#परमात्मा_की_पहचान
हक्का (सत) कबीर दयालु तू
गुरुग्रन्थ साहेब पृष्ठ 721, महला 1 में श्री नानक जी ने कहा है कि -
“हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदीगार। नानक बुगोयद जनु तुरा, तेरे चाकरां पाखाक”
भावार्थ: हे कबीर परमेश्वर जी मैं नानक कह रहा हूँ कि मेरा उद्धार हो गया,
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परमात्मा की पहचान
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ही हैं।
प्रमाण संख्या 1400 सामवेद उतार्चिक अध्याय 12 खण्ड 3 श्लोक 5 : (संत रामपाल जी महाराज द्वारा भाषा-भाष्य)
कुछ समय के लिए कबीर प्रभु अपना रूप बदलकर सामान्य व्यक्ति
परमात्मा शिशु रूप में प्रकट होकर लीला करता है। तब उनकी परवरिश कंवारी गायों के दूध से होती है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
यह लीला कबीर परमेश्वर ही आकर करते हैं।
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परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।
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कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं
"धाणक रूप रहा करतार"
राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ 24
नानक देव जी कहते हैं :-
मुझे धाणक रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया।
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#KabirParmatma_Prakat Diwas
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अगम निगम बोध के पृष्ठ 44 पर नानक जी का शब्द है:-
वाह-वाह कबीर गुरू पूरा है
शब्द
वाह-वाह कबीर गुरू पूरा है।(टेक)
पूरे गुरू की मैं बली जाऊँ जाका सकल जहूरा है।
अधर दुलीचे परे गुरूवन के, शिव ब्रह्मा जहाँ शूरा है।
श्वेत ध्वजा फरकत गुरूवन की, बाजत अनहद तूरा है।