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सुरेश पंत sureshpant

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भाषाप्रेमी; हिंदी-संस्कृत से विशेष लगाव; व्याकरण, शब्दव्युत्पत्ति में रुचि।
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calendar_today29-03-2011 16:37:44

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नवजात शिशुओं का सपने में मुस्काना, सिसकना, रोना (hypnology) को चिकित्सक सामान्य मानते हैं। शिशु के माता पिता प्रायः प्रसन्न या कभी चिंतित भी होते हैं। इसके कारण को लेकर भ्रम है। अनेक लोकविश्वास इसे पूर्वजन्म, परी, विमाई आदि से जोड़ते हैं। आपके क्षेत्र, समाज में क्या मान्यता है?

नवजात शिशुओं का सपने में मुस्काना, सिसकना, रोना (hypnology) को चिकित्सक सामान्य मानते हैं। शिशु के माता पिता प्रायः प्रसन्न या कभी चिंतित भी होते हैं।
इसके कारण को लेकर भ्रम है।
अनेक लोकविश्वास इसे पूर्वजन्म, परी, विमाई आदि से जोड़ते हैं।
आपके क्षेत्र, समाज में क्या मान्यता है?
Rakesh Malhotra (@rakeshmalhotra) 's Twitter Profile Photo

भाषाएं हमारी सांस्कृतिक धरोहर की आत्मा हैं। वे न केवल हमारी पहचान और इतिहास से जुड़ी होती हैं, बल्कि हमारी विरासत को भी जीवंत बनाए रखती हैं। प्रत्येक भाषा अनमोल है, और उसका संरक्षण, उसकी लिपि का संकलन, तथा उसके सतत प्रवाह और प्रसार का प्रयास करना हमारा साझा उत्तरदायित्व है — ताकि

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समझिए, हम दिल्ली वाले सुबह सबसे पहले गूगल से AQI की जानकारी क्यों लेते हैं!

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📚 कुछ पुरानी जीवित किताबें पुस्तकालयों में नहीं, घरों में मिलेंगी— जीर्ण-शीर्ण, पर जीवंत और ज्ञान से भरपूर। उनके बिखरने से पहले उन्हें ढूँढ़कर सुनिए। चूक गए तो न उनका रिप्रिंट मिलेगा, न कोई आर्काइव कॉपी। ✍️ सुरेश पंत चित्र सौजन्य: Creative Commons #livingbooks #legends

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कुछ पुरानी जीवित किताबें पुस्तकालयों में नहीं, घरों में मिलेंगी— जीर्ण-शीर्ण, पर जीवंत और ज्ञान से भरपूर। उनके बिखरने से पहले उन्हें ढूँढ़कर सुनिए। चूक गए तो न उनका रिप्रिंट मिलेगा, न कोई आर्काइव कॉपी।
✍️ सुरेश पंत 
चित्र सौजन्य: <a href="/creativecommons/">Creative Commons</a> 
#livingbooks #legends
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एक संदेश टाइप करते हुए अपनी ही भाषा की एक अशुद्धि पर ध्यान गया, जो टाइपो नहीं थी। कभी-कभी हम द्विरर्थकता की निरर्थकता को नहीं समझ पाते । क्या आप समझे?

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एक संदेश टाइप करते हुए अपनी ही भाषा की एक अशुद्धि पर ध्यान गया, जो टाइपो नहीं थी। हम द्विरर्थकता की निरर्थकता को नहीं समझ पाते । क्या आप इस संकेत को समझे?

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गर्मी की छुट्टियाँ बिताने एक अच्छा उपाय यह भी हो सकता है। आज़माकर देखिए।

Ramesh Rajpurohit (@rkrajpurohitn) 's Twitter Profile Photo

India in Pixels by Ashris सुरेश पंत sureshpant डॉ रमाकान्त राय बिलकुल, केंद्रीय हिंदी निदेशालय समय-समय पर मानकीकरण जारी करता है। जन सामान्य से सुझाव भी लिए जाते हैं। इसे आधिकारिक वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हो। chd.education.gov.in/sites/default/…

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सराहनीय कार्य। हिंदी सीखने-सिखाने वालों, बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए बहुत उपयोगी।

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नामी-गिरामी नाम-ग्राम वाला, जिसका बड़ा नाम हो और कुल-गाँव बड़ा हो। प्रसिद्ध, विख्यात। व्यंग्य में कुख्यात के लिए।

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लोक में जेठ-1🔥 यह पहेली बूझकर देखिए— "गोल-गोल बटिया सुपारी जैसौ रंग, ग्यारह देवर छोड़के चली जेठ के संग !" बटिया जैसी गोल और सुपारी जैसे रंग वाली तूर, (साबुत अरहर, pigeon pea, Cajanus cajan) जेठ के महीने में बोई जाती है! जेठ के साथ ब्याही गई सो साल के और बाकी ग्यारह देवर— ११

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लोक में जेठ-2🔥 बड़ी बहूकौ जेठ आयौ! बड़ी बहू तो स्वयं बड़ी जेठानी है, उसका भी जेठ? लोकरीति है कि जेठजी के आने पर बहुएँ तुरंत बड़ा-सा घूँघट काढ़ लेती हैं। जब जेठ का महीना आया तो आँधी आई, भूसा-तिनका उड़ने लगा।आँधी से बचने के लिए बड़ी जेठानी ने बड़ा घूँघट मुख पर लपेट लिया कि आँखों

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लोक में जेठ-3 🔥 "जेठ के दारुण आतप से तप के जगती तल जावै जला। नभ मंडल छाया मरुस्थल-सा दल बाँध के अंधड़ आवै चला॥ जलहीन जलाशय, व्याकुल हैं– पशु-पक्षी, प्रचंड है भानु कला। किसी कानन कुंज के धाम में प्यारे करैं बिसराम चलौ तो भला" ॥ ✍️ श्रीधर पाठक