मधुर मलयानिल महक की मौज में मदमत्त है,
लता-ललिता से लिपटकर ही महान प्रमत्त है।
सौरभित सरसिज युगल एकत्र होकर खिल गये,
लोल अलकावलि हुई मानो मधुव्रत मिल गये..!!
~ जयशंकर प्रसाद
#सुहानी_भोर 🌄
#काव्य_कृति ✍️
तथाकथित
थोथे विजेताओं का खबरची बताता है
सरहद पर सब खत्म हो चुका है
पर
उनका अध्यययन नहीं बताता
कि प्रेम अभी भी जीवित है
जिंदगी में घुले हुए नामक की तरह …प्रतिभा चौहान
#काव्य_कृति #क्षणिका #लेखनी #GoodEvening #Emmys2024 #snow
33 वां सरस्वती सम्मान
प्रभा वर्मा उनकी काव्य कृति (रुद्र सात्विकम) के लिए प्रदान किया जायेगा
वे मलयालम भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं..!
#शुभ_संध्या
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏🏻💐
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ख़ुदी के जश्न में जो उड़ते हो तुम इतना
बुलंदी के नशेबों में उतर ही जाओगे इक दिन।
~ प्रतिभा चौहान
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धूल और पत्तों को लेकर हवा ज़ोर से चलती है,
तप्त हुई अवनी आतप से मानो भीतर जलती है।
जिधर देखिए उधर आग-सी लगी हुई दिखलाती है,
प्रलयकाल का दृश्य भयंकर गर्मी याद दिलाती है।
~मैथिलीशरण गुप्त
#ग्रीष्म_ऋतु #काव्य_कृति ✍️
कल्पनाओं को चुनने और बुनने में पूरे पाँच बसंत बीते। ठीक पाँच बरस पहले कोरी कल्पनाओं का आकार बनी काव्य कृति #रिश्तों_की_बूँदें को आपका खूब स्नेह मिला।
इस बार ये कल्पनाएँ प्रेम के संवाद में हैं। ऐसा संवाद जिसमें लफ़्ज़ ख़ामोश हैं, बोल रही है तो सिर्फ़ आँखें और भावनाएँ।
फूला, इचाक पलाश लो फूला!
आ, अमराइयों में प्रिय मेरी
ग्रीष्म के अंधड़ का पड़ा झूला
पलाश लो फूला..!!
~ ठाकुर प्रसाद सिंह
#सुहानी_भोर 🌄
#काव्य_कृति ✍️
अरुणोदय की पहली लाली
इसको ही चूम निखर जाती,
फिर संध्या की अंतिम लाली
इस पर ही झूम बिखर जाती।
इस धरती का हर लाल खुशी से
उदय-अस्त अपनाता है ।
गिरिराज हिमालय से भारत का
कुछ ऐसा ही नाता है !
~ गोपाल सिंह नेपाली
#सुहानी_भोर 🌄
#काव्य_कृति ✍️
उषाकाल में अथक बटोही,
कहाँ आज है दाना चुगना,
उत्तिष्ठ पसारे पंख गगन में,
किस पड़ाव है तुमको मुड़ना।
एक डाल विश्राम करें तो,
जैसे मुक्ता जड़े हार में,
एक धरा पर चुगते चलते,
जैसे कड़ी जुड़े तार में..!!
~ आरती 'लोकेश'
#सुहानी_भोर 🌄
#काव्य_कृति ✍️
Dr. Arti 'Lokesh'
#OperationJagriti AgraZone
#OperationJagriti अभियान के अंतर्गत श्री जितेन्द्र कुमार दुबे, अपर पुलिस अधीक्षक कासगंज की काव्य कृति ।
जाली किताब एक साहित्यिक मुक़दमा है !
जिसे हिन्दी-साहित्य की प्रथम काव्य-कृति और प्रथम गद्य-कृति को जालसाज़ी के आरोपों से मुक्त करने/करवाने के लिए जनहित में लड़ा/लिखा गया ।
जाली किताब आलोचना और गल्प की अपूर्व जुगलबंदी है !
#जाली_किताब ११.
Rajkamal Prakashan 📚