#GodMorningSaturday
गरीब, बैराग नाम है त्याग का, पाँच पचीसों मांही।
जब लग सांसा सर्प है, तब लग त्यागी नाहीं।।
भावार्थ:- पाँच तत्त्व तथा प्रत्येक पाँच-पाँच प्रकृति हैं जो कुल पच्चीस हैं जिनसे शरीर बना है तथा जीव प्रभावित रहता है। यानि इस शरीर में रहते-रहते वैराग्य