Shubham Roy शुभम रॉय شبھم رائے (@shubhamroy_jnu) 's Twitter Profile
Shubham Roy शुभम रॉय شبھم رائے

@shubhamroy_jnu

Founder : @kavitaaayein
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• Navodayan, Sikar ( Raj. )
• भोजपुर (बिहार)

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calendar_today03-11-2016 08:21:46

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देख लेने से वस्तुओं को पा जाने का सुख मिल जाता तो कितना अच्छा होता। ★ विनोद कुमार शुक्ल

देख लेने से वस्तुओं को पा जाने का सुख मिल जाता तो कितना अच्छा होता।

★ विनोद कुमार शुक्ल
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वह गुल मोतियों को चबाता हुआ सितारों को अपनी कनखियों में घुलाता हुआ, मुझ पर एक ज़िंदा इत्रपाश बनकर बरस पड़ा (शमशेर)

वह गुल मोतियों को चबाता हुआ सितारों को
अपनी कनखियों में घुलाता हुआ, मुझ पर
एक ज़िंदा इत्रपाश बनकर बरस पड़ा

(शमशेर)
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प्रिय मित्र खेतदान, जन्मदिन मुबारक ! बहुत स्नेह ! तुम्हारा मित्र शुभम

प्रिय मित्र खेतदान,

जन्मदिन मुबारक ! बहुत स्नेह !

तुम्हारा मित्र
शुभम
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“उनका फूलों में फूलन से मिलना बाकी था” जिंदाबाद ! पुण्यतिथि पर नमन ! #PhoolanDevi

“उनका फूलों में 
फूलन से मिलना बाकी था”

जिंदाबाद ! पुण्यतिथि पर नमन !

#PhoolanDevi
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आदित्य रहबर और उनके लिए जिन्हें quote-unquote का अर्थ नहीं पता है― किसी और के शब्दों को दोहराते समय या किसी बात पर ज़ोर देने के लिए quote-unquote का इस्तेमाल होता है, जो दर्शाता है कि शब्द या वाक्यांश किसी और के हैं।

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शराब के नशे में आदमी ख़ुद को केंद्र में रख लेता है। (शशिभूषण द्विवेदी)

शराब के नशे में आदमी ख़ुद को केंद्र में रख लेता है।

(शशिभूषण द्विवेदी)
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“मेरे दोस्त तुम मुझसे कुछ भी कह सकते हो बचपन का कोई अपरिभाष्य संकोच उँगलियों की कोई नागवार हरकत स्पर्श की कोई घृणित तृष्णा आँखों में अटका कोई अलभ्य दृश्य मैं सुन रहा हूँ…” अज़ीज़ को प्रथम पुरस्कार की बधाई 💐❤️ #HindwiUtsav2025

“मेरे दोस्त
तुम मुझसे कुछ भी कह सकते हो
बचपन का कोई अपरिभाष्य संकोच
उँगलियों की कोई नागवार हरकत
स्पर्श की कोई घृणित तृष्णा 
आँखों में अटका कोई अलभ्य दृश्य

मैं सुन रहा हूँ…”

अज़ीज़ को प्रथम पुरस्कार की बधाई 💐❤️

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“स्मृति को विस्मृत होने में कितना वक्त लगता है? एक लम्हा या एक जन्म? प्रेम के रास्ते पर लौटने में कितने जन्म लग जाते हैं? क्या इसका जवाब उन युगों में छिपा है… जिन युगों में हर रोज़ तुम्हारे प्रेम के गुड़ से मीठा हुआ करता था मन मेरा?” जन्मदिन मुबारक Priyanka Dubey 💐❤️

“स्मृति को विस्मृत होने में कितना वक्त लगता है?
एक लम्हा या एक जन्म?

प्रेम के रास्ते पर लौटने में कितने जन्म लग जाते हैं?
क्या इसका जवाब उन युगों में छिपा है…
जिन युगों में हर रोज़ तुम्हारे प्रेम के गुड़ से
मीठा हुआ करता था मन मेरा?”

जन्मदिन मुबारक <a href="/writetopd/">Priyanka Dubey</a> 💐❤️
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आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में 'फ़िराक़' जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए (फ़िराक़)

आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में 'फ़िराक़'
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए

(फ़िराक़)
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रात दिन गर्दिश में हैं सात आसमाँ हो रहेगा कुछ न कुछ घबराएँ क्या (ग़ालिब)

रात दिन गर्दिश में हैं सात आसमाँ
हो रहेगा कुछ न कुछ घबराएँ क्या

(ग़ालिब)
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उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़ वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है (ग़ालिब)

उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है

(ग़ालिब)
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“क़ुर्बतें होते हुए भी फ़ासलों में क़ैद हैं कितनी आज़ादी से हम अपनी हदों में क़ैद हैं” #AzadiMubarak

“क़ुर्बतें होते हुए भी फ़ासलों में क़ैद हैं
कितनी आज़ादी से हम अपनी हदों में क़ैद हैं”

#AzadiMubarak
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अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं (जाँ निसार अख़्तर)

अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं

(जाँ निसार अख़्तर)
कविताएँ और साहित्य (@kavitaaayein) 's Twitter Profile Photo

हरिशंकर परसाई हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध व्यंग्यकार थे। उन्होंने समाज की विसंगतियों और मानवीय कमजोरियों को गहरी संवेदनशीलता और तीखे व्यंग्य के साथ चित्रित किया। उनकी रचनाओं में हास्य के साथ-साथ गहरी सामाजिक चेतना भी झलकती है। परसाई ने अपनी लेखनी से आम आदमी की पीड़ा और सत्ताधारियों

हरिशंकर परसाई हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध व्यंग्यकार थे। उन्होंने समाज की विसंगतियों और मानवीय कमजोरियों को गहरी संवेदनशीलता और तीखे व्यंग्य के साथ चित्रित किया। उनकी रचनाओं में हास्य के साथ-साथ गहरी सामाजिक चेतना भी झलकती है। परसाई ने अपनी लेखनी से आम आदमी की पीड़ा और सत्ताधारियों
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सोचना एक रोग है, जो इस रोग से मुक्त हैं और स्वस्थ हैं, वे धन्य हैं। ~ हरिशंकर परसाई #BirthAnniversary

सोचना एक रोग है, जो इस रोग से मुक्त हैं और स्वस्थ हैं, वे धन्य हैं।

~ हरिशंकर परसाई  #BirthAnniversary