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ना राजनीति, ना चुनाव, ना वोट बैंक, बल्कि हमारा संघर्ष दुनिया की सबसे पुरानी (आदिवासी) सभ्यता को बचाने के लिए है। हमारे पूर्वज कहते थे कि जब अपनों का अस्तित्व संकट में हो, तो जंग आखिरी सांस तक लड़ी जाती है। संथाल परगना की इस वीर भूमि से जो "हूल" शुरू हुआ है, उसके दूरगामी परिणाम

ना राजनीति, ना चुनाव, ना वोट बैंक, बल्कि हमारा संघर्ष दुनिया की सबसे पुरानी (आदिवासी) सभ्यता को बचाने के लिए है। 

हमारे पूर्वज कहते थे कि जब अपनों का अस्तित्व संकट में हो, तो जंग आखिरी सांस तक लड़ी जाती है। संथाल परगना की इस वीर भूमि से जो "हूल" शुरू हुआ है, उसके दूरगामी परिणाम
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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष होंगे। आज केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में बाबूलाल मरांडी को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया। BJP JHARKHAND Babulal Marandi

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गैंगस्टर अमन साव मंगलवार की सुबह पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। उसे पुलिस की टीम पूछताछ के लिए रायपुर जेल से रांची ला रही थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार पलामू के चैनपुर थाना क्षेत्र के अंधारी ढोड़ा में गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद अमन साव पुलिस का हथियार छीन भागने लगा। जिसके बाद

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झारखंड के कुख्यात गैंगेस्टर अमन साहू के एनकाउंटर के बाद की तस्वीर। हथकड़ी और रस्सी के बावजूद भागने का प्रयास और गोली लगने के बावजूद हाथों में हथियार… कुछ तो गड़बड़ है दया ! अमन को रायपुर जेल से रिमांड पर लेकर झारखंड ATS की टीम रांची आ रही थी।

झारखंड के कुख्यात गैंगेस्टर अमन साहू के एनकाउंटर के बाद की तस्वीर। हथकड़ी और रस्सी के बावजूद भागने का प्रयास और गोली लगने के बावजूद हाथों में हथियार… कुछ तो गड़बड़ है दया !

अमन को रायपुर जेल से रिमांड पर लेकर झारखंड ATS की टीम रांची आ रही थी।
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एक बात बताओ Grok भाई, झारखंड का सबसे बढ़िया विधायक कौन है?

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Hello Grok जयपाल सिंह मुंडा कौन थे? भारत और झारखंड में उनका क्या योगदान है?

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Adiwasi.com जयपाल सिंह मुंडा (1903-1970) एक प्रमुख भारतीय नेता थे जिन्होंने आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष किया और झारखंड राज्य की नींव रखी। भारत में उन्होंने संविधान सभा में आदिवासी नीतियों को आकार दिया और 1928 ओलंपिक में हॉकी टीम को स्वर्ण पदक दिलाया। झारखंड में उन्होंने आदिवासी महासभा और

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झारखंड का आदिवासी समाज अपनी जमीन, अपने धार्मिक स्थल को बचाने के लिए आज सड़कों पर उतरने को मजबूर है। अफसोस यह है कि रांची बंद का विरोध कर रही सरकार का नेतृत्व कर रही पार्टी, आदिवासियों के नाम पर आंदोलन कर के, समाज का वोट लेकर सत्ता के शीर्ष तक पहुंची है। सब याद रखा जायेगा।

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क्या आप जानते हैं कि झारखंड में मात्र 5-10 हजार के रिश्वत के मामलों की जाँच करने वाला ACB आज करोड़ों के शराब घोटाले की जाँच क्यों कर रहा है? क्या आपको पता है कि एक ही दिन में FIR, पूछताछ और आईएएस अधिकारी की गिरफ्तारी कैसे हो गई? क्योंकि इस मामले में ED-CBI की एंट्री होने को है।

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आज सोशल मीडिया पर #घोटालेबाज_सोरेन ट्रेंड कर रहा है। इस हैश टैग पर लोग झारखंड के घोटालों, हेमंत सरकार की विफलताओं तथा भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों को पोस्ट कर रहे हैं।

