"हनुमान जी के दो मूल मंत्र"
आजीवन बाल ब्रम्हचारी, हनुमान जी के पास अष्ट सिद्धि, नव निधि थी। उस अष्ट सिद्धि का सामर्थ्य ऐसा कि धरती के सारे राजा, राष्ट्रपति और सेनापति आदि मिलकर भी हनुमान जी की बराबरी नहीं कर सकते। फिर भी हनुमान जी रामजी के शरण (आत्म विश्रान्ति पाने के लिए) गए।