Mukesh Kumar Sinha
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Poet | Blogger | Editor | Gardening | Cooking प्रकाशन: हमिंगबर्ड | ...है न ! (कवितासंग्रह) | लाल फ्रॉक वाली लड़की(लप्रेक)| संपादन: 8 साझासंग्रह | संस्थापक: गूंज
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https://linktr.ee/mukesksinha 27-01-2011 11:41:47
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••• बेशक दूरियाँ हों, पर सामानांतर रेखाओ में बनाए रखना साथ ताकि उम्मीद तो रहे कि मिलेंगे अनंत पर ! - मुकेश कुमार सिन्हा Mukesh Kumar Sinha
सुख की अंगनाईयाँ होती हैं बड़ी विस्तृत... हम कई कई चारपाईयाँ डाल इसको, उसको सबको कर सकते हैं आमंत्रित दुख का कमरा बड़ा संकीर्ण है जहाँ अपना भी गुज़ारा नहीं होता - बुशरा तबस्सुम Bushra Tabassum
तेरे लब से सुना तो चला पता मेरा नाम कितना हसीन है । - प्रियंका ओम Priyanka Om
कविताएँ सारी बची रहेंगी अगर मैं उन्हें चाँद पर रख दूँ या फिर तुम्हारे मन में। - राकेश रोहित Rakesh Rohit
काश, जिंदगी के किसी पन्ने पर होता उसके प्रेम का हस्ताक्षर ! ठीक वैसे ही जैसे जज साहिबा ने कलम तोड़ते हुए अंतिम निर्णय किया हो सुरक्षित कि "हैंग हिम टिल डेथ!!" ~मुकेश कुमार सिन्हा Mukesh Kumar Sinha
आईने की तरह....पेश आता है, मैं खुश रहूँ तो वो मुस्कुराता है ! ~ सरिता त्रिवेदी sarita trivedi 'Nirjhara
अगले जन्म मैं तुम्हें प्रेयसी नहीं भिक्षुणी बनकर मिलूँगी एकदम खाली हाथ मैंने मुट्ठी भर-भर तुम्हें जो सर्वस्व दिया है क्या तब तुम अंजुरी भर डालोगे मेरी झोली में ? - समृद्धि l कविता-ख़ोर
मैने सदैव बनाए रखी हमारे मध्य एक सीमित दूरी कांच की एक दीवार जितनी चिलचिलाती धूप में तुम्हारी परछाई का सहारा ले तय कर लिया मैने मीलों का सफ़र तुम चलते रहे मुझे अपनी नज़रों से थामकर तुमसे सीखा प्रेम की सरहदों के पार से भी बखूबी निभाया जा सकता है प्रेम • प्रियांशी प्रियांशी जायसवाल