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Vyomesh Shukla

@vyomeshshukla

Hindi Poet and Theatre Activist

ID: 2988860695

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Vishwambhar N Mishra Varanasi (@mahantmochan) 's Twitter Profile Photo

#SankatMochanSangeetSamaroh_2025 from 16th April to 21 April 2025. Celebrated Artists and #ClassicalMusic lovers are welcomed in this spiritual event.

#SankatMochanSangeetSamaroh_2025 from 16th April to 21 April 2025. Celebrated Artists and #ClassicalMusic lovers are welcomed in this spiritual event.
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Learned Audience singing with Purbayan Chatterjee during his performance in #SankatMochanSangeetSamaroh2025 No rehearsal and no preparation. ये हैं काशी के सुधि श्रोता।इन्हें हल्के में न लें।

ETVBharat UttarPradesh (@etvbharatup) 's Twitter Profile Photo

विश्व धरोहर दिवस: विश्व का एकमात्र जीवंत और गतिमान शहर बनारस, इमारतें गलियां-मोहल्ले भी अद्भुत और अकल्पनीय etvbharat.com/hi/!state/worl…

Upmita Vajpai (@upmita) 's Twitter Profile Photo

पिछले हफ्ते मैं और अदिवन कश्मीर गए थे। वैसे तो वो मेरे साथ पहली बार कश्मीर तब गया था, जब वो 11 महीने का था। और फिर एक बार रिपोर्टिंग करने के लिए साथ ले गई थी जब वो 19 महीने का था। उसके बाद मैं हर साल कम से कम दो बार कश्मीर आई, लेकिन अदिवन नहीं आ पाया। तो उसे तजुर्बा देना लाजमी

पिछले हफ्ते मैं और अदिवन कश्मीर गए थे। वैसे तो वो मेरे साथ पहली बार कश्मीर तब गया था, जब वो 11 महीने का था। और फिर एक बार रिपोर्टिंग करने के लिए साथ ले गई थी जब वो 19 महीने का था। उसके बाद मैं हर साल कम से कम दो बार कश्मीर आई, लेकिन अदिवन नहीं आ पाया। तो उसे तजुर्बा देना लाजमी
द वायर हिंदी (@thewirehindi) 's Twitter Profile Photo

#नागरीप्रचारिणीसभा के गलियारों में कभी #आधुनिकहिंदी ने अपना उत्कर्ष देखा था. फिर कुछ ऐसा हुआ कि दशकों तक यह संस्था उपेक्षा और विस्मृति के अंधेरे में डूबी रही. जब इसकी बागडोर कवि-गद्यकार व्योमेश शुक्ल के पास आयी, फिर आरंभ हुआ एक नया अध्याय. Ashutosh Thakur✍️ thewirehindi.com/303628/nagri-p…

Upmita Vajpai (@upmita) 's Twitter Profile Photo

वक्त का सामर्थ्य देखना चाहते हैं तो ये दो तस्वीरें देखिए। किसी वक्त सारी दुनिया के जिक्र और ख्यालों में कब्जा कर चुका इक शहर, महाकुंभ मेला …। 4000 हेक्टेर में चारों ओर अपनी बाहें पसराए। उस पर आलीशान पांडाल और बांस की बनी कतार में खड़ी अनगिनत कुटिया, फूस के घर किसी कशीदाकारी

वक्त का सामर्थ्य देखना चाहते हैं तो ये दो तस्वीरें देखिए। 

किसी वक्त सारी दुनिया के जिक्र और ख्यालों में कब्जा कर चुका इक शहर, महाकुंभ मेला …। 

4000 हेक्टेर में चारों ओर अपनी बाहें पसराए। उस पर आलीशान पांडाल और बांस की बनी कतार में खड़ी अनगिनत कुटिया, फूस के घर किसी कशीदाकारी
Upmita Vajpai (@upmita) 's Twitter Profile Photo

रात 2 बजे, काशी के करेजवा, गोदौलिया पर हम सब। वैसे एडिशन छोड़ने के बाद वाला ये उपद्रव न जाने कितने महीनों बाद हमारे हिस्से आया है। हम तो उस वर्ल्ड फेमस In बनारस वाले डोसे का टेस्ट भी भूल गए थे। जुबान को चार निवाले खाने के बाद याद आया। वैसे सच बताऊं हमारे बनारस के busiest

रात 2 बजे, काशी के करेजवा, गोदौलिया पर हम सब। वैसे एडिशन छोड़ने के बाद वाला ये उपद्रव न जाने कितने महीनों बाद हमारे हिस्से आया है। 

हम तो उस वर्ल्ड फेमस In बनारस वाले डोसे का टेस्ट भी भूल गए थे। जुबान को चार निवाले खाने के बाद याद आया। 

वैसे सच बताऊं हमारे बनारस के busiest
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प्रेमचंद की ‘सबसे पुरानी हिंदी हस्तलिपि’ नागरीप्रचारिणी सभा के दस्तावेज़ों में मिली Vyomesh Shukla✍️ thewirehindi.com/307791/premcha…

द वायर हिंदी (@thewirehindi) 's Twitter Profile Photo

प्रेमचंद जयंती विशेष: बनारस के प्रेमचंदेश्वर महादेव Vyomesh Shukla✍️ thewirehindi.com/307928/banaras…

द वायर हिंदी (@thewirehindi) 's Twitter Profile Photo

Vyomesh Shukla हिंदी की वैचारिकी अमूमन प्रेमचंद और तुलसीदास के बीच एक द्वैध स्थापित करती है, दोनों मूर्धन्यों को दो विपरीत किनारों पर ठहरा देती है. लेकिन क्या वाक़ई ऐसा था? Vyomesh Shukla✍️ thewirehindi.com/308335/were-pr…

