अब मैं नाच्यौ बहुत गुपाल।
काम-क्रोध कौ पहिरि चोलना, कंठ बिषय की माल॥
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अविनयमपनय विष्णो दमय मन: शमय विषयमृगतृष्णाम् ।
भूतदयां विस्तारय तारय संसारसागरत:।।
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तुलसी पंछिन के पिये, घटे न सरिता नीर ।
दान दिये धन ना घटे, जो सहाय रघुवीर ।।
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#Sanskrit
मनःप्रसादः सौम्यत्वं मौनमात्मविनिग्रहः।
भावसंशुद्धिरित्येतत् तपो मानसमुच्यते॥17.16
मन की प्रसन्नता, सौम्यभाव, मौन आत्मसंयम और अन्तकरण की शुद्धि यह सब मानस तप कहलाता है।
Serenity of mind, good-heartedness, self-control, purity of nature this is called mental austerity.
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अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां
देवर्षीणां च नारदः।
गन्धर्वाणां चित्ररथः
सिद्धानां कपिलो मुनिः।।
मैं समस्त वृक्षों में अश्वत्थ (पीपल) हूँ और देवर्षियों में नारद हूँ मैं गन्धर्वों में चित्ररथ और सिद्ध पुरुषों में कपिल मुनि हूँ।
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#नारद_जयंती
📷: B.K.Mitra
महात्मानस्तु मां पार्थ दैवीं प्रकृतिमाश्रिताः।
भजन्त्यनन्यमनसो ज्ञात्वा भूतादिमव्ययम्।।
9.13 shlok #ShriGitaji
He is the universe
He is beyond universe
He is Prakriti.
He is the tejassu
Learning him is the true education
He who learns him will reach his feet.
Jai Srikrishna
दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे।
देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम्।।17.20
दान देना ही कर्तव्य है इस भाव से जो दान योग्य देश,काल को देखकर ऐसे (योग्य) पात्र (व्यक्ति)को दिया जाता है,जिससे प्रत्युपकार की अपेक्षा नहीं होती है,वह दान सात्त्विक माना गया है।
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