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vineet kumar

@vineetdelhi

Delhi based Media Critic|| Writer|| Books: Media Ka Loktantra (2024), Ishq Koi News Nahi(2015), Mandi Mein Media(2013).

ID:37390696

calendar_today03-05-2009 08:51:59

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बहुत शुक्रिया Om Thanvi | ओम थानवी सर. आप मेरे आदिम संपादक और मेंटॉर रहे हैं, आपको किताब पसंद आयी, इसका मतलब है मेरी मेहनत को पुरस्कार मिल गया.🌼

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चुनावी खर्च के लगतार बढ़ने से राजनीति लगातार करप्ट होती जा रही है, लोकतंत्र के खतरे को लेकर जब हम इस तरह की बात करते हैं तो क्या मीडिया में इस तरह के फूहड़ प्रदर्शन से इसके भीतर यह खतरा नहीं होगा ? यह पहले से कम रीढ़ गिरवी पर रखकर काम कर रहा है जो इस कड़ी में अब ये भी.

चुनावी खर्च के लगतार बढ़ने से राजनीति लगातार करप्ट होती जा रही है, लोकतंत्र के खतरे को लेकर जब हम इस तरह की बात करते हैं तो क्या मीडिया में इस तरह के फूहड़ प्रदर्शन से इसके भीतर यह खतरा नहीं होगा ? यह पहले से कम रीढ़ गिरवी पर रखकर काम कर रहा है जो इस कड़ी में अब ये भी.
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सुनाई भी दे रहा है और दिखाई भी दे रहा है Anjana Om Kashyap मैम कि डीडी मेट्रो पर 20-22 मिनट के ज़मीनी हक़ीकत पर आधारित शो आजतक अब कैसे करोड़ों का कारोबार कर रहा है. फ़िल्मी-फ़िल्मी अंदाज़ में दुनिया भी आपको देख रही है. देर-सवेर समझेंगे कि इसे पत्रकारिता नहीं, कुछ और ही कहते हैं.

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संविधान की ओर से बहाल लोकतंत्र से मीडिया का लोकतंत्र कैसे एकदम और उलट है और कैसे वो पीआर एजेंसी के बूते राजनीतिक छवियों को ब्रांड में तब्दील करता है, जानने के लिए पढ़ें- Rajkamal Prakashan 📚

संविधान की ओर से बहाल लोकतंत्र से मीडिया का लोकतंत्र कैसे एकदम और उलट है और कैसे वो पीआर एजेंसी के बूते राजनीतिक छवियों को ब्रांड में तब्दील करता है, जानने के लिए पढ़ें- #मीडियाकालोकतंत्र @RajkamalBooks
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क्या ये कड़ी धूप और तपती दुपहरी इन महिलाओं के लिए नहीं है जिन्हें रोज पसीने बहाने से ही रोटी मिल पाती है ? क्या कड़ी धूप और तपती दुपहरी का असर सिर्फ उन पर होता है जो चुनाव लड़ते हैं ? AajTak जैसे चैनल देश के नागरिक को ख़बरों से इसी तरह माइनस करते हैं. वो होकर भी नहीं होते.

क्या ये कड़ी धूप और तपती दुपहरी इन महिलाओं के लिए नहीं है जिन्हें रोज पसीने बहाने से ही रोटी मिल पाती है ? क्या कड़ी धूप और तपती दुपहरी का असर सिर्फ उन पर होता है जो चुनाव लड़ते हैं ? @aajtak जैसे चैनल देश के नागरिक को ख़बरों से इसी तरह माइनस करते हैं. वो होकर भी नहीं होते.
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मैं पिछले कई महीनों से यह किताब पूरी करने में लगा रहा तो यहां बहुत आना-जाना नहीं हो पाया. आख़िर में अब यह किताब आपके हाथों में हैं तो यहां नियमित बना रहूंगा. आप सबका शुक्रिया. किताब पढ़कर अपनी सहमति-असहमति जाहिर करते रहिएगा.

मैं पिछले कई महीनों से यह किताब पूरी करने में लगा रहा तो यहां बहुत आना-जाना नहीं हो पाया. आख़िर में अब यह किताब आपके हाथों में हैं तो यहां नियमित बना रहूंगा. आप सबका शुक्रिया. किताब पढ़कर अपनी सहमति-असहमति जाहिर करते रहिएगा.
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sflc.in welcomes your presence at 'Ballots and Bots: Elections 2024 in a Digital World.'

Join us today at IIC, Annexe, New Delhi, for insightful discussions on the intersection of technology, misinformation, and elections.

Come and be part of…

#HappeningToday #BallotsAndBots @SFLCin welcomes your presence at 'Ballots and Bots: Elections 2024 in a Digital World.' Join us today at IIC, Annexe, New Delhi, for insightful discussions on the intersection of technology, misinformation, and elections. Come and be part of…
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Introducing our esteemed panelist Dr. Vineet Kumar, for 'Ballots and Bots: Elections 2024 in a Digital World.'

