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Naresh Kala

@naresh_kala

शिव शंकर भोलेनाथ का भक्त हूं, काल से भी मैं डरता नहीं।
अपनी मर्ज़ी का मालिक हूं, किसी की कही मैं करता नहीं।।

ID: 138000178

calendar_today28-04-2010 10:37:21

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बुझा दो इन चराग़ों को उजालों से मेरा कोई सरोकार नहीं टूटे दिल के टुकड़ों को समेटना हरगिज़ मेरा कारोबार नहीं चोट खाई है गहरी मोहब्बत में अब आ गया हूँ मगर होश में न मिल सका सुकून कभी ज़िन्दगी की बाहों में मुझे अब तो चैन से सो जाने दो मुझे मौत की आगोश में #बज़्म #सरस #जज़्बात

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मेरे ख़्वाबों की ख़ुशबू में आज भी तेरा #एहसास ज़िंदा है कर न सकेगा क़ैद कोई मेरे जज़्बातों को मेरा दिल किसी का गुलाम नहीं एक आज़ाद परिंदा है #रूह निकलती है मेरे जिस्म से तो बेख़ौफ़ निकल जाने दो मेरे क़त्ल के गुनाह में शामिल मेरा हर रक़ीब बेहद शर्मिंदा है #सरस #बज़्म #मेरीकलमसे

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तेरे #एहसास की बात क्या करूँ कमबख़्त कभी भी होने लगता है मेरा मासूम दिल तन्हाई में जब पुरानी यादों में खोने लगता है मेरी नाकाम मोहब्बत के बिखरे मोती उम्मीदों की माला में पिरोने लगता है #रूह तड़प उठती है तेरा ज़िक्र ग़र हो मेरा इश्क़ खून के आँसू रोने लगता है #सरस #बज़्म #मेरीकलम

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उसकी आँखों के सैलाब में आज सब कुछ बह जाने दे ये दिल ये जज़्बात ये अरमान कुछ भी मेरे पास न रह जाने दे बरसों से करता रहा हिफ़ाज़त उम्मीदों की जिस इमारत की आज इस क़यामत की रात में उस इमारत को भी ढह जाने दे मुद्दतों बाद बंद हुई हैं मेरी आँखें अब मुझे चैन से सो जाने दे #सरस #बज़्म

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जाने क्यों लगता है ये ख़ुदा का ही #फ़रमान है पूरे होने लगे मेरे अरमान ये किसका एहसान है कौन जाने बाकी कितने मोहब्बत के इम्तिहान हैं उसके तरकश में अभी भी हज़ारों तीर कमान हैं मरने के बाद भी हरदम करेगा याद मुझे ये इत्मीनान है अपने क़ातिल से मेरी अच्छी जान पहचान है #बज़्म #जज़्बात

जाने क्यों लगता है ये ख़ुदा का ही #फ़रमान है
पूरे होने लगे मेरे अरमान ये किसका एहसान है
कौन जाने बाकी कितने मोहब्बत के
इम्तिहान हैं
उसके तरकश में अभी भी हज़ारों तीर कमान हैं
मरने के बाद भी हरदम करेगा याद मुझे ये इत्मीनान है
अपने क़ातिल से मेरी अच्छी जान पहचान है
#बज़्म
#जज़्बात
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एक #फ़रमान की बदौलत हम तुम जुदा हो गए बन गए हम गुनाहगार और तुम ख़ुदा हो गए कुछ इस तरह किया हमने अपनी मोहब्बत का हक़ अदा थाम लिया तुमने ग़ैर का दामन और हम हँसकर फ़ना हो गए गुनाह एक ख़िताब अलग अलग तुम्हें मलिका-ए-हुस्न बना डाला हम गुनहगारों के सरगना हो गए #बज़्म #बज़्म_काव्यमंच

एक #फ़रमान की बदौलत
हम तुम जुदा हो गए
बन गए हम गुनाहगार
और तुम ख़ुदा हो गए
कुछ इस तरह किया हमने
अपनी मोहब्बत का हक़ अदा
थाम लिया तुमने ग़ैर का दामन
और हम हँसकर फ़ना हो गए
गुनाह एक ख़िताब अलग अलग
तुम्हें मलिका-ए-हुस्न बना डाला
हम गुनहगारों के सरगना हो गए
#बज़्म
#बज़्म_काव्यमंच
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तेरे #फ़रमान के इंतज़ार में ज़िन्दगी बिता दी मेरी नाउम्मीदी ने मुझे इश्क़ की बाज़ी जिता दी मैंने तो बिछाए थे फूल तेरे मोहल्ले की गलियों में तूने वफ़ा के बदले मुझे मेरे अरमानों की चिता दी तलाशता रहा उस्ताद-ए-मोहब्बत मैं कबसे तेरी बेरूख़ी ने मुझे इश्क़ की नज़ाकत सिखा दी #बज़्म

