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राष्ट्रकवि दिनकर

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calendar_today02-12-2019 21:16:17

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फण शेषनाग का डोलेगा, विकराल काल मुँह खोलेगा। दुर्योधन! रण ऐसा होगा, फिर कभी नहीं जैसा होगा।

फण शेषनाग का डोलेगा,
विकराल काल मुँह खोलेगा। 
दुर्योधन! रण ऐसा होगा, 
फिर कभी नहीं जैसा होगा।
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अनुकूल ज्योति की घड़ी न मेरी होगी, मैं आऊँगा जब रात अन्धेरी होगी। 🔥🔥

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धमकी, जिहाद के नारों से, हथियारों से कश्मीर कभी हथिया लोगे यह मत समझो...

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दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुनः अखंड बनाएँगे। गिलगित से गारो पर्वत तक आजादी पर्व मनाएँगे॥ - अटल बिहारी वाजपेई

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रावलपिंडी से कराची तक सब कुछ गारत हो जायेगा, सिंधु नदी के आर पार पूरा भारत हो जायेगा । #IndiaPakistanWar

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माँगेगी जो रणचण्डी भेंट, चढ़ेगी। लाशों पर चढ़ कर आगे फौज बढ़ेगी।

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लाशों पर चढ़ कर आगे फौज बढ़ेगी।
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काटेंगे अरि का मुण्ड कि स्वयं कटेंगे, पीछे, परन्तु, सीमा से नहीं हटेंगे।

काटेंगे अरि का मुण्ड कि स्वयं कटेंगे,
पीछे, परन्तु, सीमा से नहीं हटेंगे।
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यमुना में सुनो! कालिया अब भी रहता है हे! कृष्ण समय है पुनः तुम्हारे आने का तुम यदा-यदा कहकर धरती से गए कृष्ण है समय उसे इति-सिद्धम तक ले जाने का।

यमुना में सुनो! कालिया अब भी रहता है
हे! कृष्ण समय है पुनः तुम्हारे आने का
तुम यदा-यदा कहकर धरती से गए कृष्ण
है समय उसे इति-सिद्धम तक ले जाने का।
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इस झण्डे में शान चमकती है मरने वालों की, भीमकाय पर्वत से मुट्ठीभर लड़नेवालों की। थामो इसे; शपथ लो, बलि का कोई क्रम न रुकेगा, चाहे जो हो जाए मगर, यह झण्डा नहीं झुकेगा।

इस झण्डे में शान चमकती है मरने वालों की,
भीमकाय पर्वत से मुट्ठीभर लड़नेवालों की।

थामो इसे; शपथ लो, बलि का कोई क्रम न रुकेगा,
चाहे जो हो जाए मगर, यह झण्डा नहीं झुकेगा।
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किसका खून नहीं खौलेगा पढ़-सुनकर अखबारों में, सिंहों की पेशी करवा दी चूहों के दरबारों में !! - हरिओम पंवार

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दुनिया के सरपंच हमारे थानेदार नहीं लगते, भारत की प्रभुसत्ता के वो ठेकेदार नहीं लगते। आँख मिलाओ दुनिया के दादाओं से, क्या डरना अमरीका के आकाओं से। - हरिओम पंवार

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संघर्षों की समर भूमि में, हमसे पूछो हम कैसे हैं, कालचक्र के चक्रव्यूह में, हम भी अभिमन्यु जैसे हैं।

संघर्षों की समर भूमि में, हमसे पूछो हम कैसे हैं,
कालचक्र के चक्रव्यूह में, हम भी अभिमन्यु जैसे हैं।
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अनुकूल ज्योति की घड़ी न मेरी होगी, मैं आऊँगा जब रात अन्धेरी होगी।

अनुकूल ज्योति की घड़ी न मेरी होगी,
मैं आऊँगा जब रात अन्धेरी होगी।