रोशनी ढल रही है, पर उम्मीद नहीं।
हर अंत के बाद एक शुरुआत होती है, यह हमें प्रकृति सिखाती है। सूरज सिर्फ़ आज के लिए अलविदा कहता है ताकि कल की किरणें और भी ज़्यादा ख़ूबसूरत लगें।
कमेंट में बताएं कि आपके लिए नई सुबह का क्या मतलब है।
वर्तमान समय में मानसिक स्वास्थ्य बहुत मायने रखता है दोस्तों इसलिए ऐसे लोगों से दूर रहें जो आपकी शांति भंग करते हो या आपको तनाव देते हों।
बेकार में तनाव न हो इसलिए अच्छा देखें सुने और बोलें सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ें।
क्या हमारी चुप्पी ही हमारी बर्बादी का कारण बनेगी?
ये हाल आज हमारे देश का है। जब तक दाना-पानी मिल रहा है, हम सोचते हैं, 'चलने दो, हमारे ऊपर थोड़ी गुजर रही है।
इतिहास गवाह है, जब भी किसी ने जुल्म के खिलाफ आवाज नहीं उठाई, तो उस जुल्म ने सबको अपना शिकार बनाया है।
हमें यह समझना
जब देश में हाहाकार मचा था।
एक समय की बात है। 6 बरस बीत गए, लेकिन न बादल बरसे, न बिजली कड़की। खेत सूख गए, किसान सूख गए, और देश की आँखें भी सूख गईं। गाँवों में चूल्हे ठंडे पड़े थे, कुएँ की तली में सिर्फ़ दरारें बची थीं, और बच्चे भूख से रोते-रोते मौन हो गए थे।
लोगों ने सब कोशिश कर
सच्चे लोगों पर भी उतना ही भरोसा रखिये ,
जितना दवाइयों पर रखते हैं l
बेशक़ थोड़े कड़वे होंगे पर फायदेमंद ही होंगे !
याद रखिए,
दवा भी कड़वी होती है लेकिन वही ज़िंदगी बचाती है।
इसलिए सच्चे लोगों से कभी दूर मत जाइए,
वही आपके सफ़र को आसान और सफल बनाते हैं।
Kya aapko pata hai..
दहेज कभी एक रिवाज था,माँ-बाप की बेटियों के लिए एक प्यार भरी भेंट।
लेकिन यह रिवाज कब राक्षस बन गया, कोई नहीं जान पाया।
आज ससुराल वाले दहेज को अपना हक समझते हैं।
शादी से पहले यह तय होता है कि कितना दहेज मिलेगा, और जब माँगें पूरी नहीं होतीं तो बेटियों की
एक लड़की की इच्छा.........
मैं गांठ हृदय की खोलूँ क्या,
कंधे पर सिर रख रोलूँ क्या।
तुम आंखों से सब पढ़ लो ना,
मैं मुँह से आखिर बोलूं क्या।
ये इश्क़ मोहब्बत प्यार वफ़ा,
तुम छोड़ चले मैं ढो लूँ क्या।
कुछ दूर अभी अंधियारा है,
मैं साथ तुम्हारे हो लूँ क्या।
कई रंग उभर के आयेंगे
नंबर झूठ नहीं बोलते – राहुल गांधी आगे हैं, मोदी पीछे छूट रहे हैं!
गली-गली से लेकर सोशल मीडिया की गलियों तक, जनता अब आँखें खोल चुकी है। सच की आवाज़ दबाई जा सकती है, मिटाई नहीं जा सकती।
राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी सोशल मीडिया पर .
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Shuna na...
भगवान श्री रामचंद्र जी का विवाह और राज्याभिषेक दोनों ही शुभ मुहूर्त में हुए थे,
फिर भी न तो उनका राज्याभिषेक पूरी तरह सम्पन्न हो पाया और न ही उनका वैवाहिक जीवन पूरी तरह सुखमय रहा।
जब मुनि वशिष्ठ से इसका कारण पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा:
सुनहु भरत
समस्या को खत्म मत करो, समस्या पैदा करना बंद करो!
समस्या का समाधान ढूंढना अक्सर बस एक पट्टी बांधने जैसा होता है। असली समझदारी तो समस्या की जड़ को खत्म करने में है, ताकि वह दोबारा कभी पैदा ही न हो।
इस विचार को सिर्फ लाइक न करें, इसे अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाएं।
हाथ उसका पकड़ो जो हर मुश्किल में साथ दे, जो आंधियों में भी तुम्हें संभाले और कभी अकेला न छोड़े। दुनिया के शोर में वही रिश्ता सच्चा है जो भरोसे पर खड़ा हो। ऐसे हाथों को थाम लो, क्योंकि यही हाथ जीवनभर सहारा बनते हैं।
धनखड़ जी का पेंशन गणित:
उपराष्ट्रपति : ₹2.25 लाख
सांसद : ₹27,500
विधायक : ₹42,000
कुल ~₹3 लाख / माह + गाड़ी, स्टाफ़, हवाई-रेल यात्रा छूट, सुरक्षा, मेडिकल सब मुफ्त।
यानी एक नेता = तीन पेंशन।
कर्मचारी – 35 साल काम करो लेकिन नेता एक दिन भी सदन में बैठ जाए, तो