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उम्दा_पंक्तियां

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उम्दा_पंक्तियां का 2 लाख वाला पहला अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया है साहित्य के प्रति प्रेम और सोशल मीडिया का प्रयोग मोहब्बत के लिए हो इसी लक्ष्य के साथ फिर से शुरू

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calendar_today04-01-2022 14:46:29

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एक बनिया था 5 रुपए की एक रोटी बेचता था। उसे रोटी की कीमत बढ़ानी थी लेकिन बिना राजा की अनुमति कोई भी अपने दाम नहीं बढ़ा सकता था। लिहाजा राजा के पास बनिया पहुंचा, बोला राजा साहब मुझे रोटी का दाम 10 करना है। राजा बोला तुम 10 नहीं 30 रुपए करो बनिया बोला महाराज इससे तो हाहाकार मच

एक बनिया था 5 रुपए की एक रोटी बेचता था। उसे रोटी की कीमत बढ़ानी थी लेकिन बिना राजा की अनुमति कोई भी अपने दाम नहीं बढ़ा सकता था। लिहाजा राजा के पास बनिया पहुंचा, बोला राजा साहब मुझे रोटी का दाम 10 करना है। राजा बोला तुम 10 नहीं 30 रुपए करो बनिया बोला महाराज इससे तो हाहाकार मच
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"दरवाज़ा बारिश में भीगा फूल गया है। कभी पेड़ था, हम समझे थे भूल गया है।" ~ नरेश सक्सेना

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हज़ार फेरे लगाए मैंने उसकी गली के कोई खुशनसीब चार फेरों में ले गया

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आज कुछ अच्छे लिखने वालों को फॉलो किया जाएगा कमेंट में अपनी पंक्ति कमेंट कीजिए...

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सुखद खबर धर्मेंद्र अस्पताल से घर वापस आए जिस मीडिया सोशल मीडिया ने कल धर्मेंद्र को मृतक घोषित कर दिया था या यूं कहें कि लाइक /रीच और trp के चक्कर में सब एक दूसरे से पहले पोस्ट/न्यूज करने की होड में थे। मीडिया के बारे में आप दो शब्द लिख सकते है लंबा लेख भी पढ़ा जाएगा...

सुखद खबर धर्मेंद्र अस्पताल से घर वापस आए 
जिस मीडिया सोशल मीडिया ने कल धर्मेंद्र को मृतक घोषित कर दिया था या यूं कहें कि लाइक /रीच और trp के चक्कर में सब एक दूसरे से पहले पोस्ट/न्यूज करने की होड में थे। 

मीडिया के बारे में आप दो शब्द लिख सकते है लंबा लेख भी पढ़ा जाएगा...
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पत्रकार महोदय, कुछ तो शर्म करो, जी हजूरी छोड़ो, अपना कर्म करो। देश समस्याओं से देखो जूझ रहा, लोगों को कुछ भी नहीं सूझ रहा। रोजगार शिक्षा और महंगाई , समस्या जैसे आसमां छू आई। हर तरफ देखो, पसरी लाचारी, त्राहिमाम करती जनता बेचारी। तुम्हारा तो धर्म था सच दिखाना, कर्म था वाजिब सवाल

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जब किताबें सड़क किनारे रख कर बिकेंगी और जूते काँच के शोरूम में, तब समझ जाना कि देश के लोगों को ज्ञान की नहीं जूतों की ज़रूरत है। ~ अज्ञात

जब किताबें सड़क किनारे रख कर बिकेंगी और जूते काँच के शोरूम में, तब समझ जाना कि देश के लोगों को ज्ञान की नहीं जूतों की ज़रूरत है।

~ अज्ञात
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मेरे पास जूते नहीं थे, मैं इस बात को लेकर तब तक दुखी रहा जब तक मुझे सड़क पर वह आदमी नहीं दिखा, जिसके पैर नहीं थे। ~ हैराल्ड एबॉट

मेरे पास जूते नहीं थे, मैं इस बात को लेकर तब तक दुखी रहा जब तक मुझे सड़क पर वह आदमी नहीं दिखा, जिसके पैर नहीं थे।

~ हैराल्ड एबॉट
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बात 16 मार्च 1999 की है, जब प्रधानमंत्री रहते हुए अटलजी ने पाकिस्तान के साथ मधुर संबंध बनाने की पहल की थी। दोनों देशों के बीच बस अमृतसर से लाहौर के बीच बस सेवा शुरू की गई थी। इसी बस में वे खुद बैठकर लाहौर तक गए थे। वहां उनका जोरदार स्वागत हुआ। जब वहां के गवर्नर हाउस में भाषण दे

बात 16 मार्च 1999 की है, जब प्रधानमंत्री रहते हुए अटलजी ने पाकिस्तान के साथ मधुर संबंध बनाने की पहल की थी। दोनों देशों के बीच बस अमृतसर से लाहौर के बीच बस सेवा शुरू की गई थी। इसी बस में वे खुद बैठकर लाहौर तक गए थे। वहां उनका जोरदार स्वागत हुआ। जब वहां के गवर्नर हाउस में भाषण दे
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एक ही फ़न तो हम ने सीखा है जिस से मिलिए उसे ख़फ़ा कीजे ~ जौन एलिया

एक ही फ़न तो हम ने सीखा है
जिस से मिलिए उसे ख़फ़ा कीजे

~ जौन एलिया
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आपका सबसे पसंदीदा और विश्वसनीय कौन सा है। 1. आज तक 2. एबीपी 3. जी न्यूज 4. R भारत 5. न्यूज 18 6. इंडिया टीवी 7. इनमें से कोई नहीं

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छल-कपट के युग में सच बोलना, एक क्रांतिकारी काम है। ~ जॉर्ज ऑरवेल

छल-कपट के युग में सच बोलना, 
एक क्रांतिकारी काम है।

~ जॉर्ज ऑरवेल
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दुनिया के सारे झूठ एक तरफ़ और बारात हमारे निवास स्थान से 7 बजे चलेगी वाला एक तरफ़। ~ व्यंग्य

दुनिया के सारे झूठ एक तरफ़ और बारात हमारे  निवास स्थान से 7 बजे चलेगी वाला एक तरफ़।

~ व्यंग्य
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अदब इतना कि क़दमों में पड़े हैं अना इतनी कि लंका ख़ाक़ कर दें ~ शाद सिद्दीक़ी

अदब इतना कि क़दमों में पड़े हैं
अना इतनी कि लंका ख़ाक़ कर दें

~ शाद सिद्दीक़ी
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स्त्री के 'आँसुओं' के सामने पुरुष बेबस हो जाता है। ~ हरिवंशराय बच्चन

स्त्री के 'आँसुओं' के सामने पुरुष बेबस हो जाता है।

~ हरिवंशराय बच्चन