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Bhadkatashayar

@bhadkatashayar

जब भी लिखता हूँ मैं अफ़साना यही होता है
अपना सब कुछ किसी किरदार को दे देता हूँ।

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calendar_today14-04-2009 07:44:31

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शीर्ष तक पहुँच जाना ही जीत नहीं है, साथियो, उस ऊँचाई पर टिके रहना असली इम्तिहान है। प्रतिभा तुम्हें उठा सकती है, लेकिन चरित्र गिरा भी सकता है, याद रखो कौशल के बल पर चढ़े हुए लोग व्यवहार के बिना ज़्यादा देर खड़े नहीं रहते। ऊँचाई पर चढ़कर अगर तुम्हारी नज़र नीचे वालों को तुच्छ

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ख़ुद की आग में तपकर हम सोना हुए हैं, हमारे ऊपर किसी सुनार की मर्ज़ी नहीं चलती। हमने सीखा है अपनी चोटों को मरहम बनाना, अपनी राख से नया सूरज जगाना। हमारे माथे का पसीना हमारी पहचान है, किसी और की मुहर हमारे वजूद को वैध नहीं बनाती। जो तपता नहीं वो चमकता नहीं, और जो झुकता नहीं है

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इम्तिहान की घड़ी हो या हालात का तूफ़ान, सपनों के सहारे ही मिलता है आसमान। जोश अगर दिल में हो, हिम्मत निगाहों में, क़दम नहीं रुकते फिर आँधियों की राहों में। जुनून से बढ़ो तो पत्थर भी पिघल जाते हैं, इरादे बुलंद हों तो मंज़िलें बदल जाते हैं। अँधेरों के बाद ही सवेरा नज़र आता है,

इम्तिहान की घड़ी हो या हालात का तूफ़ान,
सपनों के सहारे ही मिलता है आसमान।

जोश अगर दिल में हो, हिम्मत निगाहों में,
क़दम नहीं रुकते फिर आँधियों की राहों में।

जुनून से बढ़ो तो पत्थर भी पिघल जाते हैं,
इरादे बुलंद हों तो मंज़िलें बदल जाते हैं।

अँधेरों के बाद ही सवेरा नज़र आता है,
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यहाँ तो रिश्तों का हिसाब तिजोरी में कैद है, कभी बैन, कभी वापसी जैसे जनता खिलौना है, और सत्ता के हाथ में रिमोट। युवा की मेहनत मिट्टी हो गई, उनके सपनों पर ताले जड़ दिए गए, बस बाहर से आई नकल का मेला सजाया, जिसमें असली हुनर भूख से मरता रहा। टैलेंट के समंदर के बीच प्यासे खड़े हैं

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लड़ाई अब सिर्फ़ सीमा पर नहीं, ये लड़ाई है रोज़गार की, तकनीक की, खुद्दारी और आत्मनिर्भरता की। ये लड़ाई है युवा के हुनर को पहचानने की, उसके हाथों में औज़ार देने की। ये लड़ाई है खेत की मिट्टी को फैक्ट्री की ताक़त से जोड़ने की। ये लड़ाई है विदेशी परछाइयों से बाहर निकलने की, अपनी

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हर मीठा बोलने वाला दोस्त नहीं होता, कई तो शहद की आड़ में ज़हर घोलते हैं। जो सामने झुककर सलाम करते हैं, वही पीठ पीछे खंजर भी तोलते हैं। ये वक्त है पहचानने का कौन सचमुच अपना है, और कौन मुस्कान की ओट में साजिशों का अड्डा खोले बैठा है। याद रखो दुनिया में ज़हर से भी खतरनाक है वो

Md Zeyaullah🇮🇳 (@mdzeyaullah20) 's Twitter Profile Photo

ऐसे लोगो के लिए जी एक कहावत बनी है "बाप मर गया अंधेरे में, बेटे का नाम पॉवर हाउस" आप क्या कहेंगे इसे??

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तीर को भी आगे छोड़ने से पहले, पीछे खींचना पड़ता है। उसी तरह अच्छे दिनों के लिए, बुरे दिनों से लड़ना पड़ता है। अंधेरों का आलम चाहे गहरा हो, सवेरा फिर भी आता है। रात कितनी भी लंबी क्यों न हो, सुबह का सूरज जगमगाता है। ग़म की तपिश से जो गुज़रते हैं, वो ही मुस्कानों को समझते हैं।

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बाहर हमेशा बवंडर होता है। वो बवंडर केवल हवा का नहीं, समय का भी है, जिसमें हर चीज़ बह जाती है रिश्ते, चेहरे, उम्मीदें, यहाँ तक कि ज़िन्दगी भी। तुम दूर से आती हो, दरवाज़ा बंद करती हो और कहती हो मेरे मीत सुरक्षित हो । लेकिन सुरक्षा भी सिर्फ़ एक क्षणिक भ्रम है, जैसे जुगनू अँधेरे में

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युवाओं के भीतर जो अग्नि है, वह केवल प्रकाश नहीं देती, वह दिशाएँ भी माँगती है। हर जिज्ञासा, एक बीज है जो अनगिनत अंधेरों को फोड़ना चाहता है। पर बीज का अकेलापन उसे चुप भी कर सकता है, यदि कोई हाथ मिट्टी को नम करने न आए। शिक्षक, वह हाथ हैं जो समय को सींचते हैं। वे जानते हैं कि अवसर

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राजा गए शिकार को लिए दुनाली साथ। सुनकर सिंह दहाड़ को लौटे ख़ाली हाथ॥

Rolfi singh (@rolfisingh) 's Twitter Profile Photo

जो इस ट्वीट को RT करे उसे सब follow करो, सभी को 100% फोलो बैक किया जाएगा। Ashish Rahul kanaujiya Mukesh kumar 𝔸𝕟𝕟𝕦 🐦 🇮🇳IBR@R ✍ @HMED🇯🇴🇮🇳 🚨 इस पोस्ट को Re– पोस्ट 🔁 कीजिए ओर अपनी 🆔 दे अगला नंबर आपका होगा...👋

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कुदरत का रूठ जाना भी ज़रूरी था, इंसान का घमंड टूटना भी ज़रूरी था। हर कोई ख़ुद को ख़ुदा समझ बैठा था, ये ग़लतफ़हमी मिटना भी ज़रूरी था। ज़मीन की ख़ामोशी को रौंदते रहे लोग, दरिया का दर्द सुनना भी ज़रूरी था। हवाओं ने कहा मैं महज़ साँस नहीं आदम ये सच हर दिल में उतारना भी ज़रूरी था।

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शिक्षक केवल पाठ नहीं पढ़ाते, वे जीवन के सूत्र सिखाते हैं। अज्ञान के अँधकार में दीपक बनकर, मार्ग दिखाते हैं, साहस जगाते हैं। शिक्षक वह संवेदना हैं, जो मिट्टी को मूर्ति में बदल देती है। शिक्षक वह ऊर्जा हैं, जो गिरते हुए को संबल दे देती है। उनकी वाणी में ज्ञान का संगीत है, उनकी

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बहुत उदास हूँ मैं, कोई हमनवा नहीं मिलता, ये दिल का बोझ रखने को कहीं कंधा नहीं मिलता। तमाम शहर में ढूँढा है एक सच्चा आशना, मगर हर ज़ख़्म का अब कोई मरहम नहीं मिलता। वफ़ा के नाम पे हर शख़्स ने तौहमत ही दी, मगर दिल से निभाने वाला रिश्ता नहीं मिलता। आशिकों की तरह रो लेने की ख्वाहिश