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विधानसभा कैंट आगरा उत्तर प्रदेश

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calendar_today20-08-2024 02:49:50

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"सामाजिक न्याय और समर्पण का प्रतीक! बाबू जगजीवन राम (5 अप्रैल 1908 - 6 जुलाई 1986), जिन्हें प्यार से "बाबूजी" कहा जाता था, भारत के स्वतंत्रता संग्राम और आजाद भारत के विकास में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे। बिहार के चंदवा गांव में एक "चमार" (दलित) समुदाय में जन्मे बाबूजी ने अपनी

"सामाजिक न्याय और समर्पण का प्रतीक!

बाबू जगजीवन राम (5 अप्रैल 1908 - 6 जुलाई 1986), जिन्हें प्यार से "बाबूजी" कहा जाता था, भारत के स्वतंत्रता संग्राम और आजाद भारत के विकास में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे। 

बिहार के चंदवा गांव में एक "चमार" (दलित) समुदाय में जन्मे बाबूजी ने अपनी
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"संविधान सभा की प्रथम दलित महिला और स्वतंत्रता की मशाल! दक्षायिणी वेलायुधन (4 जुलाई 1912 - 20 जुलाई 1978) भारतीय इतिहास की एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने सामाजिक बाधाओं को तोड़ते हुए न केवल स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया, बल्कि भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण

"संविधान सभा की प्रथम दलित महिला और स्वतंत्रता की मशाल! 

दक्षायिणी वेलायुधन (4 जुलाई 1912 - 20 जुलाई 1978) भारतीय इतिहास की एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने सामाजिक बाधाओं को तोड़ते हुए न केवल स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया, बल्कि भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण
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"मिसाइल मैन और प्रेरणा के प्रतीक! डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (15 अक्टूबर 1931 - 27 जुलाई 2015), जिन्हें प्यार से "मिसाइल मैन" और "जनता का राष्ट्रपति" कहा जाता है, भारत के सबसे प्रिय और प्रेरणादायक व्यक्तित्वों में से एक थे। तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक साधारण परिवार में जन्मे

"मिसाइल मैन और प्रेरणा के प्रतीक! 

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (15 अक्टूबर 1931 - 27 जुलाई 2015), जिन्हें प्यार से "मिसाइल मैन" और "जनता का राष्ट्रपति" कहा जाता है, भारत के सबसे प्रिय और प्रेरणादायक व्यक्तित्वों में से एक थे। 

तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक साधारण परिवार में जन्मे
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"भारत का रॉबिन हुड और आदिवासी क्रांतिकारी! तांत्या भील (25 जनवरी 1840 - 4 दिसंबर 1889), जिन्हें प्यार से "तांत्या मामा" कहा जाता था, 19वीं सदी के एक महान स्वतंत्रता सेनानी और भील आदिवासी समुदाय के नायक थे। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के पंधाना तहसील के बडौदा (बडदा) गांव में

"भारत का रॉबिन हुड और आदिवासी क्रांतिकारी!

तांत्या भील (25 जनवरी 1840 - 4 दिसंबर 1889), जिन्हें प्यार से "तांत्या मामा" कहा जाता था, 19वीं सदी के एक महान स्वतंत्रता सेनानी और भील आदिवासी समुदाय के नायक थे। 

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के पंधाना तहसील के बडौदा (बडदा) गांव में
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"नगा क्रांतिकारी और स्वतंत्रता की ज्योति! रानी गाइदिन्ल्यू (26 जनवरी 1915 - 17 फरवरी 1993), जिन्हें नगा समुदाय "रानी माँ" के नाम से सम्मान देता है, भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक वीरांगना और आध्यात्मिक नेता थीं। मणिपुर के तामेंगलॉन्ग जिले के लॉन्गकाओ (नुंगकाओ) गांव में

"नगा क्रांतिकारी और स्वतंत्रता की ज्योति! 

रानी गाइदिन्ल्यू (26 जनवरी 1915 - 17 फरवरी 1993), जिन्हें नगा समुदाय "रानी माँ" के नाम से सम्मान देता है, भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक वीरांगना और आध्यात्मिक नेता थीं। 

मणिपुर के तामेंगलॉन्ग जिले के लॉन्गकाओ (नुंगकाओ) गांव में
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"आदिवासी समुदाय की वीरांगना और स्वतंत्रता सेनानी! चांदनी बाई (1850-1860) 19वीं सदी की एक ऐसी आदिवासी नायिका थीं, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अपनी वीरता और नेतृत्व से इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी। मध्य प्रदेश के मांडला क्षेत्र में

"आदिवासी समुदाय की वीरांगना और स्वतंत्रता सेनानी! 

