मैं कोई पत्थर नहीं इंसान हूँ कैसे कहदू
ग़म से गभराता नहीं
कोई सागर दिल को बहलता नहीं
बेख़ुदी में भी करार आता नहीं!!
कल तो सब थे कारवा साथ साथ
आज कोई राह दिखलाता नहीं
#नयन
शतरंज-ए-ज़िंदगी
ज़िंदगी की बिसात पे हर रोज़ एक चाल चली,
कभी जज़्बात हारे, कभी मोहब्बत गली-गली।
हर मोहरा था अपने मतलब का, हर चेहरा था नक़ाब में,
रख दी थी जान जिससे जीने की वजह समझ के,
वही रानी थी आख़िर, जिससे हार गए हम ।।
#नयन
छुपी आंखों में कोई कहानी भी है
कुछ किस्से मगर जुबानी भी है...!
नहीं आसां मौत ये माना मगर
मुश्किल तो ये जिंदगानी भी है...!
होंठों पे जिसके है जितनी हंसी
उसकी आंखों में उतना पानी भी है...!
जख्म कुछ ताजा बेशक मिले है
टीस इनमें शामिल पुरानी भी है.
मुस्कान के पीछे की ख़ामोशी
सब कहते हैं ,तू बहुत हँसता है,
किसी ने ये ना पूछा, तू रोज़ कितना मरता है
हर सवाल का जवाब एक मुस्कुराहट में देता हूँ
वरना मेरा दिल तो कब का बिखर चुका है
लबों पे हँसी, आँखों में समंदर है
तू समझा मज़ाक मेरी हँसी को,
काश कभी मेरी ख़ामोशी पढ़ ली होती
#नयन
किरायेदार-ए-ज़िंदगी
बदन मेरा मिट्टी का…
साँसें मेरी सिर्फ़ उधार हैं,
कुछ पल की ये मेहमानियाँ हैं,
बस जाते ही चल पड़ने की तैयारी
किया किस बात का घमंड, जब कुछ भी मेरा नहीं,
ना ये जिस्म, ना ये नाम, ना कोई मुक़ाम
किरायेदार हैं हम सभी — बस थोड़ी देर की ज़िंदगी।
#नयन
टूटे हुए ख्वाबो ने हमको ये शिखाया है
दिल ने , दिल ने जिसे पाया था आँखो ने गवाया है
लौट आयी सदा मेरी टकराके सितारो से
उजड़ी हुई दुनिया के सुनसान किनारो से
पर अब ये तड़पना भी कुछ काम न आया है , दिल ने दिल ने जिसे पाया था आँखो ने गवाया है!!!
#नयन
शुभ रात्रि 🌙
हम्ने उदासियों में गुज़ारी है ज़िन्दगी
लगता है डर फ़रेब-ए-वफ़ा से कभी कभी
ऐसा न हो कि ज़ख़्म कोई फिर नया मिले
अब तक तो जो भी दोस्त मिले बेवफ़ा मिले कल तुम जुदा हुए थे जहाँ साथ छोड़ कर
हम आज तक खड़े हैं उसी दिल के मोड़ पर
हम को इस इन्तज़ार का कुछ तो सिलह मिले
#नयन
तेरी तस्वीर नहीं उतारी मैंने काग़ज़ पे,
तेरी यादों से भर दी है अपनी निगाहों की दीवार।
देखना हो तो आईना मत देखना,
बस मेरी आँखों में एक बार झाँक लेना यार।
सु प्रभात
#नयन
#तेरे_प्यार_का_आसरा चाहता हूँ
वफ़ा कर रहा हूँ वफ़ा चाहता हूँ
हसीनो से अहद-ए-वफ़ा चाहते हो
बड़े नासमझ हो ये क्या चाहते हो
१) तेरे नर्म बालों में तारे सजा के
तेरे शोख कदमों में कलियां बिछा के
मोहब्बत का छोटा सा मन्दिर बना के
तुझे रात दिन पूजना चाहता हूँ, वफ़ा ...
#सिर्फ_तुम
एक नाम, जो हर दुआ में शामिल हो…
एक चेहरा, जो हर ख्वाब में मुस्कुराए…
इश्क़? हाँ, वही…
जो ख़ामोशी में भी शोर कर जाए,
जो हर धड़कन में बस ‘तुम’ हो जाए।
एक प्रेम,
दो दिल,
ढ़ाई लफ़्ज़ — “मैं, तुम, इश्क़”
हज़ार खयाल…
और बस तुम।**
#नयन
वो मुस्कुरा कर हर बार बात टाल देती है,
उसे क्या खबर… मैंने इशारों में मोहब्बत तक कह दी है
मैंने दोस्ती में छुपा दिया इश्क़ अपना,
वो हर बार मुस्करायी … मगर पढ़ न सकी
#नयन