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उम्दा_पंक्तियां

@umda_panktiyaan

उम्दा_पंक्तियां का 2 लाख वाला पहला अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया है साहित्य के प्रति प्रेम और सोशल मीडिया का प्रयोग मोहब्बत के लिए हो इसी लक्ष्य के साथ फिर से शुरू

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calendar_today04-01-2022 14:46:29

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दिल हर रोज़ तेरे होने का अहसास करता है जबसे तुम गए हो रोज़ तुमको याद करता है ~ सुनील पंवार

दिल हर रोज़ तेरे होने का अहसास करता है
जबसे तुम गए हो रोज़ तुमको याद करता है

~ सुनील पंवार
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युवाओं के कंधों पर युग की कहानी चलती है इतिहास उधर मुड़ जाता है जिस ओर ये जवानी चलती है। ~ अज्ञात

युवाओं के कंधों पर युग की कहानी चलती है
इतिहास उधर मुड़ जाता है जिस ओर ये जवानी चलती है।

~ अज्ञात
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यूँ पुरखों की जमीन बेचकर शहर मे ना जाया करो ना जाने कब लौटना पड़े गाँव मे भी एक घर बनाया करो।

यूँ पुरखों की जमीन बेचकर
शहर मे ना जाया करो

ना जाने कब लौटना पड़े
गाँव मे भी एक घर बनाया करो।
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कुल - गोत्र नहीं साधन मेरा, पुरुषार्थ एक बस धन मेरा। ~ दिनकर

कुल - गोत्र नहीं साधन मेरा, 
पुरुषार्थ एक बस धन मेरा।

~ दिनकर
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अदब इतना कि क़दमों में पड़े हैं अना इतनी कि लंका ख़ाक़ कर दें ~ शाद सिद्दीक़ी

अदब इतना कि क़दमों में पड़े हैं
अना इतनी कि लंका ख़ाक़ कर दें

~ शाद सिद्दीक़ी
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"दिल ना उम्मीद तो नहीं, नाकाम ही तो है, लंबी है ग़म की शाम, मगर शाम ही तो है।" ~ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

"दिल ना उम्मीद तो नहीं, नाकाम ही तो है, 
लंबी है ग़म की शाम, मगर शाम ही तो है।"

 ~ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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इश्क़ की रूह खो गई जानां जिस्म की बात ही न थी जानां वो जो पानी के पास रहते हैं उनमें है प्यास की कमी जानां ~ मोनिका सिंह

इश्क़ की रूह खो गई जानां
जिस्म की बात ही न थी जानां

वो जो पानी के पास रहते हैं
उनमें है प्यास की कमी जानां

~ मोनिका सिंह
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अपने ऑफिस, कॉलेज या घर में आप किस भाषा में ज्यादा बात करते हैं ? 1. हिन्दी 2. क्षेत्रीय भाषा 3. अंग्रेज़ी

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सितारों ने जबाँ तसलीम वो की जो एक माथे की बिंदी बोलती है लबों पे है यहाँ दस्तूर ए इंगलिश मगर हर आँख हिन्दी बोलती है ~ शुभ चिंतन

सितारों  ने जबाँ तसलीम वो की 
जो एक माथे की बिंदी बोलती है 

लबों  पे है यहाँ दस्तूर ए इंगलिश 
मगर   हर आँख   हिन्दी बोलती है 

~ शुभ चिंतन
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हिंदी अ अनपढ़ से शुरू होती है और ज्ञ ज्ञानी बनाकर छोड़ती है

हिंदी अ अनपढ़ से शुरू होती है
और ज्ञ ज्ञानी बनाकर छोड़ती है
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प्रकृति का सौंदर्य इसमें पर्वतों का आह्वान है सभ्यता की चूनर ओढ़े संस्कृति का परिधान है छवि मधुर अलौकिक इसकी ये हिंद की पहचान है विश्व करता नमन जिसे हमें ‘हिंदी’ पर अभिमान है | ~ सुधीर बडोला

प्रकृति  का सौंदर्य  इसमें
पर्वतों का  आह्वान  है
सभ्यता  की चूनर  ओढ़े
संस्कृति  का परिधान  है
छवि  मधुर अलौकिक इसकी
ये हिंद  की  पहचान  है
विश्व  करता  नमन  जिसे
हमें ‘हिंदी’ पर  अभिमान है |

~ सुधीर बडोला
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विद्यार्थी जीवन का वनवास गुजरता है, किराए के एक कमरे में। ~ सेजल

विद्यार्थी जीवन का वनवास गुजरता है,
किराए के एक कमरे में।

~ सेजल
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माँ नहीं थी वह, आंगन थी, द्वार थी, किवाड़ थी, चूल्हा थी, आग थी, नदी की धार थी। ~ विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

माँ नहीं थी वह,
आंगन थी,
द्वार थी,
किवाड़ थी,
चूल्हा थी,
आग थी,
नदी की धार थी।

~ विश्वनाथ प्रसाद तिवारी
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कब तलक तेरे इश्क को रोऊं मेरे घर के भी सौ मसले है ~ साहिर लुधियानवी

कब तलक तेरे इश्क को रोऊं
मेरे घर के भी सौ मसले है

~ साहिर लुधियानवी
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मुझे शराब पिलाई गई है आँखों से मिरा नशा तो हज़ारों बरस में उतरेगा ~ विजेंद्र सिंह परवाज़

मुझे शराब पिलाई गई है आँखों से 
मिरा नशा तो हज़ारों बरस में उतरेगा

~ विजेंद्र सिंह परवाज़