
Prakash K Ray
@pkray11
इसी कायनात में ऐ 'जिगर' कोई इंक़लाब उठेगा फिर /
कि बुलंद हो के भी आदमी अभी ख़्वाहिशों का ग़ुलाम है
ID: 54389413
https://pkray11.com 07-07-2009 00:31:14
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