"पैसे से जितनी नफरत कर ली जाए,
वो जरूरत बनकर रास्ते पे खड़ा हो ही जाता है"
बहुत खूब, फिर एक बार आपकी आवाज़ एवं ऑफिस कल्चर की मार झेलते कर्मचारियों का दर्द, दोनों का बखूबी मिश्रण।
बहुत ही सहज और उम्दा तरीके से इस पीड़ा को बयां किया है आपने और इसे यूं ही जारी रखिएगा