Mehar Singh (@meharsingh1234) 's Twitter Profile
Mehar Singh

@meharsingh1234

ID: 520222265

calendar_today10-03-2012 08:40:51

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प्रेम! शब्दो के पार है। इसे बार बार खोजना पड़ता है, और प्रत्येक को अपना खोजना होता है, और यही इसका सौंदर्य भी है! क्योंकि यह सदा नूतन होता है, यह कभी पुराना नहीं पड़ता।जब भी तुम चखोगे तब यह किसी और का चखा हुआ नहीं होगा। यह बासी नहीं होगा, जूठा नहीं होगा। #ओशो

Amrendra Bahubali 🇮🇳 (@thebahubali_ind) 's Twitter Profile Photo

अगर किसी को सीखना हो कि विपक्ष में रहते हुए भी सच्ची देशभक्ति कैसे निभाई जाती है, तो उसे शशि थरूर से सीखना चाहिए ..❤️👏

Mr Rathore (@raathore_) 's Twitter Profile Photo

लाहौर मे 1938 मे इस गली मे हवेलीया बनवाने वाले हिन्दूओ को क्या पता था कि 9 वर्ष बाद ही 1947 यहां से सब कुछ छोडकर भागना पडेगा..?? लाहौर एक दास्तां है जो हिन्दुओ को यह बताती है कि पैसा कमा लेना सबकुछ नही है। श्री राम के पुत्र लव द्वारा बसाया गया शहर लाहौर। महाराज रणजीत सिंह के समय

लाहौर मे 1938 मे इस गली मे हवेलीया बनवाने वाले हिन्दूओ को क्या पता था कि 9 वर्ष बाद ही 1947 यहां से सब कुछ छोडकर भागना पडेगा..?? लाहौर एक दास्तां है जो हिन्दुओ को यह बताती है कि पैसा कमा लेना सबकुछ नही है।

श्री राम के पुत्र लव द्वारा बसाया गया शहर लाहौर। महाराज रणजीत सिंह के समय
Samarthguru Dhara (@sgdharaofficial) 's Twitter Profile Photo

गोरख फेरी देता हर घट, कोई जागे कोई सोया; जागा जो भी संबुद्ध हुआ, सोया उसने अवसर खोया। हर युग में सद्गुरू आते हैं, सोते से हमें जगाते हैं जागरणं शरणं गच्छामि, भज गोरख शरणं गच्छामि।। -Samarthguru Samarthguru Siddharth Aulia Ji #Samarthguru #GorakhGeeta #spirituality

गोरख फेरी देता हर घट,
कोई जागे कोई सोया;
जागा जो भी संबुद्ध हुआ,
सोया उसने अवसर खोया।
हर युग में सद्गुरू आते हैं,
सोते से हमें जगाते हैं
जागरणं शरणं गच्छामि,
भज गोरख शरणं गच्छामि।।
-Samarthguru <a href="/SiddharthAulia/">Samarthguru Siddharth Aulia</a> Ji

#Samarthguru #GorakhGeeta #spirituality
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जीवन दुख नहीं है,वासना दुख है। जितनी ज्यादा वासनाएं,उतना ज्यादा दुख। अगर आप बहुत दुखी हैं,तो यह मत समझना कि परमात्मा आप पर नाराज है। अगर आप बहुत दुखी हैं,तो सिर्फ इतनी ही खबर दे रहे हैं कि बहुत वासनाएं हैं।और वे वासनाएं अतृप्त रह जाती हैं,तो दुख के घाव हृदय में बन जाते हैं। #ओशो

Darshan Singh Mohali (@darshansin99421) 's Twitter Profile Photo

समर्थ गुरू गोरख गीता-पद:181 यदि साधक होना चाहो तो, मन को पहले गुरुमुखी करो; निज मात-पिता का मोह छोड़, काया को तप से शुद्ध करो! जो भी ऐसा है कर सकता, गोरख का अवधू हो सकता! अथ अवधू शरणं गच्छामि, भज गोरख शरणं गच्छामि!! Samarthguru Siddharth Aulia 🙏❤️🙏

समर्थ गुरू गोरख गीता-पद:181

यदि साधक होना चाहो तो,
मन को पहले गुरुमुखी करो;
     निज मात-पिता का मोह छोड़,
     काया को तप से शुद्ध करो!
जो भी ऐसा है कर सकता,
गोरख का अवधू हो सकता! 
     अथ अवधू शरणं गच्छामि,
     भज गोरख शरणं गच्छामि!!

