अरुणेश मिश्र (@imaruneshmishra) 's Twitter Profile
अरुणेश मिश्र

@imaruneshmishra

साहित्यकार , पूर्व प्राचार्य
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calendar_today26-09-2020 12:39:53

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रोशनी तो बहुत है लेकिन जमीन पर बिजली के नङ्गे तार बिखरें हैं । - अरुणेश मिश्र

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प्राची , पश्चिम , दक्षिण , उत्तर हर ओर गूंजता जय जय स्वर। कहता गौरव गाथा निशिदिन लहराता तन , मन , निर्जन , घर । यह शौर्य , पराक्रम का प्रतीक बलिदानों की यश गाथा है । राष्ट्रध्वज के सम्मुख नत है जन गण का उन्नत माथा है । - अरुणेश मिश्र

प्राची , पश्चिम , दक्षिण , उत्तर 
हर ओर गूंजता जय जय स्वर।
कहता गौरव गाथा निशिदिन
लहराता तन , मन , निर्जन , घर ।
यह शौर्य , पराक्रम का प्रतीक
बलिदानों की यश गाथा है ।
राष्ट्रध्वज के सम्मुख नत है
जन गण का उन्नत माथा है ।
- अरुणेश मिश्र
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क्या जंगल का राजा वास्तव में शेर ही होता है ; हमे सन्देह है । यदि वह राजा होता तो अनेक जानवर उसके आगे पीछे लगे रहकर मक्खन लगाते , तेल मालिश भी करते देखे जाते लेकिन हमने उसे अकेले ही देखा सुना है । राजा बिना चमचों के - आपने सुना हो तो बताओ । - अरुणेश मिश्र

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यह सफेद हाथी कहां पाए जाते हैं ? इन्द्र के दरबार में जंगल या घरबार में अथवा दरबार में या किसी सरकार में ? हमने उत्तर दिया - यह ऐरावत नही महावत हैं बॉस के आगे नत हैं सफेद हाथी हैं अनाचार के साथी हैं ईडी और आयकर के छापे से ग्रस्त हैं चरित्र और मनुष्यता से अस्त हैं। - अरुणेश मिश्र

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महाकवि ! तुलसी ------------------------- सारा प्रभुत्व चरणों में है । चरणो की गति वर्णों में है । वर्णों में जीवन का सुवर्ण । अमृत मानस का पर्ण पर्ण । - अरुणेश मिश्र

महाकवि ! तुलसी 
-------------------------
सारा प्रभुत्व चरणों में है ।
चरणो की गति वर्णों में है ।
वर्णों में जीवन का सुवर्ण ।
अमृत मानस का पर्ण पर्ण ।
-  अरुणेश मिश्र
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रूप क्या है ! धूप है या छांव है श्वेत है या श्याम है अभिराम है हंस रही जैसे नदी हो या नदी में धो रही तुम पांव हो तिर रही तरणी सदृश पतवार साधे नाव हो । - अरुणेश मिश्र

रूप क्या है !
धूप है या छांव है 
श्वेत है या श्याम है 
अभिराम है 
हंस रही जैसे नदी हो 
या नदी में धो रही तुम पांव हो 
तिर रही तरणी सदृश 
पतवार साधे नाव हो ।
 - अरुणेश मिश्र
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राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त को जन्म जयंती पर शत शत नमन !

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त को जन्म जयंती पर शत शत नमन !
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बबूल बोया है आम के लिए फूल मंगाए हैं शाम के लिए कांटे बिखेर दिए हैं द्वार तक कोई दूसरा न आ सके हमाम के लिए हम तो जगजाहिर हैं काम के लिए । - अरुणेश मिश्र

शिव (@000_shivsharma) 's Twitter Profile Photo

हमारा सौभाग्य है जब मैथलीशरण गुप्त पढ़कर गये मुंशी प्रेमचंद और जयशंकरप्रसाद ही आये😂😂😂 हम तो कभी भूलेगे भी नहीं?

Dr JaiNath Singh . (@drjainathsingh3) 's Twitter Profile Photo

उद्दमो भैरव।मित्रों इस सूत्र का अर्थ बताए सही बताने वाले को फ़ालोबैक।

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सब तजि वृंदावन सुख लीजै । प्रफुल्लित ललित सोहनो चहुँदिसि लखि उर धीर धरीजै ।। राधावल्लभ नाम मधुर रस लेमुख निशदिन पीजै । हीरासखी हित नित अवलोकत चित अनूप रंग भीजै ।। - हीरा सखी

सब तजि वृंदावन सुख लीजै ।
प्रफुल्लित ललित सोहनो चहुँदिसि लखि उर धीर धरीजै ।। 

राधावल्लभ नाम मधुर रस लेमुख निशदिन पीजै ।
हीरासखी हित नित अवलोकत चित अनूप रंग भीजै ।।
- हीरा सखी
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धर्म से हमारी मुलाकात राजनीति में हुई अनाचार के साथ। झूठ से एक आश्रम में सत्य अनाथालय में मिला सदाचार के साथ। मृगछाला पर मृगनयनी का भूगोल इतिहास में बदलते दिखे धर्मोपदेशक,साधु,सन्त । मित्रता मदिरालय में दिखी यह बात किसी ग्रन्थमें नही लिखी जो हमने दुनियासे सिखी। - अरुणेश मिश्र

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उद्दमो भैरव - सांसारिक कारागृह से मुक्ति का प्रयास । यही प्रयास भैरव है ।