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Avdhesh

@avdhesh87271719

Aim to improve morality in the society on the basis of our ethics & having proud to our vedic culture, Vedas

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calendar_today08-07-2016 15:07:30

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आधुनिक विज्ञान की जितनी सीमा आज के युग में है , उससे कहीं ज्यादा विस्तार तो सतयुग और त्रेता युग , बहुत पहले भी था.. परमात्मिक विज्ञान ( spiritual science) ) के विपरीत, क्या आधुनिक विज्ञान हमारे जीवन में दुखों ( रोग, म्रत्यु, वृद्धावस्था, etc...) को समाप्त करने में सक्षम है ?

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ब्रह्मांड के बाहर-भीतर, परमात्मा नाम की शक्ति व्याप्त है। वह शक्ति सूर्य आदि लोकों ,गैलेक्सियों को घुमा रही है, बना रही है, वही शक्ति इलेक्ट्रोंस, क्वार्क,स्पेस के अंदर भी है ।मनुष्य के रूप में हमारी विचारणीय शक्ति की एक सीमा निश्चित है । क्या ससीम, असीम को जानने में सक्षम है ?

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यह तो हम जानते ही हैं कि भोग अच्छे हो या गलत , काटने से ही कटते हैं भीष्म पितामह जब शर सैया पर पड़े हुए थे , उस समय का उनके और श्री कृष्ण जी के बीच वार्तालाप याद करिए कि वह किस जन्म का (101 वें) भोग भोग रहे थे

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प्रभु की न्याय व्यवस्था में हम प्रश्न नहीं कर सकते ( क्योंकि परमात्मा हमारी इंद्रियों और हमारी सोच से परे हैं , इसलिए प्रश्न करने के लिए पहले हमें पात्रता लानी पड़ेगी)

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इंद्रियों ( desires, इच्छाएं ) के विषयों में फंसने वाला व्यक्ति शक्तिहीन हो जाता है और शक्तिहीन विषयों में अधिकाधिक फंसता जाता है । इस चक्र में से निकलने का अर्थात शक्तिवान होने का उपाय तो यही है कि आत्म शक्ति ( power of soul ) को जागृत किया जाए ।

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संसार अधिकाधिक गहराई में फंसने से शक्ति नहीं प्राप्त होती, आत्मा से शक्ति मिलती है । इंद्रियों की तरफ से मुंह मोड़ कर, उधर पीठ करके, आत्मा की तरफ लौटने से शक्ति प्राप्त होती है ।

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बहुत कुछ चुनने और सुनने से बेहतर है... किताबों को चुनो और सुनो ये बहुत कुछ बदल देते हैं ( मेरे जीवन के अनुभव )

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चमक दमक वाले आवरण से प्राय: , सत्य का मुख ढका हुआ होता है l अगर सत्य को देखना है तो उस आवरण का अपवरण कर दें अथवा पर्दे के पीछे देखना होगा

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लिखकर विरोध करना शुरू करें इन्हें भी भारत के ताकत का अहसास होना चाहिए IMF is Sponsor of Radical Islamic Terrorism IMF want to kill Indian Citizens including Children and Women 👉 IMF shame on you 💩 रूकना नहीं है... लिखते रहें

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प्रभु की न्याय व्यवस्था अथवा परमात्मा हमारी इंद्रियों और हमारी सोच से परे हैं , हम उनकी व्यवस्था में प्रश्न नहीं कर सकते

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हमारे सभी गहरे संबंध केवल इसी जन्म के नहीं होते, वह आत्मा की पुरानी यात्राओं से जुड़े होते हैं। कुछ संबंध हमें कार्मिक कनेक्शन की तरह मिलते हैं, कोई कर्ज चुकाने आता है, कोई कुछ सिखाने आता है, तो कोई सिर्फ साथ निभाने l

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जब कोई बिना वजह बहुत करीब हो जाता है या कोई बहुत कष्ट देता है,तो यह केवल वर्तमान का खेल नहीं है, यह आत्मा की यात्रा का incomplete part है जो पूर्ण होना है इसलिए किसी संबंध में अगर सुख है तो आभार मानिए और दुख है तो भी सीख लीजिए क्योंकि ये दोनों ही आत्मा की यात्रा के जरूरी पड़ाव है

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मन का प्रश्न: प्रभु ,अगर अपनी स्तुति सुनकर अपराधियों के पाप क्षमा करने लगें तो उनकी न्याय व्यवस्था चौपट नहीं हो जाएगी ? वस्तुत: प्रभु तो परम न्यायकारी हैं ।

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जिस कार्य को करने में हमें शंका, लज्जा तथा भय महसूस होता है, वह कार्य पाप की श्रेणी में आता है और जिस कार्य को करने में हमें उत्साह, प्रेरणा, प्रसन्नता महसूस होती है , वह कार्य पुण्य और अच्छे कार्यों की श्रेणी में आता है

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परमपिता परमात्मा परम न्याय कारी हैं, वे किसी के भी साथ अन्याय नहीं करते । हम स्वयं भी अपने कर्मों का निर्धारण कर सकते हैं कि हमारा कौन सा कर्म किस श्रेणी के अंतर्गत है

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As per science प्रत्येक 7 साल में हमारे शरीर की सभी कोशिकाएं (cells) बादल जातीं हैं, अगर शरीर फिर से बनता है तो हम बीमारी को स्थाई क्यों मानते हैं ? क्योंकि हमने अपनी चेतना ( consciousness) में उस बीमारी को जगह दी है।

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शरीर का नियंत्रण मन के पास है और मन का नियंत्रण चेतन स्वरूप आत्मा के पास। जब हम (मन), आत्मा ( consciousness) के साथ connect होते हैं तो शरीर शांत Energised हो जाता है और चिकित्सा की जडें शांति Energies में ही होती हैं।

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एक मन का प्रश्न: परमात्मिक विज्ञान ( spiritual science) ) के विपरीत, क्या आधुनिक विज्ञान ( modern Science) हमारे जीवन में दुखों ( रोग, म्रत्यु, वृद्धावस्था, etc...) को समाप्त करने में सक्षम है ?

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Modern science से ज्यादा विस्तार तो बहुत पहले था, त्रेता युग (रावण के पुष्पक विमान की technology, स्वर्ग लोक तक सीढ़ियों का infrastructure, श्री राम जी का ब्रह्मास्त्र ..), द्वापर युग (संजय का युद्ध live telecast धृतराष्ट्र को दिखाना , श्री कृष्ण जी का सुदर्शन चक्र इत्यादि...)