तेरे #फ़रमान के इंतज़ार में ज़िन्दगी बिता दी
मेरी नाउम्मीदी ने मुझे इश्क़ की बाज़ी जिता दी
मैंने तो बिछाए थे फूल तेरे मोहल्ले की गलियों में
तूने वफ़ा के बदले मुझे मेरे अरमानों की चिता दी
तलाशता रहा उस्ताद-ए-मोहब्बत मैं कबसे
तेरी बेरूख़ी ने मुझे इश्क़ की नज़ाकत सिखा दी
#बज़्म
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#ज़ायका इश्क़ का, आजकल इतना बदला बदला सा क्यों है मोहब्बत का मारा हर शख़्स, इतना पगला पगला सा क्यों है सुना था, किसी ख़ज़ाने से कम नहीं होती इस इश्क़ की दौलत फ़िर तेरे शहर में हर शख़्स, इतना कंगला कंगला सा क्यों है #बज़्म #बज़्म_काव्यमंच #मेरीकलम #जज़्बात #एहसास #मेरी_आवाज़

#ज़ायका इश्क़ का, आजकल इतना बदला बदला सा क्यों है
मोहब्बत का मारा हर शख़्स, इतना पगला पगला सा क्यों है
सुना था, किसी ख़ज़ाने से कम नहीं होती इस इश्क़ की दौलत
फ़िर तेरे शहर में हर शख़्स, इतना कंगला कंगला सा क्यों है
#बज़्म
#बज़्म_काव्यमंच
#मेरीकलम
#जज़्बात
#एहसास
#मेरी_आवाज़
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पी लिया शराब-ए-इश्क़ का प्याला नादानी में #ज़ायक़ा कौन देखता है खेलकर किसी के दिल से इक खिलौने की तरह इतनी बेरहमी से कचरा समझ कौन फेंकता है सुनें हैं किस्से लाख हमने दुश्मनी के दुनिया में मगर मोहब्बत में यूँ अपना दीन ईमान कौन बेचता है #बज़्म #बज़्म_काव्यमंच #मेरी_कलम #सरस #नज़र

पी लिया शराब-ए-इश्क़ का प्याला
नादानी में #ज़ायक़ा कौन देखता है
खेलकर किसी के दिल से इक खिलौने की तरह 
इतनी बेरहमी से कचरा समझ कौन फेंकता है
सुनें हैं किस्से लाख हमने दुश्मनी के दुनिया में मगर
मोहब्बत में यूँ अपना दीन ईमान कौन बेचता है
#बज़्म 
#बज़्म_काव्यमंच
#मेरी_कलम
#सरस
#नज़र
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तेरा मेरा #संबंध समझना नहीं आसान कोई नहीं जानता कैसे शुरू हुई ये हसीं दास्तान तेरा बादल सा गरजना तेरा बिजली सा चमकना मेरा बूंदों सा बरसना सर्द रातों सा ठिठुरना तेरा इत्र सा महकना मेरा शराबी सा बहकना तेरा फूलों सा खिलना मेरा तारों को गिनना #बज़्म #बज़्म_काव्यमंच #मेरी_कलम

तेरा मेरा #संबंध
समझना नहीं आसान
कोई नहीं जानता कैसे
शुरू हुई ये हसीं दास्तान
तेरा बादल सा गरजना 
तेरा बिजली सा चमकना
मेरा बूंदों सा बरसना
सर्द रातों सा ठिठुरना
तेरा इत्र सा महकना
मेरा शराबी सा बहकना 
तेरा फूलों सा खिलना
मेरा तारों को गिनना
#बज़्म
#बज़्म_काव्यमंच
#मेरी_कलम
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किसका किससे क्या #संबंध है इस बात की कुछ एहमियत नहीं ज़्यादा किसकी ग़रज़ है यही बात सबसे अहम है वो हवा-ख़्वाह है तेरा ख़ैरियत तेरी चाहता है ग़र ऐसा सोचता है तू ये तेरे मन का वहम है ग़र मौका मिले किसी को संबंध सभी भुलाकर सर तन से जुदा करता है वो करता नहीं रहम है #बज़्म #सरस

