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Nadeem

@nadeemNBT

राज्य सूचना आयुक्त , उत्तर प्रदेश, पूर्व संपादक-नवभारत टाइम्स, लखनऊ , पूर्व स्टेट ब्यूरो चीफ़ दैनिक जागरण

ID:333509659

calendar_today11-07-2011 17:07:48

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जिस लोकप्राधिकरण में RTI के तहत सूचना माँगी गई है,सूचना का कुछ हिस्सा एक अन्य प्राधिकरण से संबंधित है तो PIO आवेदन को उस प्राधिकरण को भी अंतरित करेगा।
लेकिन कुछ हिस्सा दो या अधिक अन्य प्राधिकरणों से जुड़ा होने पर आवेदन अंतरित नहीं होगा उन प्रधिकरणों से अलग से सूचना माँगनी होगी।

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जिस लोकप्राधिकरण में RTI के तहत सूचना माँगी गई है,सूचना का कुछ हिस्सा एक अन्य प्राधिकरण से संबंधित है तो PIO आवेदन को उस प्राधिकरण को भी अंतरित करेगा।
लेकिन कुछ हिस्सा दो या अधिक अन्य प्राधिकरणों से जुड़ा होने पर आवेदन अंतरित नहीं होगा उन प्रधिकरणों से अलग से सूचना माँगनी होगी।

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RTI Act आमजन के लिए ही है।इस्तेमाल खूब करिए लेकिन ध्यान रखें कहीं आप मोहरा तो नहीं बन रहे?

कई दृष्टांत ऐसे गुजरे हैं कि एक ही इलाक़े से कई अलग अलग व्यक्तियों के नाम से आवेदन हैं लेकिन आयोग के समक्ष उनकी ओर से हाज़िर होने के आथर्टी लेटर एक ही व्यक्ति को हैं। आवेदक ब्लैंक हैं।

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RTI Act आमजन के लिए ही है।इस्तेमाल खूब करिए लेकिन ध्यान रखें कहीं आप मोहरा तो नहीं बन रहे?

कई दृष्टांत ऐसे गुजरे हैं कि एक ही इलाक़े से कई अलग अलग व्यक्तियों के नाम से आवेदन हैं लेकिन आयोग के समक्ष उनकी ओर से हाज़िर होने के आथर्टी लेटर एक ही व्यक्ति को हैं। आवेदक ब्लैंक हैं।

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अगर किसी लोक प्राधिकरण से आवेदक को 30 अंदर सूचना नहीं मिलती या जो सूचना मिली उससे वो संतुष्ट नहीं है तो दो विकल्प होते हैं-
उसी प्राधिकरण में प्रथम अपील फ़ाइल करे
या राज्य सूचना आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराये।

प्रथम अपील से भी संतुष्ट न होने पर आयोग में द्वितीय अपील होती है।

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अगर किसी लोक प्राधिकरण से आवेदक को 30 अंदर सूचना नहीं मिलती या जो सूचना मिली उससे वो संतुष्ट नहीं है तो दो विकल्प होते हैं-
उसी प्राधिकरण में प्रथम अपील फ़ाइल करे
या राज्य सूचना आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराये।

प्रथम अपील से भी संतुष्ट न होने पर आयोग में द्वितीय अपील होती है।

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अपील/ शिकायत पर सुनवाई करते हुए अगर सूचना आयोग पाता है कि PIO ने बग़ैर किसी उचित कारण के आवेदन स्वीकार नहीं किया या गलत सूचना दी या सूचना दी ही नहीं तो वो PIO के ख़िलाफ़ अर्थदंड के साथ-साथ अनुशासनिक कार्यवाई की अनुशंसा कर सकता है।

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अपील/ शिकायत पर सुनवाई करते हुए अगर सूचना आयोग पाता है कि PIO ने बग़ैर किसी उचित कारण के आवेदन स्वीकार नहीं किया या गलत सूचना दी या सूचना दी ही नहीं तो वो PIO के ख़िलाफ़ अर्थदंड के साथ-साथ अनुशासनिक कार्यवाई की अनुशंसा कर सकता है।

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शिकायत और द्वितीय अपील दोनों ही आयोग के समक्ष होती हैं लेकिन दोनों में फ़र्क़ है:

शिकायत PIO को दंडित करने का निवेदन है, इसमें सूचना की माँग नहीं की जा सकती और ना आयोग सूचना देने का आदेश दे सकता है।

द्वितीय अपील में सूचना भी मांगी जा सकती और PIO दंडित करने का निवेदन भी।

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शिकायत और द्वितीय अपील दोनों ही आयोग के समक्ष होती हैं लेकिन दोनों में फ़र्क़ है:

शिकायत PIO को दंडित करने का निवेदन है, इसमें सूचना की माँग नहीं की जा सकती और ना आयोग सूचना देने का आदेश दे सकता है।