चांदनी बाई (1850-1860) 19वीं सदी की एक ऐसी आदिवासी नायिका थीं, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अपनी वीरता और नेतृत्व से इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी। 

मध्य प्रदेश के मांडला क्षेत्र में
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जन्माष्टमी से पहले बरसात ने सब बर्बाद किया!😢

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"शिक्षा की मशाल और सामाजिक क्रांति की प्रणेता! सावित्रीबाई फुले (3 जनवरी 1831 - 10 मार्च 1897) भारतीय इतिहास की उन महान हस्तियों में से एक हैं, जिन्होंने शिक्षा और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए। महाराष्ट्र के नायगांव (सातारा जिला) में एक "माली" (किसान)

"शिक्षा की मशाल और सामाजिक क्रांति की प्रणेता!

सावित्रीबाई फुले (3 जनवरी 1831 - 10 मार्च 1897) भारतीय इतिहास की उन महान हस्तियों में से एक हैं, जिन्होंने शिक्षा और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाए। 

महाराष्ट्र के नायगांव (सातारा जिला) में एक "माली" (किसान)
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"एक अंजान स्वतंत्रता सेनानी की वीर गाथा! चोक हमेला (जन्म और मृत्यु की सटीक तारीखें अनिश्चित) एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनका नाम और तस्वीर इतिहास के बड़े पन्नों में शायद उतना चर्चित न हो, लेकिन उनकी वीरता और बलिदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया।

"एक अंजान स्वतंत्रता सेनानी की वीर गाथा!

चोक हमेला (जन्म और मृत्यु की सटीक तारीखें अनिश्चित) एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनका नाम और तस्वीर इतिहास के बड़े पन्नों में शायद उतना चर्चित न हो, लेकिन उनकी वीरता और बलिदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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"छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी गौरव! वीर नारायण सिंह (1795 - 10 दिसंबर 1857) छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक ऐसे महानायक हैं, जिन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अपनी वीरता और बलिदान से देश को आजादी की राह दिखाई। सोनाखान (वर्तमान में बलौदाबाजार-भाटापारा

"छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी और आदिवासी गौरव!

वीर नारायण सिंह (1795 - 10 दिसंबर 1857) छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक ऐसे महानायक हैं, जिन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अपनी वीरता और बलिदान से देश को आजादी की राह दिखाई। 

सोनाखान (वर्तमान में बलौदाबाजार-भाटापारा
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"दलित उत्थान और सामाजिक सुधार के प्रतीक! संत गाडगे बाबा (23 फरवरी 1876 - 20 दिसंबर 1956), जिनका असली नाम देबूजी जांभेकर था, महाराष्ट्र और भारत के एक महान सामाजिक सुधारक, संत, और दार्शनिक थे। "महार" (दलित) समुदाय में जन्मे गाडगे बाबा ने अपने जीवन को गरीबों, दलितों, और वंचित

"दलित उत्थान और सामाजिक सुधार के प्रतीक!

संत गाडगे बाबा (23 फरवरी 1876 - 20 दिसंबर 1956), जिनका असली नाम देबूजी जांभेकर था, महाराष्ट्र और भारत के एक महान सामाजिक सुधारक, संत, और दार्शनिक थे। 

"महार" (दलित) समुदाय में जन्मे गाडगे बाबा ने अपने जीवन को गरीबों, दलितों, और वंचित
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"1857 के स्वतंत्रता संग्राम का अंजान दलित नायक! चेतराम जाटव (जन्म और मृत्यु की सटीक तारीखें अनिश्चित) 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के उन वीर योद्धाओं में से एक थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी जान की परवाह किए बिना लड़ाई लड़ी। "जाटव" (चमार समुदाय की एक उप-जाति) से

"1857 के स्वतंत्रता संग्राम का अंजान दलित नायक! 

चेतराम जाटव (जन्म और मृत्यु की सटीक तारीखें अनिश्चित) 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के उन वीर योद्धाओं में से एक थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी जान की परवाह किए बिना लड़ाई लड़ी। 

"जाटव" (चमार समुदाय की एक उप-जाति) से
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"स्वतंत्रता संग्राम का किशोर क्रांतिकारी! खुदीराम बोस (3 दिसंबर 1889 - 11 अगस्त 1908) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन युवा नायकों में से एक थे, जिन्होंने अपने साहस और बलिदान से देश को आजादी की राह दिखाई। पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के हबीबपुर गांव में जन्मे खुदीराम ने मात्र

"स्वतंत्रता संग्राम का किशोर क्रांतिकारी!