<a href="/SiddharthAulia/">Samarthguru Siddharth Aulia</a> 
🙏❤️🙏
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तथाता एवं तथाता भाव* तथाता का अर्थ है अकम्प में जीना। उसे कृष्ण स्थितप्रज्ञ,कृष्णमूर्ति चुनावरहित जागरूकता और ओशो आत्मजागरण कहते है। तथाता भाव का अर्थ है, निष्काम में जीना, अशिकायत मे जीना,स्वीकार मे जीना। तथाता आत्मस्थिति है, तथाता भाव मनःस्थिति है। ~समर्थगुरू

तथाता एवं तथाता भाव*
तथाता का अर्थ है अकम्प में
जीना। उसे कृष्ण स्थितप्रज्ञ,कृष्णमूर्ति चुनावरहित जागरूकता और
ओशो आत्मजागरण कहते है।
तथाता  भाव  का  अर्थ  है, निष्काम में जीना, अशिकायत मे जीना,स्वीकार मे जीना। तथाता    आत्मस्थिति   है,
तथाता भाव मनःस्थिति है।
~समर्थगुरू
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क्या कहा है नबी ने कुर्रा में उसे कोई समझ सकता वेद ने की महिमा गाई वह कोई समझ सकता बुद्ध ने धम्मपद में जो भी कहा बोधिसत्वा कोई समझ सकता कामिल है आता हर युग में इल्म वाला कोई समझ सकता चमन-ए-मुर्शिद ~समर्थगुरू Samarthguru Siddharth Aulia

क्या कहा है नबी ने कुर्रा में
उसे कोई समझ सकता
वेद ने की महिमा गाई
वह  कोई समझ सकता
बुद्ध ने धम्मपद में जो भी कहा
बोधिसत्वा कोई समझ सकता
कामिल है आता हर युग में
इल्म वाला कोई समझ सकता
चमन-ए-मुर्शिद
~समर्थगुरू
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जगत प्रतिध्वनि करता है,अगर आप गीत गुनगुनाते हैं तो गीत लौट कर आता है। अगर गाली देते हैं तो गाली लौट आती है। जो लौटे,समझ लेना वही आपने दिया।जो बोओगे,वही काटेंगे। प्रेम लौटता है इसमें कोई शंका नहीं है।पर इसकी चिंता न करें कि जिसको दिया वही वापिस लौटाए। यह प्रकृति का नियम है। #ओशो

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आनंद गीता : जग के संबंधों में रहकर, बैरागी जीवन जिया करो। आनंद तुम्हारा हो स्वभाव, भीतर का अमृत पिया करो। कविता फूटे पर छंद भी हो, प्रेमी पूरा स्वछंद भी हो। मर्यादा शरणम् गच्छामि, भज #ओशो शरणं गच्छामि।। ~समर्थगुरू Samarthguru Siddharth Aulia

आनंद गीता :
जग के संबंधों  में रहकर,
बैरागी जीवन जिया करो।
आनंद तुम्हारा हो  स्वभाव,
भीतर का अमृत पिया करो।
कविता फूटे पर छंद  भी हो,
प्रेमी पूरा स्वछंद भी  हो।
मर्यादा शरणम्  गच्छामि,
भज #ओशो शरणं गच्छामि।।
~समर्थगुरू
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आयुर्वेदिक ज्ञान (@ayurvedicgyan_) 's Twitter Profile Photo

उधर एक अवाज निकलती है अल्ला हू अकबर और लाखों सिर सजदे मे झुक जाते है.. इधर मैं "जय जगन्नाथ" लिखता हुं, कुछ हिंदू पोस्ट पढ़कर साइड से निकल जाते है...!! जय जगन्नाथ...!!🚩🙏

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यह मेरा संदेश है: इसके पहले कि तुम किसी और को आनंद देने जाओ, तुम्हें अपने भीतर आनंद की बांसुरी बजानी पड़ेगी। #ओशो

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जो भोग कभी भोगे तुमने, आनंद बचा क्या शेष आज? कल परसों जो भी भोगोगे, क्या मृत्यु रखेगी कुछ हिसाब? इसलिए अभी जीना सीखो, आगे - पीछे मरना सीखो। अथ मृत्यु शरणं गच्छामि, भज #ओशो शरणं गच्छामि।। ~समर्थगुरु Samarthguru Siddharth Aulia

