गुलशन राजभर🇮🇳 (@gulshankrajbhar) 's Twitter Profile
गुलशन राजभर🇮🇳

@gulshankrajbhar

📚Research Scholar, Department of English & MEL, University of Allahabad.
📌 Kushinagar ↔️ Gorakhpur ↔️Prayagraj

ID: 846747259073187842

linkhttps://www.instagram.com/phoolkhilehain.gulshan.gulshan?igsh=MXRtdTh3dWU4b3FkbA== calendar_today28-03-2017 15:34:13

144 Tweet

81 Takipçi

470 Takip Edilen

गुलशन राजभर🇮🇳 (@gulshankrajbhar) 's Twitter Profile Photo

श्रीकृष्ण से अनुराग हो तो तिमिर का आलिंगन करने की सामर्थ्य भी होनी चाहिए, जैसे श्रीराधारानी में थी।❤️ ~ सुशोभित, सुनो बकुल!

श्रीकृष्ण से अनुराग हो तो तिमिर का आलिंगन करने की सामर्थ्य भी होनी चाहिए, जैसे श्रीराधारानी में थी।❤️

~ सुशोभित, सुनो बकुल!
गुलशन राजभर🇮🇳 (@gulshankrajbhar) 's Twitter Profile Photo

प्यास को पानी में ही डूबना होता है, भला और कहाँ!❤️ ~ इश्क़ में माटी सोना, गिरीन्द्र नाथ झा

प्यास को पानी में ही डूबना होता है, भला और कहाँ!❤️

~ इश्क़ में माटी सोना, गिरीन्द्र नाथ झा
गुलशन राजभर🇮🇳 (@gulshankrajbhar) 's Twitter Profile Photo

राजनीतिक और कट्टरता के कॉकटेल से कभी-कभी देश उस चौराहे पर पहुँच जाता है, जब आगे कोई रास्ता नहीं सूझता। जो भी रास्ता चुनता है, वह गढ्ढे में ही ले जाता है। ~ प्रवीण कुमार झा

राजनीतिक और कट्टरता के कॉकटेल से कभी-कभी देश उस चौराहे पर पहुँच जाता है, जब आगे कोई रास्ता नहीं सूझता। जो भी रास्ता चुनता है, वह गढ्ढे में ही ले जाता है। ~ प्रवीण कुमार झा
गुलशन राजभर🇮🇳 (@gulshankrajbhar) 's Twitter Profile Photo

पीढ़ियाँ अंधेरों में खप गईं ताकि हम रौशनी निहार सकें। ~ प्रोफेसर की डायरी, डॉ० लक्ष्मण यादव Dr. Laxman Yadav

पीढ़ियाँ अंधेरों में खप गईं ताकि हम रौशनी निहार सकें। ~ प्रोफेसर की डायरी, डॉ० लक्ष्मण यादव <a href="/DrLaxman_Yadav/">Dr. Laxman Yadav</a>
गुलशन राजभर🇮🇳 (@gulshankrajbhar) 's Twitter Profile Photo

क्यों हम किसी के खो जाने के ठीक पहले तक उसे बता नहीं पाते कि हम उन्हें कभी खोना नहीं चाहते!❤️ ~ तुम्हारे बारे में, मानव कौल

क्यों हम किसी के खो जाने के ठीक पहले तक उसे बता नहीं पाते कि हम उन्हें कभी खोना नहीं चाहते!❤️  ~ तुम्हारे बारे में, मानव कौल
गुलशन राजभर🇮🇳 (@gulshankrajbhar) 's Twitter Profile Photo

एक-दूसरे से नफ़रत करते हुए वे इस बात पर सहमत हैं कि इस देश में असंख्य रोग हैं और उनका एकमात्र इलाज - चुनाव है। ~ संसद से सड़क तक, धूमिल

एक-दूसरे से नफ़रत करते हुए वे
इस बात पर सहमत हैं कि इस देश में
असंख्य रोग हैं
और उनका एकमात्र इलाज -
चुनाव है।
~ संसद से सड़क तक, धूमिल
गुलशन राजभर🇮🇳 (@gulshankrajbhar) 's Twitter Profile Photo

"आधी नींद की बुड़बुड़ाहट में हम कितना कुछ पूछते हैं, खाली दीवारें उन सब प्रश्नों को सोख लेती हैं। दूसरे दिन-सुबह की चकमकाहट में- कुछ भी याद नहीं रहता; हम सोचते भी नहीं, पिछली रात कौन-से शर्म और पछतावे ने सिर उठाया था।" ~ एक चिथड़ा सुख, निर्मल वर्मा