खुदीराम बोस (3 दिसंबर 1889 - 11 अगस्त 1908) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन युवा नायकों में से एक थे, जिन्होंने अपने साहस और 
बलिदान से देश को आजादी की राह दिखाई। 

पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के हबीबपुर गांव में जन्मे खुदीराम ने मात्र
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"गोंड आदिवासी 'जल, जंगल, जमीन' के योद्धा! कोमराम भीम (22 अक्टूबर 1901 - 8 अक्टूबर 1940) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक साहसी आदिवासी नेता थे, जिन्होंने ब्रिटिश अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष किया। तेलंगाना के संकेपल्ली गांव में "गोंड" समुदाय में जन्मे कोमराम भीम ने अपने जीवन को

"गोंड आदिवासी 'जल, जंगल, जमीन' के योद्धा! 

कोमराम भीम (22 अक्टूबर 1901 - 8 अक्टूबर 1940) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक साहसी आदिवासी नेता थे, जिन्होंने ब्रिटिश अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष किया। 

तेलंगाना के संकेपल्ली गांव में "गोंड" समुदाय में जन्मे कोमराम भीम ने अपने जीवन को
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"भक्ति और एकता का अमर संदेश! संत कबीरदास (1398 - 1518), जिन्हें कबीर के नाम से जाना जाता है, भारतीय भक्ति आंदोलन के सबसे प्रभावशाली संतों में से एक थे। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जन्मे कबीर का जीवन सामाजिक समानता, धार्मिक एकता, और मानवता के प्रति प्रेम का प्रतीक है। वे एक

"भक्ति और एकता का अमर संदेश!

संत कबीरदास (1398 - 1518), जिन्हें कबीर के नाम से जाना जाता है, भारतीय भक्ति आंदोलन के सबसे प्रभावशाली संतों में से एक थे। 

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जन्मे कबीर का जीवन सामाजिक समानता, धार्मिक एकता, और मानवता के प्रति प्रेम का प्रतीक है। 

वे एक
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"दक्कन का रणनीतिकार और स्वतंत्रता का प्रतीक! मलिक अंबर (1548 - 13 मई 1626) दक्कन के इतिहास में एक असाधारण व्यक्तित्व थे, जिन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता, सैन्य रणनीति, और दास से शासक तक के सफर से इतिहास में अमर छाप छोड़ी। मूल रूप से इथियोपिया (हब्शी) से लाए गए एक दास के रूप में

"दक्कन का रणनीतिकार और स्वतंत्रता का प्रतीक! 

मलिक अंबर (1548 - 13 मई 1626) दक्कन के इतिहास में एक असाधारण व्यक्तित्व थे, जिन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता, सैन्य रणनीति, और दास से शासक तक के सफर से इतिहास में अमर छाप छोड़ी। 

मूल रूप से इथियोपिया (हब्शी) से लाए गए एक दास के रूप में
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"आजादी का जश्न, और लाखों शहीदों को नमन!🙏 आज, 15 अगस्त 2025 को हम भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस को हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं। यह दिन हमें उस बलिदान और संघर्ष की याद दिलाता है, जिसके बल पर हम आज आजादी की सांस ले रहे हैं। 1947 में आज ही के दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने

"आजादी का जश्न, और लाखों शहीदों को नमन!🙏

आज, 15 अगस्त 2025 को हम भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस को हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं। 

यह दिन हमें उस बलिदान और संघर्ष की याद दिलाता है, जिसके बल पर हम आज आजादी की सांस ले रहे हैं। 

1947 में आज ही के दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने
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"क्रांति का कवि और स्वतंत्रता का योद्धा! राम प्रसाद बिस्मिल (11 जून 1897 - 19 दिसंबर 1927) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन अमर नायकों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी लेखनी और वीरता से ब्रिटिश शासन को चुनौती दी। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में जन्मे बिस्मिल एक क्रांतिकारी, कवि, और

"क्रांति का कवि और स्वतंत्रता का योद्धा!

राम प्रसाद बिस्मिल (11 जून 1897 - 19 दिसंबर 1927) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन अमर नायकों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी लेखनी और वीरता से ब्रिटिश शासन को चुनौती दी। 

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में जन्मे बिस्मिल एक क्रांतिकारी, कवि, और
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"PDA समाज का क्रांतिकारी नायक! शंकर गुहा नियोगी (14 अगस्त 1943 - 28 सितंबर 1991) भारत के स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक न्याय के एक असाधारण क्रांतिकारी थे, जिन्होंने PDA समाज के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित किया। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में जन्मे नियोगी एक मजदूर नेता,

"PDA समाज का क्रांतिकारी नायक! 

शंकर गुहा नियोगी (14 अगस्त 1943 - 28 सितंबर 1991) भारत के स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक न्याय के एक असाधारण क्रांतिकारी थे, जिन्होंने PDA समाज के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित किया। 

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में जन्मे नियोगी एक मजदूर नेता,