"आज लोगों के पास काम होता, सरकारी नौकरी होती, रोजगार होता, व्यापार होता, खेती होती तो 5 किलो चावल के लिए, 10 किलो चावल के लिए कोई लाईन नहीं लगाता। ये भाजपा के सत्ता में बैठे हुए लोग हैं, आज देश में 80 करोड़ लोगों को गरीब बना दिया, मोहताज बना दिया, मजलूम बना दिया इनको समझो।"
गुलामगिरी ॥ आधुनिक भारत के हर घर में क्यों होनी चाहिए ॥ किताबों की पाठशाला Ep. 1
'सामाजिक न्याय' असल मायने में राष्ट्र निर्माण की अनवरत गतिशील प्रक्रिया का प्रतिनिधि व मुक़म्मल विचार है. सामाजिक न्याय के असल मायने हैं- सामाजिक, आर्थिक व लैंगिक न्याय. यानी सामाजिक न्याय का मतलब