द्वितीय अपील में सूचना भी मांगी जा सकती और PIO दंडित करने का निवेदन भी।

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RTI Act में PIO मांगी गई सूचना के लिए अपने प्राधिकरण के किसी भी अधिकारी-कर्मचारी से सहायता मांग सकता है, जिससे सूचना दी जा सके।

अगर वो अधिकारी- कर्मचारी सहायता नहीं करता है तो ऐसा नहीं है कि PIO ही दंडित होगा बल्कि सहायता ना करने वाले को भी दंडित करने अधिकार आयोग के पास है।

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RTI Act में PIO मांगी गई सूचना के लिए अपने प्राधिकरण के किसी भी अधिकारी-कर्मचारी से सहायता मांग सकता है, जिससे सूचना दी जा सके।

अगर वो अधिकारी- कर्मचारी सहायता नहीं करता है तो ऐसा नहीं है कि PIO ही दंडित होगा बल्कि सहायता ना करने वाले को भी दंडित करने अधिकार आयोग के पास है।

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Raj Kumar Singh(@rajkumarspeaks) 's Twitter Profile Photo

ईश्वर मुस्कुराता है-

जब भी कहीं कोई
करता है भरोसा किसी पर
ईश्वर को मुस्कुराने की
एक वज़ह मिल जाती है,
जब भी कहीं कोई
करता है भरोसा किसी पर
इस अंधेरे कमरे में
एक खिड़की खुल जाती है…

-राज कुमार सिंह

Rajkamal Prakashan 📚

ईश्वर मुस्कुराता है- जब भी कहीं कोई करता है भरोसा किसी पर ईश्वर को मुस्कुराने की एक वज़ह मिल जाती है, जब भी कहीं कोई करता है भरोसा किसी पर इस अंधेरे कमरे में एक खिड़की खुल जाती है… -राज कुमार सिंह #PoetryRajKumar @RajkamalBooks
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RTI एक्ट में पति-पत्नी को अलग-अलग नागरिक माना गया है। पति-पत्नी अगर एक दूसरे की कोई व्यक्तिगत सूचना मांगते है तो इस आधार पर नहीं दी जा सकती कि दोनों पति-पत्नी हैं।

पति-पत्नी को भी एक दूसरे की व्यक्तिगत सूचना लेने के लिए यह साबित करना होगा कि यह सूचना व्यापक लोकहित में है।

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पति-पत्नी को भी एक दूसरे की व्यक्तिगत सूचना लेने के लिए यह साबित करना होगा कि यह सूचना व्यापक लोकहित में है।

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RTI Act बैंकों से भी सूचना मांगने का अधिकार देता है। यह भी लोक प्राधिकरण हैं। इन सबके यहां जन सूचना अधिकारी नामित होते हैं।

बस फ़र्क़ यह है कि अगर बैंक सूचना नहीं देते हैं तो अपील/शिकायत राज्य सूचना आयोग के बजाय केंद्रीय सूचना आयोग दिल्ली के समक्ष हो सकेगी।

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RTI Act कहता है कि सूचनाएं केवल उसी रूप में दी जा सकती हैं, जिस रूप में उपलब्ध हैं। उनका विश्लेषण या कोई राय या विमर्श ना दिया जा सकता है और ना माँगा जा सकता है।

उदाहरण , इस सूचना का कोई जवाब नहीं दिया जा सकता कि कम मतदान का क्या कारण है?

जनसूचना अधिकारी केवल मतदान का % देगा।

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RTI Act बैंकों से भी सूचना मांगने का अधिकार देता है। यह भी लोक प्राधिकरण हैं। इन सबके यहां जन सूचना अधिकारी नामित होते हैं।

बस फ़र्क़ यह है कि अगर बैंक सूचना नहीं देते हैं तो अपील/शिकायत राज्य सूचना आयोग के बजाय केंद्रीय सूचना आयोग दिल्ली के समक्ष हो सकेगी।

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सामान्यतया RTI में सूचना के लिये वजह बताना ज़रूरी नहीं है लेकिन अगर सूचना थर्ड पार्टी/निजी श्रेणी की है तो बताना होगा कि इसमें क्या लोकहित है?

एक आवेदक ने एक अधिकारी का बैंक स्टेटमेंट मांगा है, यह निजी श्रेणी है लेकिन आवेदक का कहना है कि ट्रान्सजेक्शन से एक रैकेट का खुलासा होगा।

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सामान्यतया RTI में सूचना के लिये वजह बताना ज़रूरी नहीं है लेकिन अगर सूचना थर्ड पार्टी/निजी श्रेणी की है तो बताना होगा कि इसमें क्या लोकहित है?

एक आवेदक ने एक अधिकारी का बैंक स्टेटमेंट मांगा है, यह निजी श्रेणी है लेकिन आवेदक का कहना है कि ट्रान्सजेक्शन से एक रैकेट का खुलासा होगा।

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