Vineet Kumar works as an assistant professor at the University of Delhi. Before venturing into academia, he worked extensively in the media…

#BallotsAndBots #7thMarch Introducing our esteemed panelist Dr. Vineet Kumar, for 'Ballots and Bots: Elections 2024 in a Digital World.' Vineet Kumar works as an assistant professor at the University of Delhi. Before venturing into academia, he worked extensively in the media…
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विश्व पुस्तक मेला का आठवां दिन:
● निर्मल वर्मा और गगन गिल की किताबों का हुआ लोकार्पण
● विनीत कुमार की किताब ‘मीडिया का लोकतंत्र’ का हुआ लोकार्पण
gangatimes.com/world-book-fai…

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हमलोग आपको स्क्रीन पर देखते-सुनते रहे, आपने हमें सुना, हमारे लिए यह बहुत बड़ी बात है.ravish kumar

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आज ही के दिन 2014 में न्यूयार्क में Rajdeep Sardesai के साथ बदतमीजी की गयी, गालियां दी गयी और जी न्यूज ने उल्टा राजदीप को दोषी बताते हुए अपने कार्यक्रम भाग्य विधाता में “पत्रकारिता को क्यों किया बदनाम?” शीर्षक से शो किया. 9 साल बाद सुधीर चौधरी और राजदीप एक ही संस्थान में हैं.

आज ही के दिन 2014 में न्यूयार्क में @sardesairajdeep के साथ बदतमीजी की गयी, गालियां दी गयी और जी न्यूज ने उल्टा राजदीप को दोषी बताते हुए अपने कार्यक्रम भाग्य विधाता में “पत्रकारिता को क्यों किया बदनाम?” शीर्षक से शो किया. 9 साल बाद सुधीर चौधरी और राजदीप एक ही संस्थान में हैं.
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न्यूज एंकर जिस हिन्दी से, जिस भाषा से लाखों कमाते हैं, जिनसे उनका और परिवार का जीवन पलता है, वो लगातार उसे ही जख़्मी कर रहे हैं. कोई दूसरा ऐसा करता है कि जिस थाली में खाए, उसी में छेद करे. जिस साधन से कमाए, उसे की बर्बाद करने में लगा हो ?

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मुबारक मणिपुर. हम सुविधाओं से लैस हिन्दी पट्टी के लोग जब घंटेभर तक मोबाईल और नेटवर्क न होने पर बेचैन हो उठते हैं तो मैं समझ सकता हूं कि इसके बिना आप पर क्या गुज़री होगी ! मेरी कामना रहेगी कि इंटरनेट की मौज़ूदगी में आपका जीवन पुरानी रवानगी में लौटे.

मुबारक मणिपुर. हम सुविधाओं से लैस हिन्दी पट्टी के लोग जब घंटेभर तक मोबाईल और नेटवर्क न होने पर बेचैन हो उठते हैं तो मैं समझ सकता हूं कि इसके बिना आप पर क्या गुज़री होगी ! मेरी कामना रहेगी कि इंटरनेट की मौज़ूदगी में आपका जीवन पुरानी रवानगी में लौटे.
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विपक्षी दलों के प्रति हिक़ारत और हिंसा की भाषा का इस्तेमाल पिछले कुछ सालों से चैनल जिस अबाध गति से कर रहे हैं, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. ऐसा करके वो एक ऐसी ज़मीन तैयार कर रहे हैं कि हिन्दी सिर्फ एक-दूसरे को नीचा दिखाने, धमकाने और अपने से कमजोर का मजाक बनाने की भाषा बनकर रह जाएगी.

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डीडी न्यूज की ऐसी कौन सी मजबूरी है कि कार्यक्रम का नाम से लेकर एक वाक्य तक ठीक से हिन्दी में नहीं सोच सकते. इस खिचड़ी हिंग्लिश से उन्हें पता है कि हम दर्शकों को कितनी ऊब होती है ? सामग्री तो छोड़िए कम से कम भाषा सीखने लायक चैनल तो बने रहने दीजिए. कुछ न नहीं, हिन्दी तो बचा लीजिए.

डीडी न्यूज की ऐसी कौन सी मजबूरी है कि कार्यक्रम का नाम से लेकर एक वाक्य तक ठीक से हिन्दी में नहीं सोच सकते. इस खिचड़ी हिंग्लिश से उन्हें पता है कि हम दर्शकों को कितनी ऊब होती है ? सामग्री तो छोड़िए कम से कम भाषा सीखने लायक चैनल तो बने रहने दीजिए. कुछ न नहीं, हिन्दी तो बचा लीजिए.
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इंडिया टुडे समूह स्कूल भी चलाता है और न्यूज चैनल भी. बसंत वैली स्कूल बराबरी और बेहतर नागरिक का पाठ पढ़ाता है, आजतक चैनल एक समूह विशेष के प्रति नफ़रत का पाठ. स्कूल के पढ़े बच्चों ने इसकी शिकायत अरूण पुरी से की है. इसका मतलब है कि स्कूल ने उन्हें शिक्षा का सही मतलब सिखाया है. गुड.

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