डॉ. कुँवर दिनेश सिंह (@k_dinesh_singh) 's Twitter Profile
डॉ. कुँवर दिनेश सिंह

@k_dinesh_singh

कवि. कथाकार. समीक्षक. अनुवादक (अँग्रेज़ी/हिन्दी) ~
एसोशिएट प्रोफ़ेसर (अँग्रेज़ी). संपादक: हाइफ़न

ID: 1577380984105750529

calendar_today04-10-2022 19:31:59

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मैंने कविता लिखनी चाही एक घर पे: एक ही छत के नीचे बंटा हुआ एक घ र कितने ही कट- घ रों में विभाजित, सब में पृथक्- पृथक् चूल्हा, चूल्हे से उठता धुँआ- सब क-ट-घ-रों में फैल रहा, धुँए में कुछ भी साफ़ नहीं दीख पड़ रहा... धुँआ हटे तो कविता बने... कुंवर दिनेश Kanwar Dinesh Singh

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न इन्तज़ार, न आहट, न तमन्ना, न उम्मीद ज़िन्दगी है कि यूँ बेहिस हुई जाती है। ~मीना कुमारी #Intezaar #Shair

न इन्तज़ार, न आहट, न तमन्ना, न उम्मीद 
ज़िन्दगी है कि यूँ बेहिस हुई जाती है।

~मीना कुमारी
#Intezaar #Shair
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श्री सोमनाथ महादेव मंदिर, प्रथम ज्योतिर्लिंग - गुजरात (सौराष्ट्र) दिनांकः 12 अक्तूबर 2022, आश्विन कृष्ण तृतीया - बुधवार प्रातः शृंगार 10224130

श्री सोमनाथ महादेव मंदिर,
प्रथम ज्योतिर्लिंग - गुजरात (सौराष्ट्र)
दिनांकः 12 अक्तूबर 2022, आश्विन कृष्ण तृतीया - बुधवार
प्रातः शृंगार 
10224130
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#Poetic_Window #Life Life doesn't spare a moment for unmotivated self-reflection. ✍️ #The_Chain_Of_Being I am a leaf Of the grand family-tree I wither and fall and fade away But the tree lives on.. ~Kanwar Dinesh Singh Kanwar Dinesh Singh #vss365 #poetia #poema #shortpoems

#Poetic_Window 

#Life

Life doesn't spare
a moment
for unmotivated
self-reflection.
✍️

#The_Chain_Of_Being

I am a leaf
Of the grand family-tree
I wither and fall and fade away
But the tree lives on..

~Kanwar Dinesh Singh 
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न जी भर के देखा न कुछ बात की बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की उजालों की परियाँ नहाने लगीं नदी गुनगुनाई ख़यालात की मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई ज़बाँ सब समझते हैं जज़्बात की कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की ~बशीर बद्र Bashir Badr

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बड़ा ही नाज़ुक मिज़ाज है- शहर मेरा। ज़रा धूप हुई तेज़ कि फूट पड़ता है- शहर मेरा। ज़रा बादल हुए जमा कि उदास हो जाता है- शहर मेरा। ज़रा हवा बही तेज़ कि थिरक जाता है- शहर मेरा। ज़रा बर्फ़ क्या गिरी कि दुबक जाता है- शहर मेरा। बड़ा ही नाज़ुक मिज़ाज है- शहर मेरा। ~कुँवर दिनेश✍️