किसका किससे क्या #संबंध है
इस बात की कुछ एहमियत नहीं
ज़्यादा किसकी ग़रज़  है
यही बात सबसे अहम है
वो हवा-ख़्वाह है तेरा
ख़ैरियत तेरी चाहता है
ग़र ऐसा सोचता है तू
ये तेरे मन का वहम है
ग़र मौका मिले किसी को
संबंध सभी भुलाकर 
सर तन से जुदा करता है 
वो करता नहीं रहम है
#बज़्म
#सरस
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#आसमां में ये अनगिनत तारे न हों तो क्या हो हम हर बेबस के इकलौते सहारे न हों तो क्या हो उसकी आँखों में दहकते अंगारे न हों तो क्या हो ख़िज़ाँ के बाद अगर ये बहारें न हों तो क्या हो हम आपकी तरह ख़ुदा को प्यारे न हों तो क्या हो इस दुनिया में मोहब्बत के मारे न हों तो क्या हो #बज़्म

#आसमां में ये अनगिनत तारे न हों तो क्या हो
हम हर बेबस के इकलौते सहारे न हों तो क्या हो
उसकी आँखों में दहकते अंगारे न हों तो क्या हो 
ख़िज़ाँ के बाद अगर ये बहारें न हों तो क्या हो
हम आपकी तरह ख़ुदा को प्यारे न
हों तो क्या हो
इस दुनिया में मोहब्बत के मारे न हों तो क्या हो 
#बज़्म
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#आसमां को क़दमों में झुका दिया तो क्या बुरा किया अपना सब कुछ उस पर लुटा दिया तो क्या बुरा किया लोग कहते हैं मोहब्बत में खो जाते हैं होश-ओ-हवास हमने इस राज़ से पर्दा उठा दिया तो क्या बुरा किया टूट जाता है दिल जब बिछड़ता है कोई अपना हंसकर उसको जुदा किया तो क्या बुरा किया #बज़्म

#आसमां को क़दमों में झुका दिया तो क्या बुरा किया
अपना सब कुछ उस पर लुटा दिया तो क्या बुरा किया
लोग कहते हैं मोहब्बत में खो जाते हैं होश-ओ-हवास
हमने इस राज़ से पर्दा उठा दिया तो क्या बुरा किया
टूट जाता है दिल जब बिछड़ता है कोई अपना
हंसकर उसको जुदा किया तो क्या बुरा किया
#बज़्म
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#आसमां को छूने की मेरी ताक़त नहीं है बेवजह ग़ुरुर करना मेरी आदत नहीं है मोहब्बत में जान गंवाना शहादत नहीं है ख़ाक़ होने के बाद भी दिल को राहत नहीं है किसी और पर न आए दिल ऐसी चाहत नहीं है चंद लफ़्ज़ों का इश्क़नामा कोई आयत नहीं है हर शायर हो बदनाम ऐसी कोई रिवायत नहीं है #बज़्म

#आसमां को छूने की मेरी ताक़त नहीं है
बेवजह ग़ुरुर करना मेरी आदत नहीं है
मोहब्बत में जान गंवाना शहादत नहीं है
ख़ाक़ होने के बाद भी दिल को राहत नहीं है
किसी और पर न आए दिल ऐसी चाहत नहीं है
चंद लफ़्ज़ों का इश्क़नामा कोई आयत नहीं है
हर शायर हो बदनाम ऐसी कोई रिवायत नहीं है
#बज़्म
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ज़िद है कि #आसमां को ज़मीन पर उतार लाऊं अपनी बेरहम ज़िन्दगी से चंद लम्हे उधार लाऊं वक़्त-ए-रुख़सत है उसकी गली से मुश्ते ग़ुबार लाऊं मुफ़लिसी का आलम है खुशियाँ बेशुमार लाऊं पीने को तरसता है जो उसके लिए फुहार लाऊं हर इन्कार के जवाब में प्यार भरा इक़रार लाऊं #बज़्म #बज़्म_काव्यमंच

