राष्ट्रवादी नारी (Modi Ka Parivaar)
@rastravadiiiiii
रात के हाथ पे जलती हुई इक शम-ए-वफ़ा
अपना हक़ माँगती है
दूर ख़्वाबों के जज़ीरे में
किसी रौज़न से
सुब्ह की एक किरन झाँकती है
वो किरन दरपा- ए- आज़ार हुई जाती है
ID: 1572810393973829634
22-09-2022 04:50:04
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