Upmita Vajpai (@upmita) 's Twitter Profile Photo

कल काशी में कजरी है। तो काशी में जो एक चीज लाजमी है वो है जलेबा। जलेबा हमारे दफ्तर पहुंच गया है। ये जलेबा, अपनी छोटी, मासूम, प्यारी सी जलेबी का तंदरुस्त, बलवान पहलवान वर्जन है। बाकी डीएनए दोनों का एक हैं। कजरी लोक उत्सव है, शायद सबसे मीठा।कहानी 1818 में काशी के महाराज के

कल काशी में कजरी है। तो काशी में जो एक चीज लाजमी है वो है जलेबा। जलेबा हमारे दफ्तर पहुंच गया है। 

ये जलेबा, अपनी छोटी, मासूम, प्यारी सी जलेबी का तंदरुस्त, बलवान पहलवान वर्जन है। बाकी डीएनए दोनों का एक हैं।

कजरी लोक उत्सव है, शायद सबसे मीठा।कहानी 1818 में काशी के महाराज के
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व्योमेश शुक्ल के इस शोधपरक निबंध को आप आचार्य रामचंद्र शुक्ल की महान कृति ‘कविता क्या है?’ की जीवनी की तरह भी पढ़ सकते हैं. Vyomesh Shukla✍️ thewirehindi.com/309085/acharya…

Himanshu Rai (@yayaver1) 's Twitter Profile Photo

Vyomesh Shukla आपने अपनी किताब 'आग और पानी" में बनारस की आत्मा, उसके ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्त्व को बड़ी खूबसूरती से उकेरा है । 'आग और पानी' में बनारस के जीवन के विरोधाभासों के बीच के संतुलन को बेहद सूक्ष्मता और खूबसूरती से पेश किया है। बहुत साधुवाद.. yayaver.blogspot.com/2025/08/hindi-…

Rana Yashwant (@ranayashwant1) 's Twitter Profile Photo

वाराणसी की धरती से निकले चर्चित कवि, आलोचक और रंगकर्मी व्योमेश शुक्ल अपने समय की बेचैनियों और जन-सरोकारों के कवि हैं। उनकी कविताओं में शहर का भूगोल, अतीत और मुश्किलें दर्ज हैं तो रंगकर्म में समाज का यथार्थ। ‘फिर भी कुछ लोग’ और ‘काजल लगाना भूलना’ जैसे चर्चित काव्य-संग्रहों से

वाराणसी की धरती से निकले चर्चित कवि, आलोचक और रंगकर्मी व्योमेश शुक्ल अपने समय की बेचैनियों और जन-सरोकारों के कवि हैं। उनकी कविताओं में शहर का भूगोल, अतीत और मुश्किलें दर्ज हैं तो रंगकर्म में समाज का यथार्थ।

‘फिर भी कुछ लोग’ और ‘काजल लगाना भूलना’ जैसे चर्चित काव्य-संग्रहों से
Aaj Tak Radio (@aajtakradio) 's Twitter Profile Photo

Jaishankar Prasad और उनकी दुकान के ऊपर रहने वाली तवायफ की कहानी! सुनिए तीन ताल का लेटेस्ट एपिसोड जहां बनारस वाले Vyomesh Shukla बने हैं चौथा ताल. साथ में The Usuals ᴋᴀᴍʟᴇsʜ sɪɴɢʜ / tau ताऊ, Asif Khan | @Khancha | @Teen Taal | @Sherkhan ख़ांचा, Kuldeep Mishra / sardar सरदार. बाकि हम और आप! यहां मिलेगा पूरा एपिसोड:

Upmita Vajpai (@upmita) 's Twitter Profile Photo

आज 2 अक्टूबर को मैं और अदिवन लाल बहादुर शास्त्री के पैतृक घर गए। उनकी देहरी, दहलीज पर देश के इस अद्भुत नेता को महसूस किया। कई बार जब हम किसी खास इंसान से सशरीर, चलती सांसों और दौड़ती धड़कनों में नहीं मिल सकते, तो उसके सामान, उसकी जगहों पर उसे उंगलियों के पोरों से महसूस कर पाते

आज 2 अक्टूबर को मैं और अदिवन लाल बहादुर शास्त्री के पैतृक घर गए। उनकी देहरी, दहलीज पर देश के इस अद्भुत नेता को महसूस किया। 

कई बार जब हम किसी खास इंसान से सशरीर, चलती सांसों और दौड़ती धड़कनों में नहीं मिल सकते, तो उसके सामान, उसकी जगहों पर उसे उंगलियों के पोरों से महसूस कर पाते
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सब्र सिखाने का शुक्रिया तारीखों। और बेपनाह का मतलब रटवाने का भी। बेपनाह औहदे से लेकर बेपनाह खलिश तक हरकुछ। ये बताने का भी कि घर की गैलरी में सूखते कुनबे के कपड़े कैसे खुशी का मीटर बढ़ा सकते हैं। और देहरी पर धरी दर्जनभर चप्पलें कैसे हंसी ठिठोली बुदबुदाने लगतीं हैं। कैसे किसी

सब्र सिखाने का शुक्रिया तारीखों। 

और बेपनाह का मतलब रटवाने का भी। बेपनाह औहदे से लेकर बेपनाह खलिश तक हरकुछ।

ये बताने का भी कि घर की गैलरी में सूखते कुनबे के कपड़े कैसे खुशी का मीटर बढ़ा सकते हैं। और देहरी पर धरी दर्जनभर चप्पलें कैसे हंसी ठिठोली बुदबुदाने लगतीं हैं।

कैसे किसी