ज़िद है कि #आसमां को ज़मीन पर उतार लाऊं
अपनी बेरहम ज़िन्दगी से चंद लम्हे उधार लाऊं
वक़्त-ए-रुख़सत है उसकी गली से मुश्ते ग़ुबार लाऊं
मुफ़लिसी का आलम है खुशियाँ बेशुमार लाऊं
पीने को तरसता है जो उसके लिए फुहार लाऊं
हर इन्कार के जवाब में प्यार भरा इक़रार लाऊं
#बज़्म
#बज़्म_काव्यमंच
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ये ज़मीन जानती है #आसमां बहुत दूर है दिल ये बात क्या समझे हालात से मजबूर है ग़मगीन हो ग़र ये ज़मीं तो आसमां बहाता अश्क़ है इनके इस रूहानी रिश्ते से हर आशिक़ को रश्क है ज़मीं आसमां एक हो जाएँ तो कितना अच्छा हो हक़ीक़त हर ख़्वाब हो जाए तो कितना अच्छा हो #बज़्म #बज़्म_काव्यमंच

ये ज़मीन जानती है
#आसमां बहुत दूर है
दिल ये बात क्या समझे
हालात से मजबूर है
ग़मगीन हो ग़र ये ज़मीं 
तो आसमां बहाता अश्क़ है
इनके इस रूहानी रिश्ते से
हर आशिक़ को रश्क है
ज़मीं आसमां एक हो जाएँ 
तो कितना अच्छा हो
हक़ीक़त हर ख़्वाब हो जाए
तो कितना अच्छा हो
#बज़्म
#बज़्म_काव्यमंच
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#बंदिशें ख़्वाइशों पर हों तो जीने में मज़ा क्या है जान जाती है, पूछ लो, आखिर मेरी रज़ा क्या है ख़त्म हो गई तेरे इंकार के साथ, मेरी उम्मीदें सारी ढूंढ लो ग़र ढूंढना चाहो, इस राख में अब बचा क्या है क़त्ल करके, उसका मासूमियत का ढोंग करना ये नहीं तो फ़िर क़यामत की अदा क्या है #बज़्म

#बंदिशें ख़्वाइशों पर हों तो जीने में मज़ा क्या है
जान जाती है, पूछ लो, आखिर मेरी रज़ा क्या है
ख़त्म हो गई तेरे इंकार के साथ, मेरी उम्मीदें सारी
ढूंढ लो ग़र ढूंढना चाहो, इस राख में अब बचा क्या है
क़त्ल करके, उसका मासूमियत का ढोंग करना
ये नहीं तो फ़िर क़यामत की अदा क्या है
#बज़्म
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ये #बंदिशें सब तोड़कर ये रंजिशें सब छोड़कर उल्फ़त से मुँह मोड़कर नाकामी से नाता जोड़कर अपने अश्कों को निचोड़कर कफ़न सर पर ओढ़कर नफ़रतों पे कीलें ठोककर उन यादों का गला घोंटकर चंद साँसों को रोककर ज़ख्मों को अपने नोचकर अलविदा सबको बोलकर रुख़सत हो रहा हूँ मैं #बज़्म #बज़्म_काव्यमंच

ये #बंदिशें सब तोड़कर
ये रंजिशें सब छोड़कर
उल्फ़त से मुँह मोड़कर
नाकामी से नाता जोड़कर
अपने अश्कों को निचोड़कर
कफ़न सर पर ओढ़कर 
नफ़रतों पे कीलें ठोककर
उन यादों का गला घोंटकर
चंद साँसों को रोककर
ज़ख्मों को अपने नोचकर
अलविदा सबको बोलकर
रुख़सत हो रहा हूँ मैं 
#बज़्म
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उसकी आँखों के तिलस्म में बला की कशिश है 'नरेश' डूबने से डरता हूँ मगर बार बार डूबने चला जाता हूँ लाख मर्तबा तौबा कर ली हरगिज़ न करूंगा दीदार-ए-यार जाने क्यों आँखें मूँद कर फ़िर उससे मिलने चला जाता हूँ आशिक़ हूँ मुझे मरने का ख़ौफ़ नहीं मैं बार बार ख़ाक़ होने चला जाता हूँ #बज़्म

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होके नाराज़ इस क़दर हँसने की क्या ज़रूरत है नफ़रत भी तो मोहब्बत की ही निशानी होती है कहते रहते हो हरदम सारी उम्र पड़ी है मोहब्बत के वास्ते भूल जाते हो महज़ चार रोज़ की ही ये जवानी होती है क़यामत तक याद रखती है दुनिया किस्से मोहब्बत के बड़ी दिलचस्प और दिलकश ये कहानी होती है #सरस