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Sarthak

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calendar_today27-03-2017 06:29:08

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Tarksheel Adda (@tarksheeladda) 's Twitter Profile Photo

आज़ादी का अगर कुछ अर्थ है तो वह है लोगों से वो सब कह देने का अधिकार.. जो वे सुनना नहीं चाहते। जॉर्ज ऑरवेल

आज़ादी का अगर कुछ अर्थ है तो वह है लोगों से वो सब कह देने का अधिकार..
जो वे सुनना नहीं चाहते।

जॉर्ज ऑरवेल
Chaudhary Rohit Singh Yadav Office (@officeofcrsy) 's Twitter Profile Photo

स्त्री सम्भाल ही नहीं पाती वफ़ादार मर्द, कभी वहम में तो कभी अपने अहम में। ~ चौधरी रोहित सिंह यादव

ROHIT SINGH (@deshi__chora) 's Twitter Profile Photo

लड़कियों का बात का कभी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए बिल्कुल कह कर बर्बाद कर देती हैं 😂😂😂

Sejal_Voice (@sejalvoice) 's Twitter Profile Photo

कुछ चीजें पुरानी ही, बेहतर होती हैं,, जैसे कि प्रेम में, आधुनिकता अच्छी नहीं....। ~ सेजल x.com/sugarr_n_spice…

Tarksheel Adda (@tarksheeladda) 's Twitter Profile Photo

आँख वही देखती है जो, दिमाग समझने के लिए तैयार होता है। रॉबर्टसन डेविस

आँख वही देखती है जो, दिमाग समझने के लिए तैयार होता है।

रॉबर्टसन डेविस
News24 (@news24tvchannel) 's Twitter Profile Photo

"देश को इंडिया नहीं, भारत कहो" ◆ RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा #RSS #India #Bharat | RSS

"देश को इंडिया नहीं, भारत कहो"

◆ RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा 

#RSS #India #Bharat | RSS
संकलन (@sankalan_) 's Twitter Profile Photo

उड़ने दो मिट्टी को कहाँ तक उड़ेगी हवा का साथ छूटेगा तो ज़मीन पर आ गिरेगी..! #संकलन • #Sankalan

उड़ने दो मिट्टी को कहाँ तक उड़ेगी हवा का साथ छूटेगा तो ज़मीन पर आ  गिरेगी..!

#संकलन • #Sankalan
काव्य कुटीर (@kavyakutir) 's Twitter Profile Photo

सम्मान हमेशा समय और स्थिति का होता है और इंसान उसे अपना समझ लेता है। साभार: गीता ज्ञान🌷 #सुप्रभात

सम्मान 
हमेशा समय और स्थिति का होता है
और इंसान उसे अपना समझ लेता है।

साभार: गीता ज्ञान🌷
#सुप्रभात
Kitabganj (@kitabganj1) 's Twitter Profile Photo

दिनों ने कब का- मार दिया होता, ग़र रातें पनाह न देतीं।। (फ़ोटो: अज्ञात)

दिनों ने कब का-
मार दिया होता,

ग़र 
रातें पनाह न देतीं।। 

(फ़ोटो: अज्ञात)
Uljhi Diary (@uljhidiary) 's Twitter Profile Photo

रक्त वर्षों से नसों में खौलता है, आप कहते हैं क्षणिक उत्तेजना है। - दुष्यंत कुमार

रक्त वर्षों से नसों में खौलता है,
आप कहते हैं क्षणिक उत्तेजना है।

- दुष्यंत कुमार
The Poetic House (@thepoetichouse) 's Twitter Profile Photo

सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है, बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है। — रामधारी सिंह 'दिनकर'

साहित्य अड्डा (@sahitya_adda) 's Twitter Profile Photo

फूल बन कर जो जिया है वो यहाँ मसला गया ज़ीस्त को फ़ौलाद के सांचे में ढलना चाहिए ~ गोपालदास 'नीरज'