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✨Nation Building 🚭किसी भी प्रकार का व्यसन मानव समाज के विकास में बाधक है। एक व्यसन मुक्त समाज ही आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नत हो सकता है। Sant Shri Asharamji Bapu ने इस बात को ध्यान में रखते हुए पूरे देश में Yuva Seva Sangh का गठन कराया।जिससे जुड़कर हजारों

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Young India Speaks 🌹💎भगवदगीता💎🌹 नादत्ते कस्यचित्पापं न चैव सुकृतं विभुः। अज्ञानेनावृतं ज्ञानं तेन मुह्यन्ति जन्तवः॥ 🌱 सर्वव्यापी परमेश्वर भी न किसी के पाप कर्म को और न किसी के शुभकर्म को ही ग्रहण करता है, किन्तु अज्ञान द्वारा ज्ञान ढँका हुआ है, उसी से सब अज्ञानी मनुष्य मोहित हो रहे हैं ॥

<a href="/YssSpeaks/">Young India Speaks</a> 🌹💎भगवदगीता💎🌹
नादत्ते कस्यचित्पापं न चैव सुकृतं विभुः।
अज्ञानेनावृतं ज्ञानं तेन मुह्यन्ति जन्तवः॥
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सर्वव्यापी परमेश्वर भी न किसी के पाप कर्म को और न किसी के शुभकर्म को ही ग्रहण करता है, किन्तु अज्ञान द्वारा ज्ञान ढँका हुआ है, उसी से सब अज्ञानी मनुष्य मोहित हो रहे हैं ॥
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✨Sant Shri Asharamji Ashram द्वारा आयोजित #TejasviYuvaShivir युवाओं को आत्म-संयम, नैतिक मूल्यों और भारतीय संस्कृति से जोड़ने का एक उत्तम अवसर प्रदान करता है। ✨Spiritual Growth यह शिविर योग, ध्यान और प्राणायाम जैसी गतिविधियों के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और आत्मिक विकास और

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Young India Speaks 💎🌹भगवदगीता💎🌹 अज्ञश्चश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति। नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः॥ 🌱🌻🌱 विवेकहीन और श्रद्धारहित संशययुक्त मनुष्य परमार्थ से अवश्य भ्रष्ट हो जाता है। ऐसे संशययुक्त मनुष्य के लिए न यह लोक है, न परलोक है और न सुख ही है॥

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अज्ञश्चश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति।
नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः॥
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विवेकहीन और श्रद्धारहित संशययुक्त मनुष्य परमार्थ से अवश्य भ्रष्ट हो जाता है। ऐसे संशययुक्त मनुष्य के लिए न यह लोक है, न परलोक है और न सुख ही है॥
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🇮🇳Happy Independance Day 🌀देशभक्ति की प्रखर भावना से प्रेरित होकर, Sant Shri Asharamji Bapu जी की प्रेरणा से Yuva Sewa Sangh , 15 अगस्त को पूरे देश में #DeshBhaktiYatra आयोजित करते है। 🌀 ये रैलियां एकता और राष्ट्रीय अखंडता की अलख जगाती है और नागरिकों को देश की प्रगति के प्रति

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Young India Speaks Sant Shri Asharamji Bapu कहते हैं कि आझादी केवल जश्न नहीं, बल्कि राष्ट्र की रक्षा और संस्कृति का संरक्षण ही आज़ादी की स्थायी खुशी है। Yuva Sewa Sangh Happy Independence Day #DeshBhaktiYatra

<a href="/YssSpeaks/">Young India Speaks</a> Sant Shri Asharamji Bapu कहते हैं कि आझादी केवल जश्न नहीं, बल्कि राष्ट्र की रक्षा और संस्कृति का संरक्षण ही आज़ादी की स्थायी खुशी है।
Yuva Sewa Sangh 
Happy Independence Day
#DeshBhaktiYatra
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Young India Speaks 🌹💎भगवदगीता💎🌹 दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते 🌱 क्योंकि यह अलौकिक अर्थात अति अद्भुत त्रिगुणमयी मेरी माया बड़ी दुस्तर है,परन्तु जो पुरुष केवल मुझको ही निरंतर भजते हैं,वे इस माया को उल्लंघन कर जाते हैं अर्थात्‌ संसार से तर जाते हैं॥

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दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया
 मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते
🌱
क्योंकि यह अलौकिक अर्थात अति अद्भुत त्रिगुणमयी मेरी माया बड़ी दुस्तर है,परन्तु जो पुरुष केवल मुझको ही निरंतर भजते हैं,वे इस माया को उल्लंघन कर जाते हैं अर्थात्‌ संसार से तर जाते हैं॥
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#Janmashtami का त्यौहार जीव को कृष्ण-तत्त्व में सराबोर करने का त्यौहार है। Shri Krishna का जन्म कठिनाइयों और आपदाओं के बीच मध्यरात्रि में हुआ, जो अंधकार में प्रकाश के आगमन का प्रतीक है। उनकी जीवन लीलाएँ यह संदेश देती हैं कि मुस्कान और धैर्य के साथ हर कठिनाई का सामना करना चाहिए।

