
Mehar Singh
@meharsingh1234
ID: 520222265
10-03-2012 08:40:51
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गोरख फेरी देता हर घट, कोई जागे कोई सोया; जागा जो भी संबुद्ध हुआ, सोया उसने अवसर खोया। हर युग में सद्गुरू आते हैं, सोते से हमें जगाते हैं जागरणं शरणं गच्छामि, भज गोरख शरणं गच्छामि।। -Samarthguru Samarthguru Siddharth Aulia Ji #Samarthguru #GorakhGeeta #spirituality



समर्थ गुरू गोरख गीता-पद:181 यदि साधक होना चाहो तो, मन को पहले गुरुमुखी करो; निज मात-पिता का मोह छोड़, काया को तप से शुद्ध करो! जो भी ऐसा है कर सकता, गोरख का अवधू हो सकता! अथ अवधू शरणं गच्छामि, भज गोरख शरणं गच्छामि!! Samarthguru Siddharth Aulia 🙏❤️🙏



क्या कहा है नबी ने कुर्रा में उसे कोई समझ सकता वेद ने की महिमा गाई वह कोई समझ सकता बुद्ध ने धम्मपद में जो भी कहा बोधिसत्वा कोई समझ सकता कामिल है आता हर युग में इल्म वाला कोई समझ सकता चमन-ए-मुर्शिद ~समर्थगुरू Samarthguru Siddharth Aulia



आनंद गीता : जग के संबंधों में रहकर, बैरागी जीवन जिया करो। आनंद तुम्हारा हो स्वभाव, भीतर का अमृत पिया करो। कविता फूटे पर छंद भी हो, प्रेमी पूरा स्वछंद भी हो। मर्यादा शरणम् गच्छामि, भज #ओशो शरणं गच्छामि।। ~समर्थगुरू Samarthguru Siddharth Aulia




जो भोग कभी भोगे तुमने, आनंद बचा क्या शेष आज? कल परसों जो भी भोगोगे, क्या मृत्यु रखेगी कुछ हिसाब? इसलिए अभी जीना सीखो, आगे - पीछे मरना सीखो। अथ मृत्यु शरणं गच्छामि, भज #ओशो शरणं गच्छामि।। ~समर्थगुरु Samarthguru Siddharth Aulia





"सत्य, संतोष, सरलता, दया और क्षमा, अगर यह 5 गुण तुम्हारे भीतर विकसित हो रहे हैं,तो समझना कि साधना में तुम्हारी प्रगति हो रही है और अगर इस कसौटी पर तुम खरे नहीं उतर रहे हो,तो समझना कहीं साधना में भूल-चूक हो रही है।" ~समर्थगुरू Samarthguru Siddharth Aulia


समर्थ गुरू गोरख गीता-पद:225 जीवन से अलग नहीं ईश्वर, फिर क्यों तीरथ-तीरथ जावे; यूं ही चलते-चलते इक दिन, यह प्राण पखेरू उड़ जावे! इसलिए प्राण जबतक तन में, खोजो वह परम तत्व घट में! आत्मानं शरणं गच्छामि, भज गोरख शरणं गच्छामि!! Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💛🙏

