
यथार्थ
@yatharth_028
सारे अंक ऋणी है जिसके मैं वही शून्य हु।
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09-04-2021 10:25:57
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में दिनभर मे मरे अरमानो की अर्थी बांधकर सोना चाहता हूँ ,किंतु मरे हुए अरमानो की आत्माएं सोने नहीं देती l देवेन्द्र सिंह 'रज' हिन्दी पंक्तियाँ काव्याक्षरा Hindinama यथार्थ