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Young India Speaks 🌹💎भगवदगीता💎🌹 युक्तः कर्मफलं त्यक्त्वा शान्तिमाप्नोति नैष्ठिकीम्‌। अयुक्तः कामकारेण फले सक्तो निबध्यते॥ 🌱🌻🌱 कर्मयोगी कर्मों के फल का त्याग करके भगवत्प्राप्ति रूप शान्ति को प्राप्त होता है और सकामपुरुष कामना की प्रेरणा से फल में आसक्त होकर बँधता है॥

<a href="/YssSpeaks/">Young India Speaks</a> 🌹💎भगवदगीता💎🌹
युक्तः कर्मफलं त्यक्त्वा शान्तिमाप्नोति नैष्ठिकीम्‌।
अयुक्तः कामकारेण फले सक्तो निबध्यते॥
🌱🌻🌱
कर्मयोगी कर्मों के फल का त्याग करके भगवत्प्राप्ति रूप शान्ति को प्राप्त होता है और सकामपुरुष कामना की प्रेरणा से फल में आसक्त होकर बँधता है॥
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#BenefitsForAll जब भगवान सूर्य Magha Nakshatra में रहते हैं तो वर्षा का जल गंगाजल के समान पवित्र होता है। इस साल यह दिव्य अवसर 16 अगस्त की रात 2 बजे यानी 17 अगस्त 2 am से शुरू होकर 30 अगस्त रात 9 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। मघा नक्षत्र के बारे में कहा जाता है कि अर्थात जैसे बालक का

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Young India Speaks 🌹💎भगवदगीता💎🌹 यस्त्विन्द्रियाणि मनसा नियम्यारभतेऽर्जुन। कर्मेन्द्रियैः कर्मयोगमसक्तः स विशिष्यते॥ 🌻🌱🌻 किन्तु हे अर्जुन! जो पुरुष मन से इन्द्रियों को वश में करके अनासक्त हुआ समस्त इन्द्रियों द्वारा कर्मयोग का आचरण करता है, वही श्रेष्ठ है॥

<a href="/YssSpeaks/">Young India Speaks</a> 🌹💎भगवदगीता💎🌹
यस्त्विन्द्रियाणि मनसा नियम्यारभतेऽर्जुन।
कर्मेन्द्रियैः कर्मयोगमसक्तः स विशिष्यते॥
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किन्तु हे अर्जुन! जो पुरुष मन से इन्द्रियों को वश में करके अनासक्त हुआ समस्त इन्द्रियों द्वारा कर्मयोग का आचरण करता है, वही श्रेष्ठ है॥
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#BrahmaMuhurta एक विशेष कालखंड है, जो सूर्योदय से ठीक 1 घंटा 36 मिनट पहले प्रारंभ होता है और सूर्योदय से 48 मिनट पहले समाप्त होता है। यह कुल 48 मिनट की अवधि होती है, इसे अमृत वेला भी कहते हैं। Inner Peace ब्रह्ममुहूर्त का समय आत्मिक जागृति, Jap Dhyan और विद्या-अधिगम के लिए

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Young India Speaks 🌹💎भगवदगीता💎🌹 न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्‌। कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः॥ 🌿 निःसंदेह कोई भी मनुष्य किसी भी काल में क्षणमात्र भी बिना कर्म किए नहीं रहता क्योंकि सारा मनुष्य समुदाय प्रकृतिजनित गुणों द्वारा परवश हुआ कर्म करने के लिए बाध्य किया जाता है

<a href="/YssSpeaks/">Young India Speaks</a> 🌹💎भगवदगीता💎🌹
न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्‌।
कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः॥
🌿
निःसंदेह कोई भी मनुष्य किसी भी काल में क्षणमात्र भी बिना कर्म किए नहीं रहता क्योंकि सारा मनुष्य समुदाय प्रकृतिजनित गुणों द्वारा परवश हुआ कर्म करने के लिए बाध्य किया जाता है
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#AdhyatmAurVigyan ✨हिंदू संस्कृति केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक एवं Spiritual Lifestyle है। हमारे Vedic Wisdom के सामने विज्ञान भी नतमस्तक है! ✨हिंदू धर्म के प्रत्येक संस्कार और परंपरा के पीछे वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक कारण निहित हैं। भारत की प्राचीन परंपरा में

