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Remant Mishra ,

@remantmishra5

हिन्दुस्तानी हैं हम,हिंदुस्तान है हमारा।
स्वर्ग से भी सुंदर प्राण से भी प्यारा।

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calendar_today06-01-2022 16:57:33

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किसे बताएं कि ये दिल अब किस हाल में है। तेरी जुदाई का आंसू आज भी रुमाल में है।

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तेरी जुल्फों की खुशबू से सांसों में जान है। वरना ये धड़कन चंद पलों का मेहमान है। पायल की धुन पे थिरकता है इश्क मेरा। तेरे बदौलत धरा से गगन तक पहचान है।

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नाकाम है इश्क,मोहब्बत बेवफा है जमाना। मैंने मोहब्बत बहुत की,मोहब्बत की दौर में।

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इंसानियत क्या दिखाएंगे ये मरे हुए लोग। भीड़ में बेजुबान पत्थर बने खड़े भुए लोग। मानवता से अधिक दानवता से भरे हुए लोग। जिंदा लाश की तरह कब्र में गरे हुए लोग।

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बिना कश्ति बिना पतवार दरिया पार करने चले हैं। तूफानों में खुद को किनार करने चले हैं।

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ज़िंदगी में हर किसी के , इश्क़ ही दीदार है कोई मरता हुस्न पे, अब दौलतों से प्यार है ज़िंदगी तो इश्क़ की, कश्ती से ही चलती रही नाम शुहरत कुछ नहीं, वह इश्क़ की ही डार है इश्क़ के ही दायरे में, बस रही है इल्तिज़ा कर मिरा उद्धार अल्ला, बंदा तेरे द्वार है

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बहुतों को ख़ुद के ही ताकत, पर बड़ा ही नाज़ है हर घड़ी हर पल ही उनका , जिस्म ही संसार है अक्ल इल्म़ से बहुत, छोटे बड़े होने लगे अक्ल का बंदा ही जैसे , आसमाॅं का यार है हर किसी को इस जहाॅं में , इश्क़ लंबी उम्र से इसलिए पल-पल इबादत ,होती बारं बार है

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इश्क़ बिन कोई करम, दुनिया में न मुमकीन है ये जहाॅं इश्कों गुल से ,हो गया गुलज़ार है अर्ज है रब से , गर इश्क़ दो तो पाक़ हो इश्क़ से मेरा तुम्हारा ,सबका बेड़ा पार है‼️❓

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देकर मरहम मोहब्बत का बीमार कर गया। चुपके चुपके मेरे दिल से प्यार कर गया। न तीर चलाया न तलवार चलाया न खून बहाया। दुश्मन दोस्त बनकर नजरों से वार कर गया।

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कुछ होते है जख्म ऐसे दिखा नहीं सकते। हर कोई मोहब्बत में बेवफा नहीं होते। होती कुछ मजबूरियां दिल की बता नहीं सकते। अपने ही दिल पर हक जता नहीं सकते।

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बूंद हूं अपने में मिला लो,दरिया मैं खुद ही बन जाऊंगा। बनकर मौज समंदर का साहिल से टकराऊंगा। आएगा जो आगोश में मेरे बन जाएगा मोती एक दिन। भटकी हुई कश्तियों को किनार लगाऊंगा।

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किस्मत जब जिंदगी के तूफानों से टकराती है। आँखें समंदर बन जाता है आंसू भर आती है। माझी हो चतुर सयान थामे पतवार हाथों में। अरमानों की कश्ति साहिल पर डूब जाती है।

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दर्दों का क्या कागजों पर लिखकर मिटा दिया करते हैं। जब हद से गुजर जाती है,अश्कों ने बहा दिया करते हैं। कौन लगाते हैं मरहम आज के जमाने में दोस्तों। बदलते दौर में लोग मोहब्बत भुला दिया करते हैं।

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लहू बहाने वाले भी जमाने में अमन चाहते हैं। कलियां तोड़ने वाले मुस्कुराता चमन चाहते हैं। दाना कहां डाले इंसानी परिंदों को अब यहां। जिसके पाँव में जमीं नहीं वो गगन चाहते हैं।

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आज जुल्फों में इश्क,मुस्कुराया है कोई। निगाहों से निगाहें मिलाया है कोई। लगी है तीर निशाने पे बुलाया है कोई। मोहब्बत में वादा निभाया है कोई।

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मेरे लफ्जों के गुलशन को,आँखों छूकर तो देखिए। मोहब्बत की खुशबू होंठों से जरा पीकर तो देखिए। तन्हा जीने वालों को पैगाम है हमारा सफर जिंदगी। हमसफर का हाथ में हाथ एक बार लेकर तो देखिए।

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एक बार गुलाबी होंठों की पंखुड़ी खोल दीजिए। मोहब्बत है हम से महफिल में जरा बोल दीजिए। ये जमाना है कि पलकों पर पहरा लगा रखा है। इशारों से कुछ होता नहीं कानों में घोल दीजिए।

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उजड़े हुए थे हम उजड़े हुए हैं। शहर में आकर भी बिखरे हुए हैं। पूछिए न हाल अपने दिलों का। अरमानों के कितने टुकड़े हुए हैं।

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धरती से चांद पर पहुंच जाने के जमाने में। अभी भी लगे पड़े हैं लोग जातियों को भुनाने में। जहां राष्ट्रपति प्रधान मंत्री सर्वोच्च्य न्यायाधीश शीर्षस्थ है जमाने में। अब तो जहर दे दे साकी मेरे प्याले वो पैमाने में।

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इतनी जातियों में जातियों को भुनाने चले हैं। मानवता को जड़ से मिटाने चले हैं। कल क्या हुआ सब कहते भूल जाओ मगर, आज एक दूसरे को सताने चले हैं।