जो  भोग  कभी  भोगे  तुमने, 
आनंद  बचा  क्या  शेष  आज? 
कल  परसों  जो  भी  भोगोगे, 
क्या  मृत्यु  रखेगी  कुछ  हिसाब? 
इसलिए  अभी  जीना  सीखो, 
आगे - पीछे   मरना   सीखो। 
अथ  मृत्यु  शरणं  गच्छामि, 
भज  #ओशो  शरणं  गच्छामि।।
~समर्थगुरु
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*मोदी कौन है ?* इसका जवाब एक जानकार *राजनैतिक वैद्य* ने बड़ा सुंदर समझाया। आयुर्वेद और मेडिकल सांईस में *शहद* को अमृत के समान माना गया हैं। लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि शहद को अगर *कुत्ता* चाट ले तो वह मर जाता हैं। यानी जो मनुष्यों के लिये अमृत हैं वह शहद *कुत्तों* के लिये जहर

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प्रेम में पारस है .... जिसे छुले उसे कुंदन कर दे। प्रेम इबादत है.... जिसे हो जाय उसे खुदा कर दे। प्रेम की कोई मंजिल नही.... जिसे हो जाय उसे मुसाफ़िर कर दे। प्रेम तपस्या है.... जिसे हो जाय उसे फ़क़ीर कर दे। प्रेम तो ग़ज़ब है.... जिसे हो जाय उसे अजब कर दे। #ओशो

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अपने को बिना मिटाए परमात्मा नहीं मिलता। उतनी कीमत चुकानी ही पड़ती है। और कोई कीमत बड़ी नहीं है। हम अपने को देकर परमात्मा को पाते हैं, इसमें हम कीमत ही क्या चुकाते हैं। हमारा मूल्य ही क्या है ! हमारा कोई मूल्य नहीं है। दो कौडी के बदले हम कोहिनूर पाते हैं। #ओशो

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"सत्य, संतोष, सरलता, दया और क्षमा, अगर यह 5 गुण तुम्हारे भीतर विकसित हो रहे हैं,तो समझना कि साधना में तुम्हारी प्रगति हो रही है और अगर इस कसौटी पर तुम खरे नहीं उतर रहे हो,तो समझना कहीं साधना में भूल-चूक हो रही है।" ~समर्थगुरू Samarthguru Siddharth Aulia

"सत्य, संतोष, सरलता, दया और क्षमा, अगर यह 5 गुण तुम्हारे भीतर विकसित हो रहे हैं,तो समझना कि साधना में तुम्हारी प्रगति हो रही है और अगर इस कसौटी पर तुम खरे नहीं उतर रहे हो,तो समझना कहीं साधना में भूल-चूक हो रही है।"
~समर्थगुरू
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समर्थ गुरू गोरख गीता-पद:225 जीवन से अलग नहीं ईश्वर, फिर क्यों तीरथ-तीरथ जावे; यूं ही चलते-चलते इक दिन, यह प्राण पखेरू उड़ जावे! इसलिए प्राण जबतक तन में, खोजो वह परम तत्व घट में! आत्मानं शरणं गच्छामि, भज गोरख शरणं गच्छामि!! Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💛🙏

समर्थ गुरू गोरख गीता-पद:225

जीवन से अलग  नहीं  ईश्वर,
फिर क्यों तीरथ-तीरथ जावे;

यूं ही चलते-चलते इक दिन,
यह  प्राण पखेरू  उड़  जावे!

इसलिए प्राण जबतक तन में,
खोजो  वह  परम तत्व  घट में!

आत्मानं   शरणं    गच्छामि,
भज गोरख शरणं गच्छामि!!

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🙏💛🙏
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धर्मचक्र सत्संग सप्ताह में दो बार होता है। प्रत्येक शनिवार को आचार्य दर्शन जी श्री सिद्धार्थ रामायण पर और प्रत्येक रविवार को आचार्य कुलदीप जी गोरख वाणी पर अद्भुत सत्संग करते हैं। मैं स्वयं नियमित रूप से इस सत्संग में भाग लेता हूँ । पूरी धरती पर ऐसा तात्विक सत्संग शायद ही कहीं और