"आधी नींद की बुड़बुड़ाहट में हम कितना कुछ पूछते हैं, खाली दीवारें उन सब प्रश्नों को सोख लेती हैं। दूसरे दिन-सुबह की चकमकाहट में- कुछ भी याद नहीं रहता; हम सोचते भी नहीं, पिछली रात कौन-से शर्म और पछतावे ने सिर उठाया था।"

~ एक चिथड़ा सुख, निर्मल वर्मा
गुलशन राजभर🇮🇳 (@gulshankrajbhar) 's Twitter Profile Photo

मादक थी मोहमयी थी मन बहलाने की क्रीड़ा अब हृदय हिला देती है वह मधुर प्रेम की पीड़ा। सुख आहत शान्त उमंगें बेगार साँस ढोने में यह हृदय समाधि बना हैं रोती करुणा कोने में। ~ आँसू, जयशंकर प्रसाद

मादक थी मोहमयी थी
मन बहलाने की क्रीड़ा
अब हृदय हिला देती है
वह मधुर प्रेम की पीड़ा।

सुख आहत शान्त उमंगें
बेगार साँस ढोने में
यह हृदय समाधि बना हैं
रोती करुणा कोने में।

~ आँसू, जयशंकर प्रसाद
गुलशन राजभर🇮🇳 (@gulshankrajbhar) 's Twitter Profile Photo

नेकी, सच्चाई, शराफत धर के सब कुछ ताक पर थोड़े नकटे भी यहाँ इतरा रहे हैं नाक पर। ~ बकरी, सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

नेकी, सच्चाई, शराफत धर के सब कुछ ताक पर
थोड़े नकटे भी यहाँ इतरा रहे हैं नाक पर।

~ बकरी, सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
गुलशन राजभर🇮🇳 (@gulshankrajbhar) 's Twitter Profile Photo

...;अपनी सहज सहानुभूति और सौन्दर्य-प्रेम के कारण वह(साहित्यकार) जीवन के उन सूक्ष्म स्थानों तक जा पहुँचता है, जहाँ मनुष्य अपनी मनुष्यता के कारण पहुचने मे असमर्थ होता है। ~ साहित्य का उद्देश्य, मुंशी प्रेमचंद

...;अपनी सहज सहानुभूति और सौन्दर्य-प्रेम के कारण वह(साहित्यकार) जीवन के उन सूक्ष्म स्थानों तक जा पहुँचता है, जहाँ मनुष्य अपनी मनुष्यता के कारण पहुचने मे असमर्थ होता है।

~ साहित्य का उद्देश्य, मुंशी प्रेमचंद
गुलशन राजभर🇮🇳 (@gulshankrajbhar) 's Twitter Profile Photo

ग़र कोई जहाज़ भर-भर मज़दूर ले जाना चाहे, तो कल भी यहीं से ले जाता था, आज भी यहीं के लोग पूँजीपतियों की मज़दूरी कर रहे हैं। ये और बात है अब गन्ने के खेत नहीं रहे, कलपुर्ज़ों का युग है। ~ कुली लाइन्स, प्रवीण कुमार झा

ग़र कोई जहाज़ भर-भर मज़दूर ले जाना चाहे, तो कल भी यहीं से ले जाता था, आज भी यहीं के लोग पूँजीपतियों की मज़दूरी कर रहे हैं। ये और बात है अब गन्ने के खेत नहीं रहे, कलपुर्ज़ों का युग है।

~ कुली लाइन्स, प्रवीण कुमार झा
गुलशन राजभर🇮🇳 (@gulshankrajbhar) 's Twitter Profile Photo

जिस कल की मुझे प्रतीक्षा थी, वह कल कभी नहीं आया और मैं धीरे-धीरे खण्डित होता गया, होता गया। और एक दिन... एक दिन मैंने पाया कि मैं सर्वथा टूट गया हूँ। ~ आषाढ़ का एक दिन, मोहन राकेश

जिस कल की मुझे प्रतीक्षा थी, वह कल कभी नहीं आया और मैं धीरे-धीरे खण्डित होता गया, होता गया। और एक दिन... एक दिन मैंने पाया कि मैं सर्वथा टूट गया हूँ।

~ आषाढ़ का एक दिन, मोहन राकेश