बड़ा ही नाज़ुक मिज़ाज है-
शहर मेरा।

ज़रा धूप हुई तेज़
कि फूट पड़ता है-
शहर मेरा।

ज़रा बादल हुए जमा
कि उदास हो जाता है-
शहर मेरा।

ज़रा हवा बही तेज़
कि थिरक जाता है-
शहर मेरा।

ज़रा बर्फ़ क्या गिरी
कि दुबक जाता है-
शहर मेरा।

बड़ा ही नाज़ुक मिज़ाज है-
शहर मेरा।

~कुँवर दिनेश✍️
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हिन्दी,अँग्रेज़ी के चर्चित साहित्यकार #डॉ_कुँवर_दिनेश_सिंह जी को मध्य प्रदेश की साहित्यिकसंस्था दिव्योत्थान एजुकेशन एंड सोशल वेलफ़ेयरसोसायटी द्वारा गद्य-विधा में उनके उत्कृष्ट सृजन (हिन्दी कहानी-संग्रह:“जब तक ज़िंदा हैं”) हेतु“हिन्दी गौरव राष्ट्रीय सम्मान,2022” प्राप्ति हेतु बधाई

हिन्दी,अँग्रेज़ी के चर्चित साहित्यकार
#डॉ_कुँवर_दिनेश_सिंह जी को मध्य
प्रदेश की साहित्यिकसंस्था दिव्योत्थान
एजुकेशन एंड सोशल वेलफ़ेयरसोसायटी
द्वारा गद्य-विधा में उनके उत्कृष्ट सृजन
(हिन्दी कहानी-संग्रह:“जब तक ज़िंदा हैं”)
हेतु“हिन्दी गौरव राष्ट्रीय सम्मान,2022”
प्राप्ति हेतु बधाई
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#हाइकु •एहसास...• बांहों में तुम सारे संशय-भ्रम हो गये गुम। • छुपाऊँ कैसे एहसास प्यार का बताऊँ कैसे। •रिश्ता...• मिलते कहीं शहर है छोटी-सा जगह नहीं।  • दर्द का रिश्ता दिल ढूँढ़े जिसको आये फ़रिश्ता। ~कुंवर दिनेश सिंह डॉ. कुँवर दिनेश सिंह

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•हाइकु• शब्द हैं सही अर्थ बदल रहे शब्दों की कही । * शब्द है वही अर्थ बना रहे हैं दूध का दही। ~कुंवर दिनेश सिंह✍️ हिंदी अंग्रेजी के समर्थ कवि,कथाकार, समीक्षक,अनुवादक,संपादक:कृतियां: उम्मीदों का क़फ़स,बारहमासा:हाइकुमाला, जापान के चार हाइकु सिद्ध:सारस्वत सम्मान-2010। #जन्मदिन 🎂

•हाइकु•

शब्द हैं सही
अर्थ बदल रहे
शब्दों की कही ।
*
शब्द है वही
अर्थ बना रहे हैं
दूध का दही।

~कुंवर दिनेश सिंह✍️
हिंदी अंग्रेजी के समर्थ कवि,कथाकार,
समीक्षक,अनुवादक,संपादक:कृतियां:
उम्मीदों का क़फ़स,बारहमासा:हाइकुमाला,
जापान के चार हाइकु सिद्ध:सारस्वत
सम्मान-2010। #जन्मदिन 🎂
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मेरे उर में है अतृप्य इच्छा― एक ऐसे गुलाब की जिसके साथ कण्टक न हो; एक ऐसे कमल की जिसका उद्गम पंक न हो; एक ऐसे संदल की जिसमें लिपटा भुजंग न हो; एक ऐसे चन्द्र की जिसके भाल पर कलंक न हो; एक ऐसे पूर्णचन्द्र की जिसका कभी क्षय न हो; ("कुहरा धनुष") ~कुँवर दिनेश डॉ. कुँवर दिनेश सिंह

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Under the Spotlight...✨️ ज़ुल्मतों में रौशनी की जुस्तुजू करते रहो ज़िंदगी भर ज़िंदगी की जुस्तुजू करते रहो🌾 (~अनवर साबरी)

Under the Spotlight...✨️

ज़ुल्मतों में रौशनी की जुस्तुजू  करते रहो
ज़िंदगी भर ज़िंदगी की जुस्तुजू करते रहो🌾

(~अनवर साबरी)