#भगवान_के_चश्मदीद_गवाह
जिन मोकुं निज नाम दिया, सोई सतगुरु हमार।
दादू दूसरा कोए नही, कबीर सृजनहार।।
इस वाणी मे दादू जी ने कहा है कि बूढ़े बाबा के रूप मे आकर जिसने मुझे सच्चा नाम दिया; वह कोई और नही बल्कि सर्व सृष्टि के रचनहार कबीर परमेश्वर जी है।🙏
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सूफी संत रूमी को कबीर परमात्मा शम्स तबरेज के रूप में 15 नवंबर 1244 को कोन्या में मिले। जिसके बाद रूमी ने अपने मुर्शिद (गुरू) शम्स तबरेज की बड़ाई में लिखी दो रचनाओं मसनवी और दीवान-ए-कबीर में भी कबीर परमात्मा अर्थात
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आज से 28 वर्ष पूर्व संत रामपाल जी महाराज को परमेश्वर कबीर साहेब जी संवत् 2054 फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष एकम (मार्च 1997) को दिन के दस बजे मिले थे। जिसका जिक्र संत रामपाल जी महाराज ने अपने द्वारा लिखित पुस्तक आध्यात्मिक ज्ञान गंगा
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मलूक दास जी को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब मिले थे। जिसकी गवाही उन्होंने अपनी वाणी में दिया है:
जपो रे मन सतगुरु नाम कबीर।
जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर।
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर।
दास मलूक सलूक कहत हैं,🌹🌼😴
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कबीर प्रभु के आँखों देखे गवाह
जिन मोकुं निज नाम दिया, सोई सतगुरु हमार।
दादू दूसरा कोए नहीं, कबीर सृजनहार।।
इस वाणी में दादू जी ने कहा है कि बूढ़े बाबा के रूप में आकर जिसने मुझे सच्चा नाम दिया; वह कोई और नहीं बल्कि सर्व सृष्टि
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जिन मोकुं निज नाम दिया, सोई सतगुरु हमार।
दादू दूसरा कोए नहीं, कबीर सृजनहार।।
इस वाणी में दादू जी ने कहा है कि बूढ़े बाबा के रूप में आकर जिसने मुझे सच्चा नाम दिया; वह कोई और नहीं बल्कि सर्व सृष्टि के रचनहार कबीर परमेश्वर जी हैं।
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इस्लाम धर्म के प्रवर्तक माने जाने वाले हज़रत मुहम्मद को कबीर परमात्मा मिले थे। इस विषय में संत गरीबदास जी ने कहा है:
होते नबी मुहम्मद पीरा। जाकूँ मुर्शिद मिले कबीरा।।
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♦️ संत रविदास ने पहले रामानंद जी को गुरु बनाया था लेकिन कबीर परमात्मा की समर्थता से परिचित होकर उन्होंने कबीर जी को अपना गुरु स्वीकार किया था। जिसका प्रमाण पुस्तक रैदास वाणी, पृष्ठ 290 पर है:
सो तुम गावौ सो मैं
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