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Young India Speaks 🌹💎भगवदगीता💎🌹 ब्रह्मण्याधाय कर्माणि सङ्‍गं त्यक्त्वा करोति यः। लिप्यते न स पापेन पद्मपत्रमिवाम्भसा॥ 🌱🕉️🌱 जो पुरुष सब कर्मों को परमात्मा में अर्पण करके और आसक्ति को त्याग कर कर्म करता है, वह पुरुष जल से कमल के पत्ते की भाँति पाप से लिप्त नहीं होता॥

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ब्रह्मण्याधाय कर्माणि सङ्‍गं त्यक्त्वा करोति यः।
लिप्यते न स पापेन पद्मपत्रमिवाम्भसा॥
🌱🕉️🌱
जो पुरुष सब कर्मों को परमात्मा में अर्पण करके और आसक्ति को त्याग कर कर्म करता है, वह पुरुष जल से कमल के पत्ते की भाँति पाप से लिप्त नहीं होता॥
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#UjjwalBhavishya ✨बाल्यकाल के संस्कार एवं चरित्रनिर्माण ही मनुष्य के भावी जीवन की आधारशिला हैं।बाल्यकाल से ही बच्चों में अच्छे संस्कार जगें तथा दिव्यता का झरना उनके जीवन में बहे, इस हेतु विश्व-मांगल्य की भावना से भरे Sant Shri Asharamji Bapu की प्रेरणा से पूरे भारत भर में Bal

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Young India Speaks प्रजहाति यदा कामान्‌ सर्वान्पार्थ मनोगतान्‌ आत्मयेवात्मना तुष्टः स्थितप्रज्ञस्तदोच्यते 🌿🌻🌿 श्री भगवान्‌ बोले- हे अर्जुन! जिस काल में यह पुरुष मन में स्थित सम्पूर्ण कामनाओं को भलीभाँति त्याग देता है और आत्मा से आत्मा में ही संतुष्ट रहता है, उस काल में वह स्थितप्रज्ञ कहा जाता है

<a href="/YssSpeaks/">Young India Speaks</a> प्रजहाति यदा कामान्‌ सर्वान्पार्थ मनोगतान्‌
आत्मयेवात्मना तुष्टः स्थितप्रज्ञस्तदोच्यते
🌿🌻🌿
श्री भगवान्‌ बोले- हे अर्जुन! जिस काल में यह पुरुष मन में स्थित सम्पूर्ण कामनाओं को भलीभाँति त्याग देता है और आत्मा से आत्मा में ही संतुष्ट रहता है, उस काल में वह स्थितप्रज्ञ कहा जाता है
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Stay Healthy दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे रोगों से बचने तथा उनके निवारण हेतु बिना खर्च, बिना किसी हानि के शरीर को स्वस्थ, मन को प्रसन्न और बुद्धि को निर्मल व कुशाग्र बनाने हेतु योगविद्या का आश्रय लेना बहुत ही हितकारी है। #Yogasana शरीर के समुचित विकास के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध

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Young India Speaks 🌹💎भगवदगीता💎🌹 दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः। वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते॥ 🌱🌻🌱 दुःखों की प्राप्ति होने पर जिसके मन में उद्वेग नहीं होता, सुखों की प्राप्ति में सर्वथा निःस्पृह है तथा जिसके राग, भय और क्रोध नष्ट हो गए हैं, ऐसा मुनि स्थिरबुद्धि कहा जाता है॥

<a href="/YssSpeaks/">Young India Speaks</a> 🌹💎भगवदगीता💎🌹
दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः।
वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते॥
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दुःखों की प्राप्ति होने पर जिसके मन में उद्वेग नहीं होता, सुखों की प्राप्ति में सर्वथा निःस्पृह है तथा जिसके राग, भय और क्रोध नष्ट हो गए हैं, ऐसा मुनि स्थिरबुद्धि कहा जाता है॥
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Young India Speaks 🌹💎भगवदगीता💎🌹 यः सर्वत्रानभिस्नेहस्तत्तत्प्राप्य शुभाशुभम्‌। नाभिनंदति न द्वेष्टि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता॥ 🌱🌻🌱 जो पुरुष सर्वत्र स्नेहरहित हुआ उस-उस शुभ या अशुभ वस्तु को प्राप्त होकर न प्रसन्न होता है और न द्वेष करता है, उसकी बुद्धि स्थिर है॥

<a href="/YssSpeaks/">Young India Speaks</a> 🌹💎भगवदगीता💎🌹
यः सर्वत्रानभिस्नेहस्तत्तत्प्राप्य शुभाशुभम्‌।
नाभिनंदति न द्वेष्टि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता॥
🌱🌻🌱
जो पुरुष सर्वत्र स्नेहरहित हुआ उस-उस शुभ या अशुभ वस्तु को प्राप्त होकर न प्रसन्न होता है और न द्वेष करता है, उसकी बुद्धि स्थिर है॥