
Sekh shfique Ansari
@shfique13
State Co- Coordinator Indian National Congress, jharkhand
ID: 765934162079518721
17-08-2016 15:31:49
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Supriya Shrinate आत्म निर्भर🇮🇳 हर साल 25 जून को नरेंद्र मोदी और भाजपा नेता 1975 की आपातकाल (Emergency) को याद करते हुए लोकतंत्र की दुहाई देते हैं। मोदी जी ने इस बार भी 6 ट्वीट कर इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए इमरजेंसी को "लोकतंत्र पर काले धब्बे" की तरह बताया। लेकिन असली सवाल यह है: 🔸 क्या आज देश में 'अलिखित




Rajat Sharma सुन बे दल्ले 1975 की इमरजेंसी में मीडिया को सरकारी आदेश से बैन किया गया था। प्रेस की स्वतंत्रता को लात मारी गई थी — सेंसरशिप खुलेआम थी, प्रतिबंध घोषित थे। लेकिन आज… सेंसरशिप लिखी नहीं जाती — बस खरीदी जाती है। आज का मीडिया बैन नहीं है, बस बिक गया है। आज रजत शर्मा जैसे “बड़े


Rajat Sharma दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री ने 11 साल में एक भी खुली प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की। कोई पत्रकार उन्हें खुले सवाल नहीं पूछ सका। लेकिन मीडिया चुप है। क्यों? क्योंकि बिके हुए माइक से लोकतंत्र नहीं गूंजता — वो बस सत्ता की गूंज दोहराता है। 🚫 तुम अपनी ज्ञान रख,,,,, में



Priyanka Bharti "बीजेपी — संविधान हत्या दिवस कांग्रेस — #DeshKeGaddarSanghi मीडिया — चापलूसी दिवस जनता — बेमौत मरती रही…" "लोकतंत्र का मतलब होता है सरकार की जवाबदेही, पर यहाँ प्रधानमंत्री प्रेस वार्ता से भागते हैं और RTI को ऐसी ठंडी जगह रखा गया है, जहाँ धूप भी नहीं पहुँचती!"


Rofl Gandhi 2.0 🏹 Shiv Aroor मीडिया अब वो कुत्ता है जो अब भौंकता नहीं, बल्कि पूंछ हिलाता है। पहले Breaking News होती थी — अब बस Power Point News है, सुनिए सरकार ने क्या कहा और हां में हां मिलाइए



Alka Lamba 🇮🇳 "100 स्मार्ट सिटी बनाने का सपना दिखाया गया था... पर हर जिले में 'स्मार्ट' नहीं, 'सुनहरी' बीजेपी की हवेली नुमा ऑफिस ज़रूर खड़े हो गए। सड़क हो या अस्पताल, स्कूल हो या पानी — सब राम भरोसे। यही तो 'विकास' है, यही तो #DelhiKeGaddhe और देश के गड्ढों का सच है।" #VikasInReverseGear

RSS का नक़ाब फिर से उतर गया। संविधान इन्हें चुभता है क्योंकि वो समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है। RSS-BJP को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए। ये बहुजनों और ग़रीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा ग़ुलाम बनाना चाहते हैं। संविधान जैसा ताक़तवर हथियार उनसे छीनना इनका

Rahul Gandhi 1975 में मीडिया को बैन किया गया था, 2025 में मीडिया खुद घुटनों पर है। रजत शर्मा जैसे नाम "आप की अदालत" छोड़ "सरकार की चप्पल" में बैठ गए हैं। 11 साल में प्रधानमंत्री की एक भी खुली प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं — और मीडिया सवाल पूछना भूल गया है।

Rahul Gandhi "RSS और संविधान का रिश्ता कुछ ऐसा है... जैसे नकलची छात्र परीक्षा देने तो आ गया हो, लेकिन किताब को अब भी 'विदेशी' मानता है!" 1949 में जब गांधी जी की हत्या के बाद प्रतिबंध लगा, तो तिरंगे को मजबूरी में सलामी दी गई, और संविधान को औपचारिक मान लिया गया – मन से नहीं, मजबूरी में। अब

Rahul Gandhi "इनको 400 सीटें इसलिए चाहिए थीं, ताकि देश में बेरोजगारी नहीं, संविधान ही बेरंग हो जाए!" कहते थे — "सबका साथ, सबका विकास" लेकिन असल में चाहिए था "संविधान का संहार, और सिर्फ़ संघ का विस्तार!" 70 साल से जिस किताब ने दलित को हक़, महिला को सम्मान, अल्पसंख्यक को सुरक्षा दी — उसे

Rofl Gandhi 2.0 🏹 "कचरा डस्टबिन में डाले जाते हैं, पर जब सत्ता की सेवा करनी हो, तो वही मीडिया की स्क्रीन पर चमकते हैं 😂📺" "कचरा डस्टबिन में डाले जाते हैं, मगर कुछ चेहरे हर रात प्राइम टाइम पर मिल जाते हैं 😂" "कचरा डस्टबिन में डाले जाते हैं, मीडिया में तो पूछे भी नहीं जाते 😂"


ashutosh **"न्यूयॉर्क में मुस्लिम उम्मीदवार ज़ोहरान मेयर बन पाएगा या नहीं — इस पर प्राइम टाइम हो रहा है... लेकिन सूरत में बारिश में जो लोग तैरकर ऑफिस जा रहे हैं, उन पर कोई ब्रेकिंग नहीं! गोदी मीडिया को ज़ोहरान की टोपी दिखती है, सूरत की डूबी सड़कें नहीं। #गोडीकथा #MonsoonMediaBlindness"**