तुम्हें किसी ने छोड़ दिया
अकेला।
तुम किसी को छोड़ दोगे
अकेले।
दुनिया में जिसे छुओ
ख्याल रखो-
अकेली पड़ी चीजें
टूट जाती हैं अक्सर
छूते ही।।
Kitabganj 🖤🌿
इस उम्र के बाद उस को देखा !
सिमटी हुई उस के बाजुओं में
ता-देर मैं सोचती रही थी,
किस अब्र-ए-गुरेज़-पा की ख़ातिर
मैं कैसे शजर से कट गई थी,
किस छाँव को तर्क कर दिया था
मैं उस के गले लगी हुई थी
वो पोंछ रहा था मिरे आँसू
लेकिन बड़ी देर हो चुकी थी!।।
~परवीन शाकिर 🌸
जैसे हवाएं अपने साथ बहार लिए फिरते हैं
हम इस जहां में जबरदस्ती एक किरदार लिए फिरते हैं
कोई भी राज मेरे दिल के अंदर बंद नहीं है
खुदा ने बनाए है कई नायब चेहरे, पर मेरा वाला मुझे पसंद नहीं है 🖤🌿
1993 में केंद्र सरकार ने शासन का विकेंद्रीकरण तीसरे स्तर तक किया,आम आदमी के हाथों तक सत्ता की पहुंच बनाई।
अब सत्ता का तीसरा स्तर केंद्र सरकार तक अपनी पहुंच बना रहा है शायद 🥲😶
तू मेरा हौसला तो देख, दाद तो दे कि अब मुझे
शौक ए कमाल भी नहीं, खौफ ए जवाल भी नहीं
मैं भी बहुत अजीब हूं,इतना अजीब हूं कि बस
खुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं।
जौन एलिया 🖤🌿
मुझे कई साल लगे अपने बारे में सिखाए गए उन तमाम झूठों को बाहर फेंकने में जिन्हें मैं आधा सच मान बैठा था. तब कहीं जाकर मैं धरती पर इस तरह चल पाया जैसे यहाँ होना मेरा अधिकार है.
-जेम्स बाल्डविन 🌸🌱
ये जो मैं हूँ ज़रा सा बाक़ी हूँ
वो जो तुम थे वो मर गए मुझ में
पहले उतरा मैं दिल के दरिया में
फिर समुंदर उतर गए मुझ में
कैसा मुझ को बना दिया 'अम्मार'
कौन सा रंग भर गए मुझ में
अम्मार इकबाल 🖤🌿
उदास एक मुझी को तो कर नही जाता
वह मुझसे रुठ के अपने भी घर नही जाता
वह दिन गये कि मुहबबत थी जान की बाज़ी
किसी से अब कोई बिछडे तो मर नही जाता
वसीम बरेलवी 🩶🪻
दिल से उतर गईं अब पास-ए-वफ़ा की बातें
मैं ने भी एक मुद्दत तक ये रोग पाल देखा
ये कौन है जो मुझ में मुझ से उलझ रहा है
सौ बार मैं ने ख़ुद को ख़ुद से निकाल देखा
मोहम्मद आज़म 🖤🌿
ख़ैर इस बात को तू छोड़ बता कैसी है
तू ने चाहा था जिसे वो तिरे नज़दीक तो है
कौन से ग़म ने तुझे चाट लिया अन्दर से
आज-कल फिर से तू चुप रहती है सब ठीक तो है
तहज़ीब हाफी 🖤🌿
बीते हुए कल की न जाने
कितनी चीज़ें हैं जिन्हें
हम पाना चाहते हैं उसी रूप में
बार-बार
नहीं तो सिर्फ़ एक बार और।
ललकते रहते हैं
उन्हें पाने के लिए हम
मरने से पहले
अंतिम इच्छा की तरह
और अंतिम इच्छा जैसा
कुछ भी नहीं है जीवन में।
दिनेश कुशवाहा 🖤🌿