Vani Prakashan
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http://vaniprakashan.com 05-07-2011 09:55:52
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हिन्दी साहित्य में स्त्री साहित्य की उपेक्षा कोई नयी बात नहीं है परन्तु इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि इस दिशा में कुछ कार्य ही नहीं हुआ है. Vani Prakashan से प्रकाशित डॉ शुभा श्रीवास्तव की ‘हिन्दी साहित्य की आधी आबादी: पूरा इतिहास’ पर वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय/ Jai Prakash Pandey की राय.
मैं अनंत पथ में लिखती जो सस्मित सपनों की बातें, उनको कभी न धो पाएँगी अपने आँसू से रातें ! उड़् उड़ कर जो धूल करेगी मेघों का नभ में अभिषेक अमिट रहेगी उसके अंचल- में मेरी पीड़ा की रेख! ('पचास कविताएँ:नयी सदी के लिए चयन':से) -महादेवी वर्मा✍️ महादेवी वर्मा | Mahadevi Verma #पुण्यतिथि 💐नमन🙏