बड़े वाले बड़बोले बहुत दिन से बोल नहीं रहे हैं। आज के दौर में जब तक बलोचिस्तान में कामयाबी न मिल जाए, आत्मनिर्भरता के बजाय आत्ममंथन के लिए उचित समय है।
#प्रार्थना, प्रबंधन, पराक्रम, पुरुषार्थ
लगता है कि नरेंद्र मोदी जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। कॉंग्रेस से आयातित नेताओं को इसमें प्रमुखता से स्थान दिया जाएगा।
मोदी के तो सारे सिक्के खोटे निकल गए। इसकी वजह सब एक ही जगह से कमा-खा रहे हैं।
#11 साल, ऑपरेशन सिंदूर
तय है जब तक शुरू एक और विश्व युद्ध नहीं होगा।
राजनीति के मारों दिमाग पूर्णतः शुद्ध नहीं होगा।
हथियार खरीदेंगे, कुछ भी देश विरुद्ध नहीं होगा।
अंदर से सब डरे-डरे रहेंगे, दिखने में क्रुद्ध नहीं होगा।
# आर पार, महाशक्ति, चिंता
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय चुनाव आयोग और अपराधी ज्यादा ही सक्रिय हो गए हैं।
नेताओं को रोज एक जैसे बयान देने की मजबूरी हो गई है।
#जंगलराज, सुशासन
अब तक भारत को 27 देशों का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिल चुका है। दूसरी ओर हमने
किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष या शासनाध्यक्ष को भारत रत्न नहीं दिया। सितंबर तक इसे शुरू करना चाहिए। 140 करोड़ लोगों पर सम्मानों का प्रभाव और दबाव दोनों हैं।
मेरी पहली पसंद शी जिनपिंग।
जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे की वास्तविक वजह कुछ समय बाद स्पष्ट हो जाएगी।
धनखड़ इसके लिए पक्के तौर पर आत्मकथा लिखेंगे। तब तक वे नेता मजबूत नहीं रहेंगे, जो अभी स्वस्थ और सक्रिय दिख रहे हैं।
#आश्चर्य, अभूतपूर्व, असमंजस
झूठ बोलो।
बार-बार बोलो।
भारत-पाकिस्तान
के बीच संघर्ष
विराम का सच
अभी तक स्पष्ट
नहीं।
इसीलिए तमाम
लोगों ने देश की
दशा-दिशा की
चिंता छोड़ दी
है।
डोनाल्ड ट्रंप 29 बार संघर्ष विराम कराने का दावा कर चुके हैं। नरेंद्र मोदी ने सीधे एक बार भी खंडन नहीं किया।
#एक विश्व, एक राजनीति