बस कुछ लफ़्ज़ चाहिए!!
यहां सदियां लग गई, पत्थर को हीरा होने में!
मुझे भी वक्त बदलने के लिए, थोड़ा सा वक्त चाहिए..!!
Jo sunate ho tum wo meri kahani nhi hai
Tumne bhook me raatein guzari nhi hai
Ye jo bhejte ho mushibatien mujhe todne
Jo Maine uthaye hai
Janaaje unse bhari nhi hai
जो आईने में था दिखाता, मुझे वो सख्स चाहिए !
में खो गया हूं, मुझको मेरा अक्श चाहिए !
मेरी किस्मत के कागज, अब तक कोरे थे तो क्या !
नई कहानी लिखनी है, बस कुछ लफ्ज़ चाहिए ! यह सदियां लग गई, पत्थर को हीरा बनाने में।
मैं लौट आया हूं फिर से अब मुझे फिर से मेरा हमसफर चाहिए
दिल्ली में छात्रसंघ चुनावों का माहौल उबाल पर है राजस्थान के युवाओं की सक्रिय भागीदारी देखकर अच्छा लगा, वहीं एक नजर गोपाल चौधरी की गाड़ी पर डाल दीजिए लिंगदोह कमेटी की पालना का बेहतरीन उदाहरण है वैसे राजस्थान के छात्र नेताओं को सीख लेनी चाहिए