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सरना धर्म कोड के नाम पर राजनीति करने का ड्रामा कर रही कांग्रेस को कोई याद दिलाए कि अंग्रेजों के जमाने (1871) से चले आ रहे आदिवासी धर्म कोड को 1961 में कांग्रेस की सरकार ने ही हटाया था। क्या ये लोग भूल चुके हैं कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की पिछली सरकार (2014) ने सरना धर्म

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झारखंड सरकार ने वीर सिदो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू को हूल दिवस मनाने से रोका। आज से 170 साल पहले जब वीर सिदो-कान्हू ने अंग्रेजों के खिलाफ “संताल हूल” का आगाज किया था, जिसमें हजारों लोगों ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी, तब उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन

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आज से 170 साल पहले जब वीर सिदो-कान्हू ने अंग्रेजों के खिलाफ “संताल हूल” का आगाज किया था, तब उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन उनके ही वंशजों को, उनके ही गांव में “हूल दिवस” मनाने से रोक दिया जायेगा। आज झारखंड सरकार ने वीर सिदो-कान्हू के वंशज मंडल मुर्मू को, उनके गांव

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जब भगवान बिरसा मुंडा की जन्मभूमि उलीहातु में और खरसावाँ शहीद दिवस पर सरायकेला-खरसावाँ में दिन भर अलग-अलग टाइम स्लॉट में विभिन्न संस्थाओं/ पार्टियों के कार्यक्रम हो सकते हैं, तो फिर भोगनाडीह में वीर सिदो-कान्हू के वंशजों को क्यों रोका जा रहा है? DC Sahibganj Sahibganj Police

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आधुनिक युग में “रूढ़िवादी आदिवासी” की क्या परिभाषा है ? आइए आदिवासी रूढ़िवादी प्रथा यानी “कस्टमरी लॉ” को समझते हैं - 🌱 रूढ़िजन्य सामाजिक प्रथा- जन्म , मृत्यु , शादी , इत्यादि , से संबंधित हैं 🌱 रूढ़िवादी धार्मिक प्रथा - आदि धर्म या सरना धर्म से संबंधित है ⭐️रूढ़िवादी

आधुनिक युग में “रूढ़िवादी आदिवासी” की क्या परिभाषा है ?  आइए आदिवासी रूढ़िवादी प्रथा यानी “कस्टमरी लॉ” को समझते हैं - 

🌱 रूढ़िजन्य सामाजिक प्रथा-  जन्म , मृत्यु , शादी , इत्यादि , से संबंधित हैं 
🌱 रूढ़िवादी धार्मिक प्रथा - आदि धर्म या सरना धर्म से संबंधित है 

⭐️रूढ़िवादी
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भोगनाडीह में जिला प्रशासन से भिड़े ग्रामीण, झुका प्रशासन भोगनाडीह। साहिबगंज जिले के भोगनाडीह में “हूल दिवस” को लेकर चल रहे विवाद में वीर सिदो-कान्हू के वंशजों एवं ग्रामीणों ने आज सरकार के ख़िलाफ मोर्चा खोल दिया। ग्रामीणों के तेवर को देखते हुए जिला प्रशासन ना सिर्फ झुका, बल्कि

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साहिबगंज जिले के भोगनाडीह में “हूल दिवस” को लेकर चल रहे विवाद में वीर सिदो-कान्हू के वंशजों एवं ग्रामीणों ने आज राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। ग्रामीणों के तेवर को देखते हुए जिला प्रशासन ना सिर्फ झुका, बल्कि उन्होंने कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति भी

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जोहार साथियों, आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को लेकर चल रहे आंदोलन को एक नई दिशा देने के लिए हम लोग इस बार हूल दिवस भोगनाडीह में मनायेंगे। आज से 170 साल पहले, जब फोन नहीं था, संवाद के साधन नहीं थे, गाड़ी नहीं थी, तब भी हमारे समाज के इन नायकों ने आदिवासी समाज को, हमारी परंपरा को