
Darshan Singh Mohali
@darshansin99421
Disciple of Samarthguru Siddharth Aulia ji.
OND Murthal ( Haryana).
ID: 1732452682281938945
06-12-2023 17:32:18
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GST has been increased from 12% to 18% on publication of books. This is injustice to students and intellectuals. Narendra Modi and @nsitaraman are requested to do justice as soon as possible.

एक बार आत्मज्ञान हो जाए तो फिर आत्मसुमिरन करने से हम आनंद में रहते हैं। -Samarthguru Samarthguru Siddharth Aulia Ji 🏵



Narendra Modi GST has been increased from 12% to 18% on publication of books. This is injustice to students and intellectuals. Narendra Modi and @nsitaraman are requested to do justice as soon as possible. #Reduce_GST_on_Paper

GST has been increased from 12% to 18 % on publication of books. This is injustice to students and intellectuals. Narendra Modi and @nsitaraman are requested to do justice. Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💚🙏


आनंद गीता अन्वेषण शरणं गच्छामि-पद:15 चुकता जाता है तेल,और जलती जाती तन की बाती। रह जाती तब भी रात बहुत, जिंदगी न खुद को पढ़ पाती। इसके पहले कि दीप बुझे, खुद की किताब पढ़ ले पगले। स्वाध्यायं शरणं गच्छामि, भज ओशो शरणं गच्छामि। Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💚🙏


आनंद गीता अन्वेषण शरणं गच्छामि-पद:16 जब भी जागे तब सुबह हुई, जब चले तभी सूरज निकला। जब उड़ा गुलाल मनी होली, दीवाली जब भी दीप जला। चलने से पहले नहीं ठिठक, मंज़िल खुद बतला देगी पथ। अथ यात्रा शरणं गच्छामि, भज ओशो शरणं गच्छामि। Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💙🙏


आनंद गीता अन्वेषण शरणं गच्छामि-पद:17 क्षुद्रों में उलझा शूद्र,और है वैश्य जो सदा हिसाबी है! साहस से होता क्षत्रिय, ब्राह्मण वही जो सत्याकांक्षी है। है नहीं वर्ण जन्माधारित, कर्मों से होता निर्धारित। स्वधर्मं शरणं गच्छामि, भज ओशो शरणं गच्छामि। Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💚🙏


आनंद गीता अन्वेषण शरणं गच्छामि-पद:18 जीवन को दांव लगाने का, यदि नहीं हृदय में साहस है। यदि नहीं ब्रह्म की प्यास जगी, विषयों में हीं केवल रस है। मृत्यु के क्षण पछताओगे, अतृप्त विदा हो जाओगे। जागरणं शरणं गच्छामि, भज ओशो शरणं गच्छामि।। Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💚🙏


आनंद गीता अन्वेषण शरणं गच्छामि-पद:19 निकृष्ट कोटि के लोग बैठकर, व्यक्ति-चर्चा करते हैं। दोयम दर्ज के लोग किसी घटना की समीक्षा करते हैं! कुछ नई राह,कुछ नई खोज, उत्तम नर करता नया शोध। अथ शोधं शरणं गच्छामि, भज ओशो शरणं गच्छामि।। Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💚🙏


आनंद गीता अन्वेषण शरणं गच्छामि-पद:20 बाहर तलाश सुख की जब तक, दुख ही मुट्ठी में आता है। भीतर जाकर जो मौन हुआ, सुख अनायास पा जाता है। बाहर जिसको सुख की आशा, रह जाता प्यासा- का -प्यासा। प्रतिगमनं शरणं गच्छामि, भज ओशो शरणं गच्छामि। Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💚🙏


आनंद गीता अन्वेषण शरणं गच्छामि-पद:21 पीड़ा जीवन की पूंजी है, पीड़ा अंतर की कुंजी है। तृष्णा जब भी भटकाती है, पीड़ा ही मार्ग दिखाती है। पीड़ा की बर्फ पिघलने दो, जीवन की गंगा बहने दो। अथ पीड़ा शरणं गच्छामि, भज ओशो शरणं गच्छामि।। Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💙🙏


आनंद गीता अन्वेषण शरणं गच्छामि-पद:22 जीवन का अर्थ जानना ही, तो जीवन का है अर्थ अहो। जो जान नहीं पाया रहस्य, वह देह गंवाता व्यर्थ अहो। जब तक यह अनजाना होगा, तब तक तन में आना होगा। जिज्ञासा शरणं गच्छामि, भज ओशो शरणं गच्छामि।। Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💚🙏


आनंद गीता अन्वेषण शरणं गच्छामि-पद:23 निर्वाण हेतु बस जीता है, जो आत्मलोक का वासी है। कुछ भी न अन्यथा अब जिसको चाहिए वही संन्यासी है। तन से मन का रिश्ता तोड़ो, आत्मा से जीवन को जोड़ो। आत्मानं शरणं गच्छामि, भज ओशो शरणं गच्छामि।। Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💚🙏


आनंद गीता अन्वेषण शरणं गच्छामि-पद:24 माना तुमने भूगोल पढ़ा, माना तुमने इतिहास पढ़ा। पर अपने जीवन में लिखा जो, क्या तुमने वह पाठ पढ़ा। यदि नहीं तो फिर कुछ शरमाओ, कुछ गीत जिंदगी के गाओ। स्वाध्यायं शरणं गच्छामि, भज ओशो शरणं गच्छामि।। Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💚🙏


आनंद गीता अन्वेषण शरणं गच्छामि-पद:25 माना सुख का है स्वाद मधुर, पर अमृत का मी ध्यान करो। गौतम न छोड़ते कपिलवस्तु, कैसे होता निर्वाण अहो। हर भोग त्याग का इंतजाम, हर त्याग महासुख का विहान। अथ अमृत शरणं गच्छामि, भज ओशो शरणं गच्छामि।। Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💙🙏


आनंद गीता अन्वेषण शरणं गच्छामि-पद:26 अबतक जो जीवन है बीता, कुछ सीखा या कि नहीं सीखा। इस जीवन में ही धन्य हुए, रज्जब,सुंदर,सहजो,भीखा। क्या पता कि ऐसा दांव न हो, जीवन हो गुरु की छांव न हो। शिष्यत्वं शरणं गच्छामि, भज ओशो शरणं गच्छामि।। Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💚🙏


आनंद गीता अन्वेषण शरणं गच्छामि-पद:27 तुम अमृत पथ पर बढ़े चलो, साकी के हाथों पीते चलो। सुख की कलियां दुख के कांटे, जीवन को पूरा जीते चलो। फूलों से मत परहेज करो, पर चिदाकाश में सेज करो। अथ ध्यानं शरणं गच्छामि, भज ओशो शरणं गच्छामि।। Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💚🙏


आनंद गीता अन्वेषण शरणं गच्छामि-पद:28 तुम राम कहो या कृष्ण कहो, मतलब तो जग जाने से है! काशी जाओ अथवा काबा, मतलब तो घर जाने से है! तीरथ-व्रत सभी बहाना है, भीतर सब खोज-खजाना है। अथ मौनं शरणं गच्छामि, भज ओशो शरणं गच्छामि।। Samarthguru Siddharth Aulia 🙏💚🙏
