
Swami Apurvanand Giri
@sapurvanand
Maha Mandleshwar Shri Panchdashnam, Juna Akhada
ID: 1404302046853963780
14-06-2021 04:58:10
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जो व्यक्ति शास्त्र विधियों का उल्लंघन कर मनमाना आचरण करने लगता है उसे सिद्धि, पूर्णता, सुख या परम गति कुछ भी प्राप्त नहीं होता। शास्त्रविधि के अनुसार ही स्वधर्म आचरण करना चाहिए, अन्यथा पारमार्थिक जगत का सुख भी प्राप्त नहीं हो सकेगा। Swami Avdheshanand #SwamiApurvanandGiri #गीता


“कृतज्ञता धर्मलक्षणं सतां सदा। कृतघ्नः स्यात् पतितो निःश्रेयसाच्युतः।।” कृतज्ञता सदा सज्जनों का धर्म-लक्षण है। और जो कृतघ्न (अकृतज्ञ) होता है, वह श्रेष्ठ जीवन से पृथक हो जाता है। Swami Avdheshanand #AvdheshanandG_Quotes #SwamiApurvanandGiri #सुविचार


स्वर्ण का मृग (हिरण) न तो किसी के द्वारा निर्मित हुआ, न पहले कभी देखा गया और न किसी से सुना ही गया। फिर भी श्री रामचन्द्र जी की कामना उसे पाने की हुई। ठीक वैसे ही, विनाश का समय आने पर मनुष्य की बुद्धि उल्टी हो जाती है। Swami Avdheshanand #AvdheshanandG_Quotes #SwamiApurvanandGiri



आपके रास्ते कठिनाइयों से भरे हुए होंगे।अति दुर्गम रास्तों का भी सामना तुम्हें करना पड़ सकता है।लेकिन महापुरुषों का कहना हैं कि कठिन रास्ते चलने के लिए ही बने हैं। इसलिए उठो! जागो! और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अग्रसर हो, सफलता आपके चरण चूमेगी। Swami Avdheshanand #ApurvanandGiri



"न ही कश्चित् विजानाति किं कस्य श्वो भविष्यति । अतः श्वः करणीयानि कुर्यादद्यैव बुद्धिमान् ।।" किसी को नहीं पता कि कल क्या होगा इसलिए जो भी कार्य करना है आज ही कर ले यही बुद्धिमान इंसान की निशानी है। Swami Avdheshanand #AvdheshanandG_Quotes #ApurvanandGiri #सुविचार


"उत्तमे तु क्षणे कोपो मध्यमे घटिकाद्वयम् । अधमे स्यादहोरात्रं चाण्डाले मरणान्तिक:।।" उत्तम मनुष्य का क्रोध क्षणभर का ही होता है, मध्यम मनुष्य का क्रोध दो घड़ी, अधम का क्रोध एक दिन और रात तथा अतिनीच मनुष्य का क्रोध जीवन भर चलता है। Swami Avdheshanand #AvdheshanandG_Quotes #सुविचार


बसंत ऋतु का क्या दोष है, यदि बाँस पर पत्ते नहीं आते? सूर्य का क्या दोष, यदि उल्लू दिन में देख नहीं सकता? बादलों का क्या दोष, यदि बारिश की बूँदें चातक पक्षी की चोच में नहीं गिरती? उसे कोई कैसे बदल सकता है, जो किसी के मूल में है। Swami Avdheshanand #SwamiApurvanandGiri #सुविचार



जो विश्व के हित में लगे रहते हैं, बहुत से रूप धारण करते हैं, उन भगवान् शंकर को मैं प्रणाम करता हूँ। जो संसार के रक्षक तथा सत् और असत् के निर्माता हैं, उन विश्वपति को मैं नमस्कार करता हूँ। Swami Avdheshanand #AvdheshanandG_Quotes #SwamiApurvanandGiri #विश्वनाथ



"सत्यस्य वचनं श्रेयः सत्यादपि हितं वदेत् । यद्भूतहितमत्यन्तं एतत् सत्यं मतं मम् ।।" यद्यपि सत्य वचन बोलना श्रेयस्कर है तथापि उस सत्य को ही बोलना चाहिए, जिससे सर्वजन का कल्याण हो। देवर्षि नारद जी के विचार से तो जो बात सभी का कल्याण करती है, वही सत्य है। Swami Avdheshanand #सुविचार




"मध्विव मन्यते बालो यावत् पापं न पच्यते। यदा च पच्यते पापं दु:खं चाथ निगच्छति ।।" जब तक पाप सम्पूर्ण रूप से फलित नही होता, तब तक वह पाप कर्म मधुर लगता है। परन्तु पूर्णत: फलित होने के पश्चात् मनुष्य को उसके कटु परिणाम सहन करने ही पड़ते हैं। Swami Avdheshanand #SwamiApurvanandGiri


"प्रेम एव हि सतां धर्मः प्रेम एव परं तपः। प्रेममूलानि सर्वाणि श्रेयांसि विविधानि च॥" - (महाभारत – शान्तिपर्व) श्रेष्ठ जनों का धर्म प्रेम ही है, और प्रेम ही परम तपस्या है। सकल कल्याण की जड़ भी प्रेम ही है। Swami Avdheshanand #AvdheshanandG_Quotes #SwamiApurvanandGiri #सुविचार


"धर्मादर्थः प्रभवति धर्मात् प्रभवते सुखम् । धर्मेण लभते सर्वं धर्मसारमिदं जगत् ।।" धर्म से अर्थ प्राप्त होता है, धर्म से सुख का उदय होता है और धर्म से ही मनुष्य सब कुछ पा लेता है। इस संसार में धर्म ही सार है। Swami Avdheshanand #AvdheshanandG_Quotes #swamiapurvanandgiri #सुविचार


जिसका हृदय विशाल है, जिसके मन में सभी के लिए दया भाव है, जिसकी वाणी और आचरण सत्य से भरा हुआ है, और जिसका शरीर दूसरों के हित के लिए है, यानि जो मनुष्य- समाज क्षेत्र और राष्ट्र को परिवार मानता है, कलियुग उसका क्या बिगाड़ सकता है? अर्थात् उसका अहित हो ही नही सकता ! Swami Avdheshanand


स्वर्ण का मृग (हिरण) न तो किसी के द्वारा निर्मित हुआ, न पहले कभी देखा गया और न किसी से सुना ही गया। फिर भी श्री रामचन्द्र जी की कामना उसे पाने की हुई। ठीक वैसे ही, विनाश का समय आने पर मनुष्य की बुद्धि उल्टी हो जाती है। Swami Avdheshanand #AvdheshanandG_Quotes #SwamiApurvanandGiri
