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Shadab Liyakat

@khansk_

मुसलमान इब्न-ए इस्लाम | Socio-Economic & Political Activist | Reviewer.

ID:1241100590601646082

calendar_today20-03-2020 20:33:59

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मैं क्यूं किसी और कॉन्स्टिट्यूशन या निज़ाम पर ईमान लाऊं जबकि मेरे पास मेरे रब (अल्लाह) का कॉन्स्टिट्यूशन और निज़ाम मौजूद है ?

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इस्लाम के शाहीन को ख़ाक़बाज़ी सिखाते हुए उलमा-ए सू ।

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और मत मिलाओ हक़ को बातिल के साथ और न ही हक़ को छिपाओ जबकि तुम जानते हो।

- Al Quran

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डेमोक्रेटिक सिस्टम का कोई दीनी असास नहीं होता है इसलिए वह अपने रिप्रेजेंटेटिव पर 'बे-दीन' होने की शराएत आइद करता है। डेमोक्रेटिक सिस्टम में हिस्सा लेने वालो़ं या उसे रिप्रेजेंट करने वालों को दीन और धर्म से कुछ लेना-देना नहीं होता है।

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डेमोक्रेटिक सिस्टम का कोई दीनी असास नहीं है जबकि एक मुसलमान होने के नाते हमारा कोई भी क़ील व फ़ा'ल दीन से बाहर नहीं है, न तुम हमारे दीन से इस्तेफादा करने पर आमादा हो और न ही हमें हमारे लिए एक बेदीनी सिस्टम मंजूर है, लेहाजा अब कम से कम डेमोक्रेटिक सिस्टम से आगे की बात होनी चाहिए।

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इस्लाम के शाहीन को ख़ाक़बाज़ी सिखाते हुए उलमा-ए सू ।

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डेमोक्रेटिक सिस्टम का कोई दीनी असास नहीं है जबकि एक मुसलमान होने के नाते हमारा कोई भी क़ील व फ़ा'ल दीन से बाहर नहीं है, न तुम हमारे दीन से इस्तेफादा करने पर आमादा हो और न ही हमें हमारे लिए एक बेदीनी सिस्टम मंजूर है, लेहाजा अब कम से कम डेमोक्रेटिक सिस्टम से आगे की बात होनी चाहिए।

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डेमोक्रेटिक सिस्टम का कोई दीनी असास नहीं होता है इसलिए वह अपने रिप्रेजेंटेटिव पर 'बे-दीन' होने की शराएत आइद करता है। डेमोक्रेटिक सिस्टम में हिस्सा लेने वालो़ं या उसे रिप्रेजेंट करने वालों को दीन और धर्म से कुछ लेना-देना नहीं होता है।

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मैं क्यूं किसी और कॉन्स्टिट्यूशन या निज़ाम पर ईमान लाऊं जबकि मेरे पास मेरे रब (अल्लाह) का कॉन्स्टिट्यूशन और निज़ाम मौजूद है ?

मैं क्यूं किसी और कॉन्स्टिट्यूशन या निज़ाम पर ईमान लाऊं जबकि मेरे पास मेरे रब (अल्लाह) का कॉन्स्टिट्यूशन और निज़ाम मौजूद है ?
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और मत मिलाओ हक़ को बातिल के साथ और न ही हक़ को छिपाओ जबकि तुम जानते हो।

- Al Quran

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जब कोई मुसलमान इस्लामिक वैल्यूज़ और प्रिंसिपल के मुताबिक़ अपने मूल मुद्दों की बात करता है तो सेक्युलर पार्टियों और गंगा जमुनी तहज़ीब के लोगों के नज़दीक एक्सट्रीमिस्ट और एंटी नैशनलिस्ट हो जाता है। भला क्योंकर कोई मुसलमान, बाज़ लोगों की तरह हैवानी सतह पर अपनी ज़िन्दगी गुज़ारे ?

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सिस्टम पहले पूरी तरह से तसल्ली कर लेता है कि आया, फर्द-ए मुस्लिम में ईमान की चिंगारी तो मौजूद नहीं ?
है अगर इनको ख़तर कोई तो उस उम्मत से है
जिसकी ख़ाकिस्तर में है अबतक शरार-ए आरज़ू।

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हो सदाक़त के लिए जिस दिल में मरने की तड़प'
पहले अपने पैकर-ए ख़ाक़ी में जान पैदा करे ।

- डाक्टर इसरार अहमद

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इस्लामी मु'आशरे के इस्तेहकाम में करने के कुछ काम;

1 - Refrain from Haram: हर उस चीज़ से दस्तबर्दार होने की कोशिश करें जिससे अल्लाह रब्बुल आलमीन‌ की नाफरमानी लाज़िम आती हो।
2 - Personal Development: अपनी शख़्सियत को बेहतर बनाएं ( जिसमें ज़हनी ('इल्म) और माद्दी (ताक़त) सलाहियत भी

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मग़रिबी सियासत के ख़ेल में शरीक होकर कभी इनका मुख़ालिफ़ बनना कभी उनका मुख़ालिफ़ बनना, क़ौम का वक़्त ज़ाया करना है, मुस्लिम क़ौम का उरूज़ इत्तिबा-ए शरीअत पर मौक़ूफ है।

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सिस्टम पहले पूरी तरह से तसल्ली कर लेता है कि आया, फर्द-ए मुस्लिम में ईमान की चिंगारी तो मौजूद नहीं ?
है अगर इनको ख़तर कोई तो उस उम्मत से है
जिसकी ख़ाकिस्तर में है अबतक शरार-ए आरज़ू।

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Owaisi 🏴🏳️(@FiltrationTime) 's Twitter Profile Photo

**This is not about the girl**

- Preparing for UPSC is like training Muslim youth to become Alim or Mufti in the deen of secularism and liberalism.

- The qualified candidates don’t work for Muslims but work for state administration.

- A mufti of secularism, will support UCC.

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By stating that the Constitution is for majority rule, I cannot benefit my community collectively through my separate identity via the Constitution, except for some material gains.

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