नमक की रोज मालिश कर रहे हैं
हमारे ज़ख़्म वर्ज़िश कर रहे हैं
लोग ये शक कर रहें हैं
हम जीने की साज़िश कर रहे
हमारी प्यास को रानी बना लें
कई दरिया ये कोशिश कर रहे
अभी चमके नहीं 'ग़ालिब' के जूते
अभी नक़्क़ाद पॉलिश कर रहे हैं
तिरी तस्वीर,पंखा,मेज़,मुफ़लर
मिरे कमरे में गर्दिश कर रहे
तू ज़रूरत ही नहीँ....बहुत ज़रूरी हैं
सांसों के चलते....और दिल को धड़कते रहने के लिए
तू ज़रूरत ही नहीँ....ज़रूरी हैं
होंठों की मुस्कान....और दिल के करार के लिए
मैं,मैं नहीं हूँ,तुम अब भी तुम हो
बेचैनी का शब्द हूँ मैं,सुकून का अर्थ तुम हो
क्रोध का भंडार हूँ मैं,शीतल जल कि फुहार तुम हो
विचारों का झरना हूँ मैं,शांत समंदर सी तुम हो
अनसुलझे सवालों सा हूँ मैं,जिसका प्रश्न चिन्ह तुम हो
परेशानियों का पहाड़ हूँ मैं,समाधान का रस्ता तुम हो