कबीर, आग पराई आपनी, हाथ दियें जल जाये।
नारी पराई आपनी, परसें बिन्द नसाया।।
भावार्थ:- जैसे अग्नि अपने घर की हो, चाहे दूसरे घर की, हाथ देने से हाथ जलेगा। इसी प्रकार स्त्री अपनी हो या अन्य की, मिलन करने से एक जैसी ही हानि होती है। परंतु भक्ति मार्ग पर लगने से सुधार हो जाता है। दोनों
#शिवजी_की_समर्थता
शिव जी अंतर्यामी भी नहीं हैं। उन्होंने तपस्या से खुश होकर भस्मासुर को भस्म कंडा दे दिया। वे ये भी नहीं जान पाए कि भस्मासुर के दिमाग में क्या चल रहा है। इससे साबित होता है कि शिव जी अंतर्यामी नहीं है। (1/2),
#कांवड़_में_कोरा_पाप_है
सावन के महीने में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जो कांवड़ यात्रा में आने जाने में पैरों तले कुचले जाने में मर जाते हैं। जिससे जीव हत्या का भयंकर पाप लगता है।
Kanwar Yatra Is Sinful
शिवजी, कांवड़ लाने से नही बल्कि तत्वदर्शी सन्त द्वारा दिये गए उनके मूल मंत्र का जाप करने से प्रसन्न होते हैं।
जागो भोले लोगों, जागो #कांवड़_में_कोरा_पाप_है क्योंकि कांवड़ यात्रा शास्त्र विरूद्ध साधना है। Kanwar Yatra Is Sinful 🙏🏻
कांवड़ यात्रा, एक शास्त्र विरुद्ध साधना है और गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता। बल्कि
#कांवड़_में_कोरा_पाप_है पुण्य कोई नहीं सूक्ष्मवेद में बताया गया है:
गरीब, तीर्थ बाट चलै जो प्राणी। सोतो जन्म-जन्म उरझानी।।
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कांवड़ कोरा पाप है
गंगा तो शिव के लोक में बने जटा कुंडली डैम में है। उसे यहाँ से ले जाने की जरूरत नहीं है। रही बात कांवड़ यात्रा की तो सावन में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जिस वजह से कांवड़ के लाने में सबसे ज्यादा जीव मरते हैं
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कांवड़ यात्रा के करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं या नहीं?
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जानने के लिए पढ़ें पवित्र पुस्तक
हिंदू साहेबान!नहीं समझे गीता,वेद ,पुराण
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जा तीर्थ पर कर है दानं। ता पर जीव मरत है अरबानं।।
गोते-गोते पड़ि है भारं। गंगा जमना गए केदारं।।
#सावन_सोमवार
#हर_हर_महादेव_शिव_शंभू_ॐ
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Kanwar Yatra Is सिंफुल
🙏🌹कांवड़ से पाप के अतिरिक्त कुछ नहीं शिव जी के लोक में बने जटा कुंडली डैम में गंगा शुद्ध रूप में है और वहीं से गंगा पृथ्वी पर आई है। उस जल को इधर लेने आने की आवश्यकता नहीं है। रही बात कांवड़ की तो
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भगवान शिव तथा महाशिव में अंतर स्पष्ट रूप से देवी भागवत पुराण के पृष्ठ 114 से 118 पर अंकित है।
महाशिव इन तीनों भगवानों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) से भिन्न है जिसे हम महाकाल भी कहते हैं।
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कांवड़ यात्रा पर भगवान शिव को कैसे प्रसन्न करें ?
भगवान शिव का मंत्र तत्वदर्शी संत द्वारा लेकर जाप करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं तथा अपने स्तर का लाभ साधक को प्रदान करते हैं।
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#कांवड़_में_कोरा_पाप_है
पवित्र गीता जी के अनुसार व्रत नहीं करना चाहिए। गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में लिखा है
देखें साधना चैनल शाम 07:30 बजे।🖥️
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#कांवड़_में_कोरा_पाप_है
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#कांवड़_में_कोरा_पाप_है
कांवड़ की तो आन उपासना से शिव जी प्रसन्न नहीं हो सकते। क्योंकि सावन में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जिससे कांवड़ के लाने में सबसे ज्यादा जीव पैरों के नीचे मरते हैं और इसका पाप कांवड़ियों को लगता है।
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क्या आपको पता हैं #कांवड़_में_कोरा_पाप_है पुण्य नहीं ?
सावन के महीने में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जिससे कांवड़ यात्रा में आने जाने में पैरों तले सबसे ज्यादा जीव मरते हैं। जिस वजह से पुण्य के स्थान पर अत्यधिक पाप होते हैं।
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🌱आन उपसना से शिव जी प्रसन्न नहीं हो सकते। क्योंकि सावन में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जिससे कांवड़ के लाने में सबसे ज्यादा जीव मरते हैं और इसका पाप कांवड़ियों को लगता है।
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कांवड़ यात्रा से पाप होते हैं या पुण्य?
कांवड़ यात्रा, एक शास्त्र विरुद्ध साधना है और गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता।
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कावड़ यात्रा में जाने से पाप है सावन के महीने में सबसे ज्यादा जीव उत्पन्न होते हैं जो कावड़ यात्रा में आने-जाने में पैरों तले कुचल कर मर जाते हैं वह पाप सारे कावड़ियों पर लगता है
क्या आप जानते हैं? #मोक्ष_मंत्र_क्या_है
राधे-राधे श्याम मिला दे, ॐ नमः शिवाय, जय माता दी आदि मंत्रों से मोक्ष संभव नहीं है। क्योंकि ये मनमाने मंत्र हैं जिनका प्रमाण किसी भी श्रीमद्भगवत गीता, चारों वेदों में नहीं है।